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October 18, 2025

Nafithromycin- भारत का पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक

The CSR Journal Magazine
रोगाणुरोधी प्रतिरोध, यानि एंटीबायोटिक लंबे समय से एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता का विषय रहा है, और दवा कंपनियां दुनिया भर में इससे निपटने के लिए नई दवाएं विकसित करने में जुटी हैं। वर्षों की चुनौतियों और अथक प्रयासों के बाद आखिरकार एक सफलता हाथ लगी है। तीन दशकों के अनुसंधान और कड़ी मेहनत के बाद, भारत ने देश के पहले स्वदेशी मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक Nafithromycin के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है । यह उल्लेखनीय उपलब्धि रोगाणुरोधी प्रतिरोध के विरुद्ध लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो दवा नवाचार में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करती है।

क्या है Nafithromycin

भारत में पहली बार विकसित की गई स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा है, जिसे Wockhardt Limited ने विकसित किया है, और इसमें सरकार के वैज्ञानिक सहयोग Biotechnology Industry Assistance Council (BIRAC) का योगदान है। इसका लक्ष्य है आमतौर पर क्रय की जाने वाली सामुदायिक-स्रोत (community-acquired) बैक्टीरियल निमोनिया (CABP: Community-Acquired Bacterial Pneumonia) जैसी संक्रमणों को, विशेषकर जिनमें बैक्टीरिया ने पहले से अन्य एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया हो। इसे “केटोलाइड” / “लैक्टोन केटोलाइड” श्रेणी में माना गया है, जो मैक्रोलाइड (Macrolide) एंटीबायोटिक्स के आगे की पीढ़ी हो सकते हैं।

Nafithromycin की विशेषताएं

सामान्य एंटीबायोटिक्स जैसे Azithromycin के मुकाबले यह दवा लगभग 10 गुना अधिक प्रभावी बताई गई है। फेफड़ों (lungs) में दवा की एकाग्रता (Lung Exposure) भी अधिक बताई गई है। उदाहरण के लिए कुछ रिपोर्ट्स में “8 गुना अधिक” कहा गया है। ट्रीटमेंट अवधि बहुत कम है, रियल-वर्ल्ड के अनुसार यह लेनी है दिन में 1 बार, सिर्फ 3 दिन। सुरक्षितता की दृष्टि से भी अच्छा माना गया है। Nafithromycin को कम साइड-इफेक्ट्स, भूख पर असर कम अथवा नहीं होना, अन्य दवाओं के साथ विशेष इंटरैक्शन का डर कम बताया गया है। Nafithromycin, प्रतिरोधी बैक्टीरिया-मशीन होने की स्थिति में भी काम दिखा रही है। उदाहरण के लिए Streptococcus Pneumonia के जीन प्रकार (erm, mef) द्वारा मैक्रोलाइड प्रतिरोध विकसित किए गए बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।

Nafithromycin क्यों आवश्यक थी

भारत में निमोनिया तथा अन्य सांस सम्बन्धी बैक्टीरियल संक्रमण काफी सामान्य हैं और भारत का हिस्सा विश्व-सामुदायिक निमोनिया बोझ में भी लगभग 23 प्रतिशत बढ़ा बताया गया है। लेकिन बहुत सी एंटीबायोटिक्स अब पुरानी हो चली थीं, बैक्टीरिया ने उनसे प्रतिरोध (Resistance) विकसित कर लिया था, जिससे उपचार कठिन हो गया था। नई एंटीबायोटिक्स के विकास में दुनिया में भारत पिछड़ा हुआ था। इस श्रेणी में 30  सालों से नया सुधार नहीं आया था। इसलिए, एक ऐसी दवा जो कम अवधि में, प्रभावी, सुरक्षित हो, और प्रतिरोधी संक्रमण के लिए काम आए, उसे विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण था।

Nafithromycin किनके लिए विशेष रूप से लाभदायक हो सकती है

उन मरीजों के लिए जो प्रतिरोधी बैक्टीरिया (Multidrug-Resistant Bacteria) के कारण संक्रमण से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम है, जैसे बुजुर्ग, बच्चों, और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग। उदाहरण स्वरूप: Diabetes Mellitus से ग्रस्त मरीज, क्योंकि उनके इम्यून सिस्टम पर असर होता है और संक्रमण का जोखिम बढ़ता है। कैंसर के मरीज, जो कि कीमोथेरपी/इम्यूनोसुप्रेशन के कारण संक्रमण के प्रति और संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा, सामान्य अस्पताल में इलाज कर रहे मरीजों के लिए जहां संक्रमण का जोखिम अधिक है और जल्दी नियंत्रण की जरूरत होती है। इन सभी मामलों में Nafithromycin अत्यंत लाभदायक साबित हो सकती है।

Nafithromycin लेने से पहले बरतनी होगी सावधानी

Nafithromycin अभी “soft launch” की स्थिति में है, अर्थात् अगले चरण में विनियामक (Regulatory) स्वीकृति और व्यापक उपयोग का समय लिया जाना है। किसी भी एंटीबायोटिक दवा के उपयोग में हमेशा ध्यान देना आवश्यक है:
डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए।
संक्रमण के प्रकार, बैक्टीरिया की संवेदनशीलता (sensitivity) का परीक्षण (यदि संभव हो) होना चाहिए।
Misuse / Over-use से प्रतिरोधीकरण बढ़ सकता है। यानी यह दवा भी समय के साथ कम प्रभावी हो सकती है अगर सावधानी नहीं बरती गई।
अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन, लक्षण, मरीज का स्वास्थ्य-स्थिति (उदाहरण के लिए गुर्दे-लिवर की समस्या) आदि को ध्यान में रखना होगा।
विशेष समूहों (जैसे गर्भवती महिला, छोटे बच्चें, गंभीर जटिल रोग वाले) में उपयोग की जानकारी अभी पूरी तरह ही सार्वजनिक नहीं है। इसलिए डॉक्टर से चर्चा अनिवार्य है।

बीमारियों की अवस्था में Nafithromycin इस्तेमाल को लेकर उठे सवाल

क्या डायबिटीज या कैंसर होने पर खास लाभ होगा?
हां, क्योंकि इन रोगियों में संक्रमण का जोखिम बढ़ा होता है और प्रतिरोधी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इस प्रकार, एक नई प्रभावी दवा उपलब्ध होना सकारात्मक है। लेकिन यह विशेष उपचार नहीं है डायबिटीज या कैंसर के लिये। Nafithromycin का उद्देश्य मुख्यतः बैक्टीरियल संक्रमण (विशेषकर CABP) का इलाज है, न कि डायबिटीज/कैंसर का।
क्या सभी प्रकार के बैक्टीरिया पर असर करेगी?
नहीं, Nafithromycin विशेष रूप से सांस से संबंधित, सामुदायिक स्रोत बैक्टीरियल निमोनिया (CABP) के लिए विकसित है, और प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विरुद्ध प्रभावी पाया गया है। लेकिन अन्य संक्रमणों (उदाहरण के लिए, यूरिनरी ट्रैक्ट, खून का संक्रमण) में इसकी उपयोगिता अलग होगी और अभी व्यापक परीक्षण नहीं हो सकता।
क्या Nafithromycin बाजार में तुरंत उपलब्ध है? 
खबरों के अनुसार Nafithromycin अभी विनियामक स्वीकृति (Manufacturing Approval) की प्रक्रिया में है।
लागत/उपलब्धता क्या होगी? 
जानकारी अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि कितने कीमत पर होगी और सभी अस्पताल/फार्मेसी में कब तक उपलब्ध होगी।
क्या इसका प्रतिरोध बनने का खतरा नहीं है?
हमेशा खतरा है, इसलिए नियम-अनुसार, आवश्यकता अनुसार, और डॉक्टर की सलाह से ही इसका उपयोग होना चाहिए।

Nafithromycin का क्लिनिकल ट्रायल-डेटा

प्रारंभिक (Phase 1) अध्ययन
स्वस्थ वोलंटियर्स में इस दवा के एकल एवं दैनिक खुराक (“single ascending doses / multiple ascending doses”) का अध्ययन हुआ है। उदाहरण स्वरूप 100 mg से 1,200 mg तक की एकल खुराकें, तथा 600 mg / 800 mg / 1,000 mg तक दैनिक 7 दिन की खुराकें। Nafithromycin की इसकी (pharmacokinetics/pharmacodynamics) विशेषताएं इस प्रकार है।
खाना-भोजन (fed vs fasted) की स्थिति से प्लाज्मा एक्सपोज़र (AUC) लगभग 1.2 गुना उच्च पाया गया।
Steady state (स्थिर अवस्था) 600mg/800mg समूहों में 3 दिन में, 1,000mg समूह में 4 दिन में पहुंच गया।
सुरक्षितता की दृष्टि से गंभीर या गंभीर-गुणवत्ता साइड-इफेक्ट नहीं देखे गए।

इन विट्रो व सांस्थानिक अध्ययन

भारत में विभिन्न मेडिकल-सेंटरों से संग्रहित 534 इन्सोलेट्स (Streptococcus Pneumoniae) पर अध्ययन किया गया, जिसमें मैक्रोलाइड प्रतिरोध (ere(B), mef(A/E) जीन) वाले बैक्टीरिया शामिल थे। वहां इस दवा का MIC5= ~0.015-0.03 mg/L, MIC₉₀ = ~0.06 mg/L पाया गया, जो बहुत कम अर्थात् बहुत शक्तिशाली गतिविधि दर्शाता है। इसके अलावा, अध्ययन ने दिखाया कि यह दोनों प्रकार के प्रतिरोधी मैक्रोलाइड बैक्टीरिया (erm एवं mef) के विरुद्ध प्रभावी है।

Phase 2 व Phase 3 अध्ययन

Phase 2: ट्रायल आईडी NCT02903836 (ओरल Nafithromycin in CABP) के रूप में पंजीकृत है।
Phase 3: कंपनी द्वारा जारी प्रेस-रिलीज़ के अनुसार एक मल्टीसेंटर, डबल-ब्लाइंड, “3 दिन once daily” खुराक वाले अध्ययन में यह दवा 3 दिन खुराक के बाद क्लिनिकल क्योर दर ~ 96.7 प्रतिशत (नाफिथ्रोमाइसिन समूह) बनाम ~ 94.5 प्रतिशत (मॉक्सिफ्लॉक्ससिन समूह) हासिल कर चुकी है।  अध्ययन में यह पाया गया कि 3 दिन की दवा-खुराक में 7 दिन की मॉक्सिफ्लॉक्ससिन-दवा के समान (Non-Inferior) परिणाम मिले।

उपलब्ध सीमाएं व ध्यान देने योग्य बातें

Nafithromycin अभी तक व्यापक रूप से सभी देशों में स्वीकृत नहीं हुई है। उदाहरण के लिए, अमेरिका या यूरोप में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा स्वीकृति का रिकॉर्ड नहीं है। Nafithromycin का ट्रायल डेटा अभी तक सभी रोग-समूह (उदाहरण के लिए गंभीर गुर्दा/लिवर समस्या, बच्चों, गर्भावस्था) में सार्वजनिक रूप से विस्तृत नहीं मिले हैं। जितने भी डेटा प्रकाशित हैं, उनमें अधिकांश “सर्विस यूनिवर्सिटी तौर-पर स्वस्थ वोलंटियर्स या सामान्य CABP रोगियों पर आधारित हैं। विशेष रूप से डायबिटीज, कैंसर जैसे रोगियों पर कितनी “विशिष्ट सुरक्षा/प्रभाव” मिले हैं, इस पर विस्तृत ज्ञान फिलहाल कम है। प्रतिरोध (Resistance) भविष्य में उत्पन्न हो सकती है। जैसा कि किसी भी एंटीबायोटिक दवा के साथ संभव है। इसलिए Nafithromycin दवा का स्वयं उपयोग न करें, डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है। कीमत, वितरण, ग्रामीण/शहरी पहुंच, जनसँख्या-व्यापक उपलब्धता जैसे पहलुओं पर अभी पूर्ण जानकारी नहीं मिली है। उदाहरणस्वरूप, सरकार ने बताया है कि इस दवा को “प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव” के तहत माना गया है।

मूल्य व उपलब्धता की जानकारी

सरकार के प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, Nafithromycin दवा के विकास में लगभग ₹500 करोड़ का निवेश हुआ है। यह दवा भारत में “सॉफ्ट-लॉन्च” की स्थिति में है। अर्थात् मार्केट में आने की प्रक्रिया में है, पर “पूरी फ्लेग वितरण” अभी नाइट-फुल नहीं दिख रही।  Nafithromycin पेटेंटेड है और सरकार द्वारा उसे “10 प्रतिशत बिक्री पर इनसेंटिव” के दायरे में रखा गया है। वितरण व कीमत का विस्तृत सार्वजनिक विवरण अभी व्यापक रूप में उपलब्ध नहीं है। इसलिए यदि आप इसे किसी अस्पताल/फार्मेसी में देखें, तो वहां के फार्मासिस्ट या डॉक्टर से स्थानीय उपलब्धता व कीमत पूछना अच्छा होगा।

अनुमानित कीमत और उपलब्धता

अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई भरोसेमंद स्रोत नहीं मिला है जिसमें Miqnaf (Nafithromycin) की स्थिर खुदरा कीमत स्पष्ट रूप से दी गई हो। हालांकि सरकारी संसदीय उत्तर-दायित्व दस्तावेज़ में उल्लेख है कि इस दवा को पेटेंटेड दवा के रूप में “10 प्रतिशत बिक्री पर इंसेंटिव” के दायरे में रखा गया है। सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों में कहा गया है कि यह दवा “आयुष्मान भारत” जैसी योजनाओं में शामिल करने की प्रक्रिया में है ताकि व्यापक पहुंच हो सके और Nafithromycin लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सके। उपलब्धता के संदर्भ में Nafithromycin ट्रायल और “सोफ्ट-लॉन्च” की स्थिति में है। अर्थात्, पूरी तरह से देशव्यापी वितरण या फार्मेसी में उपलब्धता अभी पूरी तरह नहीं सुनिश्चित दिख रही है। इसलिए, यदि आप इसे किसी अस्पताल या फार्मेसी में देखें तो वहां से “मौजूदा स्टॉक”, “खुराक”, व “प्रति पैक कीमत” पूछना सबसे सही रहेगा। Nafithromycin एक बहुत महत्वपूर दवा है, लेकिन कीमत व वितरण अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इसलिए यदि आप इसे इस्तेमाल करने वाले हैं या सलाह ले रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि दवा कॉपी न हो, सही निर्माता Wockhardt Limited की हो, और डॉक्टर-परामर्श के बाद हो। यदि कीमत जाननी हों, तो आपके स्थानीय अस्पताल/फार्मेसी में जाकर “Miqnaf 400 mg” आदि पैक के लिए पूछें, और यदि कीमत बहुत अधिक हो, तो देखें कि क्या आयुष्मान भारत या अन्य सरकारी कार्यक्रम के अंतर्गत इसे कवर किया गया है। तुलना में Nafithromycin विकल्प पुराने एंटीबायोटिक्स से बेहतर प्रतीत होता है। विशेष रूप से उन मरीजों के लिए,  जिनमें प्रतिरोधी संक्रमण का खतरा अधिक है लेकिन यह “साधारण जुकाम/सांसों का हल्का संक्रमण” के लिए तुरंत प्रथम विकल्प नहीं बन जाना चाहिए जब तक डॉक्टर सुझाव न दे।

 Nafithromycin को मिली CDSCO की स्वीकृति

कंपनी के बयान के अनुसार, Nafithromycin भारत में जल्द लॉन्च होगी और अगले 2-3 सालों में करीब ₹400 करोड़ का राजस्व ला सकती है। यह भी बताया गया है कि इसे भारत में ही स्वीकृति मिल चुकी है। Central Drugs Standard Control Organisation-CDSCO है (Central Drugs Standard Control Organisation-CDSCO द्वारा और आने वाले कुछ महीनों में इसके बाजार में आने की योजना है।
संक्षिप्त रूप में कहें तो Nafithromycin भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है, संक्रमण, विशेषकर प्रतिरोधी बैक्टीरियल निमोनिया के इलाज में। यह तकनीकी दृष्टि से उन्नत, कम समय में खतरनाक संक्रमण को लक्षित करने की क्षमता वाला, और सुरक्षित दिखने वाला विकल्प हो सकता है। विशेष रूप से डायबिटीज व कैंसर जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए यह राहत का कारण बन सकता है क्योंकि उन्हें संक्रमण का जोखिम अधिक है। हालांकि इसे “चमत्कारी दवा” समझकर बिना सलाह के प्रयोग करना नहीं चाहिए। डॉक्टर से चर्चा, संक्रमण की जांच और सही निदान व उपयोग बेहद ज़रूरी है।
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