इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों के लिए खुशखबरी है। आपकी गाडी की चार्जिंग तो बिजली से होगी लेकिन जो बिजली बनेगी वो अब फूड वेस्ट से बनेगी। फ़ूड वेस्ट से चलने वाला देश का पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल फास्ट चार्जिंग स्टेशन (Electric Vehicle Charging Station) तैयार किया गया है। इसकी खासियत ये है कि यहां खराब या फेंके गए खाने से बिजली तैयार की जाती है। यह बीएमसी और एयरोकेयर क्लीन एनर्जी के बीच एक संयुक्त प्रोजेक्ट है। हाल ही में महाराष्ट्र के पर्यावरण और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने इसका उद्घाटन किया। यहां पर फूड वेस्ट (Food Waste) से 220 kW बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। BMC इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद ऐसे और भी प्रोजेक्ट शुरू करने पर विचार कर रही है।
BMC लगाएगा और इलेक्ट्रिक चार्जिंग यूनिट, हाइवे के किनारे बनेंगे चार्जिंग स्टेशन
मुंबई में शुरू हुए रेस्टोरेंट्स और होटलों के बचे हुए खाने से चलने वाला पहला चार्जिंग स्टेशन देश में इस तरह का पहला चार्जिंग स्टेशन है। मुंबई में फूड वेस्ट से बिजली पैदा करने की यह परियोजना हाजी अली के पास स्थित है। ज्यादातर फूड वेस्ट आस-पास के बड़े रेस्टोरेंट और होटल से इकट्ठा किया जाता है। अब तक 1.5 लाख किलोग्राम फूड वेस्ट को प्रोसेस किया जा चुका है। BMC अपने 24 प्रशासनिक वार्डों में से प्रत्येक में ऐसा चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर विचार कर रही है। इस परियोजना का उद्घाटन करते हुए महाराष्ट्र के पर्यावरण और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार हाइवे के किनारे ऐसे और वेस्ट आधारित चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर विचार करेगी। इसके माध्यम से ऑर्गेनिक वेस्ट के बेहतर प्रबंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए चार्जिंग स्टेशन की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी।
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट ने भारत में तेजी से पैर पसारे हैं। लोग इन्हें फ्यूल आधारित वाहनों की रनिंग कॉस्ट की तुलना में ज्यादा किफायती मानते हैं। इसके साथ ही आजकल लोग पर्यावरण को लेकर ज्यादा सजग हो रहे है। जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार बढ़ रहा है, इसे देखते हुए बिजली की मांग भी बढ़ेगी। ऐसे में वेस्ट फूड से बिजली पैदा करने जैसे प्रयोग इस समस्या का समाधान करने में अच्छी भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, बिजली के कुल उत्पादन में वेस्ट आधारित बिजली उत्पादन बहुत कम है, लेकिन सरकार और लोगों के सहयोग से इसे बढ़ाया जा सकता है। इससे ना केवल बिजली का दबाव कम होगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।