एक पेड़ शहीद के नाम अभियान के तहत 25 सोसाइटियों ने मिलकर किया Tree Plantation और सफाई
मुंबई के आरे जंगल (Mumbai Aarey Jungle News) की हरियाली को बचाने और देश के शहीदों को सम्मान देने के उद्देश्य से JVLR क्षेत्र की 25 से अधिक हाउसिंग सोसायटियों के सैकड़ों निवासियों ने रविवार को एक विशेष अभियान में हिस्सा लिया। “एक पेड़ शहीद के नाम” नामक (One Tree for One Martyr) इस अभियान के तहत 1,000 से अधिक पेड़ लगाए गए और जंगल के तीन मुख्य क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाया गया। इस पहल को वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एम्पावर फाउंडेशन के साथ मिलकर आयोजित किया गया। इस पर्यावरणीय पहल में ओबेरॉय स्प्लेंडर और जुहू-विले पार्ले लिंक रोड (JVLR) की प्रमुख हाउसिंग सोसायटियों के साथ-साथ बच्चे, युवा और बुजुर्ग भी शामिल हुए। पेड़ लगाने का उद्देश्य केवल हरियाली बढ़ाना नहीं था, बल्कि हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में शहीद जवानों को एक विशेष श्रद्धांजलि देना भी था।
आरे की हरियाली को मिलेगी नई जान
इस अभियान में कोकम, शिवरी, आंवला, आम, इमली और चंदालिया जैसे पेड़ लगाए गए, जो विशेष रूप से वन आवास के अनुकूल हैं। इन पौधों की देखरेख स्थानीय सोसाइटियों के सदस्य और आरे के वनवासी मिलकर करेंगे, ताकि उनका जीवन सुनिश्चित किया जा सके। वनवासी वीरम्मा पिच्चागरम ने बताया, “दो साल पहले लगाए गए पेड़ अब बड़े हो चुके हैं, और इस तरह की पहल न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि हमारी अगली पीढ़ियों के लिए भी सीख है।” Mumbai Environment Campaigns
मानव-पशु संघर्ष में आई कमी
एम्पावर फाउंडेशन की सदस्य शीतल मेहता ने बताया कि जब से आरे में नियमित रूप से सफाई अभियान शुरू हुए हैं, जानवरों के हमलों की घटनाएं कम हुई हैं। उन्होंने कहा, “हम आरे में समुद्र तट की तरह नियमित सफाई करते हैं, लेकिन यहां का भू-भाग ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। जंगल के भीतर गहराई तक जाकर सफाई करना एक बड़ी जिम्मेदारी है।” फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. जलपेश मेहता ने कहा, “हमने इस बार अभियान को और बड़ा किया। 25 सोसाइटियों के निवासी जुड़े और सभी ने मिलकर ‘क्लीन आरे, ग्रीन आरे’ के साझा उद्देश्य के तहत भाग लिया।”
शहीदों की याद में पेड़ लगाना प्रेरणादायक
स्प्लेंडर कॉम्प्लेक्स सीएचएस के अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा, “पहलगाम हमले के बाद हमने तय किया कि हम शहीदों को कुछ ऐसा समर्पित करेंगे, जो प्रकृति और समाज दोनों के लिए उपयोगी हो। इसीलिए यह अभियान ‘एक पेड़ शहीद के नाम’ के तहत शुरू किया गया।” पूर्व एमसीएमई निदेशक शुभाष चौधरी ने कहा, “जब मुझे पता चला कि यह हमारे शहीदों के सम्मान के लिए है, तो सुबह जल्दी उठने की कोई परवाह नहीं रही। जंगल को बचाना और शहीदों को श्रद्धांजलि देना एक ही प्रयास में संभव हुआ।”
बच्चों को दी जा रही है पर्यावरण की सीख
इस अभियान में 4 साल से लेकर 83 साल तक के लोगों ने भाग लिया। एक निवासी आलोक जुनेजा ने कहा, “हम अपने बच्चों को यह सिखाना चाहते हैं कि पर्यावरण की रक्षा (Environment Protection) करना हमारी जिम्मेदारी है। यह उन्हें प्रकृति से जोड़ने का एक बेहतरीन तरीका है।” एक अन्य प्रतिभागी ने बताया, “हालांकि हमें गर्मियों की छुट्टी में जल्दी उठना पड़ा, लेकिन यह मेहनत सार्थक रही क्योंकि हमने अपने बच्चों को कुछ नया सिखाया और समाज के लिए योगदान दिया।”
हर दो महीने में होगा नया अभियान
इस पहल की सफलता को देखते हुए एम्पावर फाउंडेशन और सोसाइटियों ने तय किया है कि हर दो महीने में इसी तरह का वृक्षारोपण और सफाई अभियान चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी सिखाना और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। मुंबई जैसे महानगर में जब स्थानीय लोग अपने स्तर पर हरियाली और स्वच्छता को लेकर इतने बड़े कदम उठा रहे हैं, तो यह पहल पूरे शहर के लिए एक मिसाल बन सकती है। “एक पेड़ शहीद के नाम” न सिर्फ एक अभियान है, बल्कि यह देश भक्ति और पर्यावरण संरक्षण का संगम भी है।