देश की ऐतिहासिक धरोहर जीरो माइल की अवस्था बुरी है। महाराष्ट्र के नागपुर में मौजूद Zero Mile जर्जर हालत में है। जीरो माइल की जर्जर हालत और इसकी ऐतिहासिक महत्वता को देखते हुए पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल ने इस Historic Zero Mile को सौंदर्यीकरण का फैसला किया। Indian Oil द्वारा ज़ीरो माइल का सौंदर्यीकरण सीएसआर फंड से करने का निर्णय किया गया है। जिसको लेकर इंडियन आयल हेडक्वार्टर से आला अधिकारी ने कुछ माह पहले Nagpur City का दौरा किया। इस दौरान ऐतिहासिक धरोहर को देखकर इसकी तत्काल दुरूस्ती के लिए सीएसआर निधि खर्च करने का निर्देश भी अधिकारियों को दिया गया। लेकिन ये मामला अधर में लटक सकता है।
Nagpur के Zero Miles का इंडियन आयल करेगी अपने सीएसआर से सौंदर्यीकरण
दरअसल Zero Mile Renovation के लिए IOCL कंपनी के अधिकारियों ने स्मारक के लिए नागपुर महानगर पालिका से अनुमति मांगी है, लेकिन जीरो माइल का हेरिटेज श्रेणी में शामिल होने के चलते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India, ASI) से अनुमति लेने की जानकारी Nagpur Municipal Corporation ने दी है। ऐसे में अब तक इंडियन ऑयल का प्रस्ताव औपचारिक रूप में एएसआई के पास नहीं पहुंच पाने से मामला अटक गया है। पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल की ओर से कुछ महीने पहले NMC प्रशासन को पत्र भेजा गया। इस पत्र में जीरो ऑयल के सौंदर्यीकरण के लिए Corporate Social Responsibility (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड) से जीर्णोद्धार को लेकर प्रस्ताव भेजा है।
क्या है नागपुर के जीरो माइल का इतिहास
जीरो माइल या माइलस्टोन भारत का एक ऐतिहासिक स्मारक है, यह 1907 में ग्रेट ट्रिग्नोमेट्री सर्वे के दौरान बनाया गया था। Zero Miles जिसे शून्य मील का पत्थर भी कहा जाता है। ज़ीरो माइल के बारें में बताया जाता है कि Nagpur भारत के बिल्कुल मध्य में स्थित है इसलिए यहां जीरो माइल्स यानी शून्य मील का पत्थर लगाया गया। जब अंग्रेजों ने भारत को अलग-अलग स्टेट में विभाजित किया तो इस विभाजन के बाद नागपुर को पूरे देश भर का केंद्र माना गया था इसलिए यहां पर एक पत्थर स्थापित किया गया। पुरातत्व भाषा में इसे समझ तो Nagpur में जिस जगह पर जीरो माइल लगाया गया वह भारत का भौगोलिक केंद्र है। इस केंद्र का उपयोग नागपुर से दूसरे राज्यों की दूरी को नापने के लिए भी किया जाता है। जिसका ऐतिहासिक महत्व है।