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June 3, 2025

खुद ब खुद मीलों दूर सरक जाते हैं ये पत्थर, बच्चों को भी देते हैं जन्म 

Romania mysterious stones: रोमानिया के इन रहस्यमय पत्थरों को Trovants कहा जाता है। प्रकृति के इस अद्भुत अजूबे को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक और वैज्ञानिक रोमानिया पहुंचते हैं।
Romania Mysterious Stones: कई अचंभित कर देने वाले रहस्यों को समेटे रोमानिया हमेशा ही पर्यटकों का आकर्षण रहा है।अगर आप भी एडवेंचरस टूर के शौकीन हैं तो रोमानिया में आपके लिए ऐसा काफी कुछ मौजूद है जो आपको नए रोमांच से भर देगा। यहां आपको अजीबोगरीब प्राकृतिक संपदाओं से लेकर भूतिया रहस्यों से जुड़े पुरातात्विक स्थान देखने को मिलेंगे, जिनसे जुड़ी कई पौराणिक किदवंतियां आज भी वहां के लोगों के बीच विद्यमान हैं। इसके अतिरिक्त रोमानिया का एक छोटा-सा शहर Costesti अपने अजूबे पत्थरों के लिए हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है। रोमानिया के इन रहस्यमय पत्थरों को Trovants कहा जाता है। प्रकृति के इस अद्भुत अजूबे को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक और वैज्ञानिक रोमानिया पहुंचते हैं। रोमानियाई भाषा में Trovants का मतलब होता है ‘बढ़ते पत्थर’ जो इन पत्थरों का बिलकुल सटीक विवरण है।

किस तरह के होते हैं Trovant Stones

Trovants विभिन्न आकार और प्रकार में देखे जा सकते हैं । लेकिन ज्यादातर ये चिकने और किसी पंछी के अंडे के समान दिखते हैं। कई बार पत्थर 15 फीट के भी होते हैं वहीं छोटे ट्रोवेन्ट का वज़न कुछ ग्राम का हो सकता है। लेकिन इन छोटे पत्थरों को आप धीरे धीरे बढ़ता हुआ देख सकते हैं। हथेली में समा जाने वाले ये पत्थर धीरे धीरे बड़े पत्थरों में तब्दील हो जाते हैं।

Supernatural शक्तियां रखते हैं Trovants

रोमानिया के Costesti शहर में 18वीं सदी के दौरान में जब लोगों ने पत्थरों को बड़ा रूप लेते देखा तो वो घबरा गए और इन पत्थरों को स्थानीय लोग पारलौकिक ताकतों से जोड़कर देखते रहे। वहीं लोगों को इस बात का भी भ्रम हुआ कि शायद ये सैकड़ों वर्ष पहले विलुप्त हो चुके डायनासोर के अंडे तो नहीं! फिर इन Trovants को Alien Pod समझा जाने लगा, जो धरती के लोगों पर नजर रखने आए थे। इस तरह से कोई भी इन लिविंग स्टोन्स का रहस्य नहीं समझ पा रहा था। इन्हीं आशंकाओं और भ्रमों के चलते लंबे समय तक इस जगह के आसपास कोई आबादी नहीं बस सकी। नेचर कम्युनिकेशन्स में द जियोलॉजिकल एंड पेलिओन्टोलॉजिकल हैरिटेज ऑफ द बुजाऊ लैंड जियोपार्क नाम से साल 2017 में प्रकाशित हुई थी, इसमें भी ये साफ नहीं हो सका कि चट्टानें आखिर क्यों आकार और जगह बदल रही हैं।

अजूबे पत्थरों को लेकर क्या है जीवाश्म विज्ञानियों की राय

समय के साथ आकार और जगह बदलने वाले Trovants को लेकर जीवाश्म विज्ञानियों का मानना है कि ये 60 लाख साल पुराने पत्थर हैं, जो बलुआ पत्थर यानी ग्रिटस्टोन्स से निर्मित हैं। ये चूना पत्थर के भीतर लिपटे होते हैं। इसी बात को देखते हुए वैज्ञानिकों का यह भी मत है कि, बारिश के वक्त ये पत्थर भीगकर कई मीटर तक बढ़ जाते हैं। इसका कारण इनमें मौजूद मिनरल सॉल्ट की भारी मात्रा हो सकती है, जो पानी पड़ने से आकार लेता है। हालांकि इस तर्क पर सभी वैज्ञानिकों की राय एक नहीं है। कुछ वैज्ञानिक वैली की तेज हवाओं को पत्थरों की सरकने की वजह मानते रहे। लेकिन सैकड़ों किलोग्राम तक के वजनी पत्थर मिट्टी या हवा की वजह से जगह बदलने लगेंगे ऐसा कैसे संभव है! स्पेन की कम्प्लूटेंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने माना कि वैली की मिट्टी में बहुत से Microbes हैं, जो जमीन को चिकना बना देते हैं। इसी वजह से पत्थर सरकने लगते हैं।

पेड़ों की तरह Trovants पर दिखती हैं एज रिंग्स

Trovant पत्थरों में कई आश्चर्यजनक चीजें देखने को मिलती हैं जो आमतौर पर जिंदा पेड़ों में दिखती हैं। इन पत्थरों पर अपना आकार बदलने के साथ ही एक रिंग नुमा उभार पैदा होना शुरू हो जाता है। इन उभारों को अगर काटा जाए, तो उनके भीतर छल्लेनुमा शेप दिखता है, जो अक्सर पुराने पेड़ों के भीतर दिखाई देता है। इससे ये पता लगता है कि वे कितने पुराने हैं।
रिसर्चरों का कहना है कि हर हजार साल में Trovants लगभग 1.5 से 2 इंच (4 से 5 सेंटीमीटर) बढ़ जाते हैं। पत्थर पर ये ग्रोथ बल्बनुमा होती है, यानी उसपर एक छोटा उभार आता है। इन्हीं उभारों को देखकर कहा जाता है कि पत्थरों से एक नया पत्थर यानी बच्चा जन्म ले रहा है।

भूकंप के बाद जमीन के भीतर से आए रिसाव से हुई Trovants की उत्पत्ति

अभी तक तमाम शोधों और परीक्षणों के बाद सिर्फ इतना माना गया कि ये Trovants लगभग 53 लाख साल पहले किसी बड़े भूकंप के बाद जमीन के भीतर से आए रिसाव से बने होंगे। साल 2008 में ओस्लो में इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस ने कहा कि Trovants के बारे में सही जानकारी जुटाने में अब तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है। पत्थरों के साइज में बदलाव हो क्यों हो रहा है, क्या ये बाकी सामान्य पत्थरों से अलग हैं, इस विषय पर अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है।

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