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December 5, 2025

‘नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ’ 2027: MyGov पर Logo डिज़ाइन प्रतियोगिता आमंत्रित

The CSR Journal Magazine

 

वर्ष 2027 में आयोजित हो रहे नासिक–त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की पहल शुरू की गई है। MyGov और Association of Designers of India के सहयोग से आयोजित ‘Nashik–Trimbakeshwar Kumbh Mela 2027 Logo Design Competition’ प्रतियोगिता युवाओं, कलाकारों व पेशेवर डिजाइनरों को कुंभ मेले की आत्मा को विज़ुअल रूप में पेश करने का सुनहरा अवसर दे रही है।

सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए MyGov पर Logo डिज़ाइन प्रतियोगिता आमंत्रित

नासिक–त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ 2027 की तैयारियां ज़ोरों पर हैं और इसी बीच MyGov द्वारा आधिकारिक Logo डिज़ाइन प्रतियोगिता की घोषणा की गई है, जिसमें पूरे देश के डिजाइनरों को आस्था, पवित्रता और भगवान शिव की दिव्यता को दर्शाने वाला प्रतीक तैयार करने का अवसर दिया गया है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह ऐतिहासिक महाकुंभ दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, और अब पहली बार इसे एक आधुनिक, पहचान योग्य और वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने योग्य लोगो मिलने जा रहा है जो न केवल इस आध्यात्मिक उत्सव का स्वरूप दर्शाएगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतिनिधित्व करेगा।

Logo प्रतियोगिता- क्या, क्यों और कैसे ?

यह कुंभ मेला, जो गोदावरी नदी के पवित्र तटों पर आयोजित होता है, श्रद्धा, पवित्रता और नवीनीकरण का प्रतीक है। साथ ही, त्र्यंबकेश्वर में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग, इसे धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य 21वीं सदी के संदर्भ में एक आधुनिक, आकर्षक और सार्वभौमिक Logo तैयार करना है, जो पारंपरिक वैभव और आधुनिक शैली दोनों को संतुलित करे। Logo में घाट-मंदिर, गंगा प्रवाह, भक्तों की भीड़, आध्यात्मिकता, और भारतीय सांस्कृतिक विविधता को दर्शाया जा सकता है। Logo सरल, यादगार और बहुपयोगी (मोबाइल, पोस्टर, बैनर, कपड़े आदि) होना चाहिए, ताकि देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुंभ मेले की पहचान बन सके।

थीम व्याख्या (Theme Explanation)

Logo में निम्न प्रमुख भावों और अवधारणाओं को दर्शाया जाना चाहिए-
आध्यात्मिकता और आस्था: कुंभ मेले के पवित्र अनुभव और धार्मिक महत्व को उजागर करें।
परंपरा और आधुनिकता: भारत की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान को आधुनिक और आकर्षक डिज़ाइन शैली के साथ जोड़ें।
एकता और नवजीवन: समुदाय के संगम, पवित्र स्नान, शुद्धता और पुनर्जागरण की भावना को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाएं।
सांस्कृतिक जीवंतता: भारतीय उत्सवों, अनुष्ठानों और लोक परंपराओं की रंगीन, उत्साहपूर्ण और जीवंत ऊर्जा को प्रतिबिंबित करें।

चरण-दर-चरण सबमिशन गाइड (Step-by-Step Submission Guide)

1. अपना Logo बनाएं: प्रतियोगिता की थीम के अनुरूप एक सरल, यादगार और बहुउपयोगी लोगो डिज़ाइन करें।
2. ऑनलाइन सबमिट करें: अपनी प्रविष्टि आधिकारिक MyGov पोर्टल के माध्यम से जमा करें।
3. व्यक्तिगत विवरण प्रदान करें: पूरा नाम, आयु, संपर्क विवरण और भारतीय नागरिकता का प्रमाण शामिल करना अनिवार्य है।
4. पुष्टि प्राप्त करें: सफलतापूर्वक प्रविष्टि जमा होने के बाद प्रतिभागियों को पुष्टि संदेश प्राप्त होगा।

मजबूत प्रविष्टि के लिए सुझाव

Logo स्पष्ट और सरल हो ताकि विभिन्न माध्यमों में आसानी से उपयोग किया जा सके।
डिज़ाइन में गोदावरी नदी, त्र्यंबकेश्वर मंदिर और यात्रा/तीर्थ से जुड़े प्रतीकात्मक तत्वों का उपयोग करें।
भारतीय संस्कृति को दर्शाने वाले पारंपरिक रंगों और पैटर्न का समावेश करें।
ध्यान रखें कि Logo डिजिटल और प्रिंट, दोनों माध्यमों में विभिन्न आकारों में सही दिखे।
राजनीतिक या व्यावसायिक संदर्भों से बचें।

महत्वपूर्ण तिथियां व प्रतिभागी योग्यता

प्रतियोगिता की शुरुआत- 20 नवम्बर 2025,
अंतिम तिथि (Submission Deadline)- 20 दिसम्बर 2025, 23:45 IST,
भाग लेने के लिए: भारत के कोई भी नागरिक, छात्र, पेशेवर कलाकार, ग्राफिक डिज़ाइनर, एकल प्रविष्टि भेज सकते हैं।
प्रथम पुरस्कार: ₹ 3,00,000 + प्रमाणपत्र ,
दूसरा पुरस्कार: ₹ 2,00,000 + प्रमाणपत्र ,
तीसरा पुरस्कार: ₹ 1,00,000 + प्रमाणपत्र !
विजेता के डिज़ाइन को 2027 के कुंभ मेले के आधिकारिक ब्रांडिंग एवं प्रचार सामग्री में शामिल किया जाएगा, जिससे डिज़ाइनर को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।

नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ

नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ, जिसे आमतौर पर “नासिक सिंहस्थ महाकुंभ” या “नासिक कुंभ मेला” भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख हिंदू धार्मिक मेला है। यह मेला हर 12 साल में आयोजित होता है और दुनिया के सबसे बड़े धर्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। जहां-जहां श्रद्धालु पवित्र स्नान (स्नान) और पूजा-अर्चना, साधु-महात्माओं की भीड़ तथा धार्मिक अनुष्ठान के लिए आते हैं, वहीं यह मेला हिन्दू धर्म में श्रद्धा, पवित्रता और आध्यात्मिक पुनरुज्जीवन का प्रतीक है।

नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ कब और कितने दिनों तक !

सरकार ने घोषणा की है कि अगला नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ 31 अक्टूबर 2026 को ‘ध्वजारोहण’ समारोह के साथ शुरू होगा। स्थान: Trimbakeshwar और Ramkund / Panchvati (Nashik) यह मेला करीब दस-ग्यारह महीने तक चलेगा। प्रस्तावित समाप्ति तिथि 24 जुलाई 2028 है। स्नान के प्रमुख अवसरों में अमृत स्नान शामिल होंगे, जिनकी शुरुआत 2 अगस्त 2027 से होगी।

ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व

हिन्दू धार्मिक विश्वास के अनुसार, यह मेला उस पौराणिक कथा से जुड़ा है जिसमें अमृत (अमरता का द्रव) की कुछ बूंदें चार पवित्र स्थानों पर गिरि थीं और उनमें से एक स्थान आज नासिक-त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र है। पहले, यह मेला केवल त्र्यंबक में आयोजित होता था। लेकिन 1789 के बाद धार्मिक संघर्षों और भेदभाव को देखते हुए श्रद्धालुओं के सुविधा हेतु नासिक में भी आयोजन शुरू हुआ।  2015 में आयोजित सिंहस्थ मेला में लगभग 80 लाख से 1 करोड़ तक श्रद्धालु शामिल हुए थे। देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आए।

आयोजन केंद्र एवं प्रमुख स्थान

इस मेला में मुख्य रूप से निम्न स्थान शामिल होते हैं-
त्र्यंबकेश्वर, जहां प्रमुख तीर्थ और पवित्र मंदिर है, और श्रद्धालु दर्शन तथा पूजा करते हैं।
रामकुंड/ पंचवटी (नासिक )- यहां गोदावरी नदी के घाटों पर श्रद्धालु पवित्र स्नान (स्नान) करते हैं।
इन घाटों, मंदिरों, और आसपास की व्यवस्था को आयोजकों द्वारा विशेष रूप से तैयार किया जाता है, जैसे कि घाटों की सफाई, स्नान के लिए सुविधा, भीड़-प्रबंधन, श्रद्धालुओं के ठहरने, सफाई, पानी-विकास, और अन्य व्यवस्थाएं!

2026–27 के पहले से होने वाली तैयारियां

आगामी सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन ने घाटों, पार्किंग, यातायात, सफाई, जलापूर्ति, सभी का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। मंदिर परिसर, घाट, सड़कें, पब्लिक सुविधाएं, वेटिंग हॉल, दर्शन मार्ग, हेरिटेज कॉरिडोर आदि का नवीनीकरण प्रस्तावित है, ताकि तीर्थयात्रा सुगम, स्वच्छ और सुरक्षित हो। राज्य व केंद्र सरकार ने कुल ₹ 20,000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है, ताकि नासिक-त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र धर्म, पर्यटन और श्रद्धा का विश्व-स्तरीय केंद्र बन सके।

नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ- अर्थ और श्रद्धा

नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ को हिन्दू धर्म में पवित्रता, आस्था और आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर माना जाता है। पवित्र नदी में स्नान करना, पूजा, साधु-संतों के दर्शन- यह सब श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष, पाप मुक्ति और धार्मिक पुण्य प्राप्ति का अवसर होते हैं। साथ ही, यह मेला धार्मिक एकता का प्रतीक है। विभिन्न सम्प्रदायों, अखाड़ों, साधुओं, भक्तों और आम लोगों का जमावड़ा, जो विविधता में एकता का संदेश देता है। सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से यह आयोजन न सिर्फ भक्तों के लिए, बल्कि पूरी देश की संस्कृति और धार्मिक धरोहर को जीवित रखता है।

Logo प्रतियोगिता- सांस्कृतिक विरासत से आम जन को जोड़ने का प्रयास

यह Logo प्रतियोगिता केवल डिज़ाइन की स्पर्धा नहीं है, यह हजारों साल पुरानी श्रद्धा, आस्था, सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक अनुभव को एक आधुनिक रूप देना है। 2027 का नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ न सिर्फ धार्मिक आयोजन होगा, बल्कि भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत उत्सव, विश्व पटल पर हमारी पहचान साबित करेगा।
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