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September 9, 2025

नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम झलनाथ के घर लगाई आग, पत्नी राजलक्ष्मी की जलकर मौत

The CSR Journal Magazine
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की आग में झुलसकर दुखद मृत्यु हो गई, जब प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के डल्लु स्थित उनके घर में आग लगा दी। रिपोर्टों के अनुसार, हमले के दौरान वे घर के अंदर फंस गई थीं। यह घटना नेपाल में जारी प्रदर्शनों के बीच बढ़ती हिंसा का नतीजा है।

आंतरिक विद्रोह और हिंसा में झुलस रहा नेपाल

नेपाल इन दिनों हाल के वर्षों के सबसे अशांत दौर से गुजर रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार Zen-G कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में हो रहे हिंसात्मक प्रदर्शनों से जूझ रही है। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री ओली के घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। इसी तरह के हमले पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ और शेर बहादुर देउबा के आवासों पर भी रिपोर्ट किए गए।

पूर्व सीएम झलनाथ का घर हुआ आग में ख़ाक, पत्नी की झुलसकर मौत 

काठमांडू के डल्लु इलाके में विरोध प्रदर्शन उस समय चौंकाने वाला मोड़ ले लिया जब भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर में आग लगा दी, जबकि उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार घर के अंदर थीं। राजलक्ष्मी को गंभीर रूप से जलने की चोटें आईं और उन्हें तुरंत कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों का कहना था कि उनकी हालत नाजुक थी, उनके शरीर पर गहरे जलन के निशान थे और आग के कारण उनके फेफड़ों को गंभीर क्षति पहुंची थी। अस्पताल पहुंचने के कुछ ही देर बाद राजलक्ष्मी ने दम तोड़ दिया। इस हमले ने पूरे राजनीतिक तंत्र को हिला दिया है और यह दिखा दिया है कि नेपाल में अशांति किस तेजी से सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों से बढ़कर नेताओं के व्यक्तिगत घरों तक पहुंच चुकी है।

ऊर्जामंत्री के घर के साथ राष्ट्रपति आवास भी बना निशाना

ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का का घर भी निशाना बनाया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के आवास में घुस गए, जबकि पुलिस उन्हें रोकने के लिए जूझ रही थी।
अधिकारियों ने लगातार दो दिनों से जारी अशांति के बाद काठमांडू सहित कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है। सोमवार को पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर सप्ताहभर लगे प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन कर रही भीड़ पर गोली चलाने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई।

नेपाल सुप्रीम कोर्ट, मीडिया हाउस दफ़्तर आग के हवाले

सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर नेपाल में Zen-G के नेतृत्व में प्रदर्शन भड़क उठे। इसके दौरान सिंहदरबार, सुप्रीम कोर्ट और राजनीतिक दफ़्तरों में आगज़नी की घटनाएं सामने आईं। नेपाल में Zen-G के नेतृत्व में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों की लहर दूसरे दिन भी जारी रही। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू और हिमालयी देश के अन्य क्षेत्रों में कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की। सरकार के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने राजधानी के प्रमुख प्रशासनिक क्षेत्र में स्थित सुप्रीम कोर्ट भवन, एक निजी मीडिया हाउस कार्यालय और अन्य इमारतों को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के प्रमुख प्रशासनिक परिसर ‘सिंहदरबार’ में भी घुसपैठ की। उन्होंने पश्चिमी गेट को तोड़कर भीतर प्रवेश किया और मुख्य भवन में आग लगा दी।सिंहदरबार नेपाल सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और कार्यालयों का मुख्यालय है। यह इमारत 2015 की विनाशकारी भूकंप में क्षतिग्रस्त होने के बाद दोबारा बनाई गई थी और उपयोग में लाई गई थी।प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ ने मुख्य द्वार तोड़कर जबरन देश के केंद्रीय प्रशासनिक परिसर में प्रवेश किया।

पीएम ओली ने दिया इस्तीफ़ा

मंगलवार को नेपाल में हालात अचानक बिगड़ने पर कुछ प्रदर्शनकारी संसद भवन में भी घुस गए। नए बानेश्वर क्षेत्र के पास उनके पास हथियार होने की भी खबर है, जिससे संसद के आसपास तनाव और बढ़ गया। इसके अलावा, सानेपा स्थित नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय और ललितपुर के च्यासल में सीपीएन-यूएमएल के पार्टी कार्यालय में भी तोड़फोड़ की गई। प्रदर्शनकारियों द्वारा नेताओं के आवासों और सरकारी भवनों में आगजनी किए जाने से कई राजनीतिक नेता, जिनमें कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं, घायल हो गए। इस बीच, नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया, जब सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन बेकाबू हो गए। इन प्रदर्शनों में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

सोशल मीडिया बैन ने मचाया नेपाल में बवाल

प्रदर्शन उस समय और भड़क उठे जब ओली ने सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस ले लिया। यही प्रतिबंध राष्ट्रव्यापी विरोध का मुख्य कारण बना था। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और सरकार के प्रवक्ता पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने घोषणा की कि देर रात हुई कैबिनेट बैठक में सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया गया है। सोमवार को काठमांडू और अन्य शहरों में भड़की हिंसक झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और हजारों घायल हुए। यह आंदोलन हाल ही में कई प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में शुरू हुआ था। Zen-G प्रदर्शनकारियों ने संसद के मुख्य द्वार तोड़ दिए, ज़बरदस्ती अंदर घुस गए और प्रवेश द्वार में आग भी लगा दी। Zen-G के बैनर तले प्रदर्शन कर रही भीड़ ने राजधानी काठमांडू के कई हिस्सों में “केपी चोर, देश छोड़” और “भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई करो” जैसे नारे लगाए।

हिंसा से अलग हुआ Zen-G आंदोलन

इन सभी घटनाओं के बीच अब नेपाल के युवाओं को ऑनलाइन संगठित कर रहे Zen-G आंदोलन के आयोजकों ने संसद पर हमले से खुद को अलग कर लिया है। आयोजक उजेन राज भंडारी ने कहा, “जो लोगहमारी तय योजना से आगे बढ़ गए, हम उन्हें अपना हिस्सा नहीं मानते।”समूह ने सोशल मीडिया पर एक आपात अपील भी जारी की, जिसमें प्रदर्शनकारियों से सुरक्षित घर लौटने का आग्रह किया गया और चेतावनी दी गई कि उनकी शांतिपूर्ण रैली को “स्वार्थी समूहों” ने हाइजैक कर लिया है।
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