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December 4, 2025

मुंबई में ड्रेस कोड विवाद: गोरेगांव के विवेक विद्यालय जूनियर कॉलेज में बुर्का और नक़ाब पर प्रतिबंध

The CSR Journal Magazine
मुंबई के विवेक विद्यालय जूनियर कॉलेज ने बैन किया बुर्का और नक़ाब! छात्राओं का विरोध तेज़, कॉलेज प्रशासन का कहना- “अनुशासन और पहचान के लिए ज़रूरी फैसला”

मुंबई कॉलेज में बुर्का-नक़ाब बैन पर मचा बवाल

मुंबई के गोरेगांव पश्चिम स्थित विवेक विद्यालय जूनियर कॉलेज में बुर्का और नक़ाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद विवाद तेज़ हो गया है। कॉलेज प्रशासन ने नए ड्रेस कोड नियम के तहत कहा है कि कॉलेज परिसर और कक्षाओं में छात्राएं चेहरा ढककर प्रवेश नहीं कर सकेंगी। कॉलेज की नई “Dress Code Circular” में कहा गया है कि सिर्फ ‘Formal/Decency’ वाला कपड़ा पहनना चाहिए। बुर्का, निय़ाब आदि “पूरा चेहरा ढकने वाले धार्मिक वस्त्र” सही नहीं होंगे, जबकि हिजाब (केवल सिर तथा बालों को ढकने वाला Scarf) की अनुमति है।

क्यों लगा प्रतिबंध?

कॉलेज प्रशासन का दावा है कि यह निर्णय किसी धार्मिक कारण से नहीं बल्कि पहचान, अनुशासन और परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। कॉलेज की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि चेहरा ढककर कॉलेज में प्रवेश करने से सुरक्षा और पहचान-सत्यापन में कठिनाई होती है। प्रशासन का दावा है कि कुछ हालिया शैक्षणिक गतिविधियों के दौरान इस मुद्दे ने परेशानी खड़ी की, जिसके बाद यह नियम लागू किया गया। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यह फैसला “Uniformity” (एकरूपता), “Anti-Cheating” (परीक्षा में नकल रोकना) और “Discipline/Dress Code” बनाए रखने के मकसद से है। उन्होंने बताया कि पिछली बार परीक्षा के दौरान एक बुर्का-धारी छात्रा नकल करती पकड़ी गई थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।

छात्राओं का विरोध और भावनात्मक प्रतिक्रिया

कॉलेज के बाहर कई मुस्लिम छात्राओं और संगठनों ने इस आदेश का विरोध किया है। छात्राओं ने आरोप लगाया है कि बिना पूर्व सूचना और उनके विचारों को सुने यह नियम लागू करना अन्यायपूर्ण और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। कुछ छात्राओं ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने हमेशा बुर्का पहनकर पढ़ाई की है, और अचानक उसे हटाना उनके धार्मिक और व्यक्तिगत अधिकारों पर चोट जैसा महसूस होता है।कई छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि यदि वे नियम पालन नहीं करेंगी तो उन्हें कॉलेज में प्रवेश या कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

समुदाय और संगठनों की प्रतिक्रिया

विवाद बढ़ने पर स्थानीय सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस मुद्दे में हस्तक्षेप किया है। Students Islamic Organisation of India (SIO) सहित अन्य मुस्लिम समूहों ने इस नियम को धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि यह नीति मात्र शिक्षा के अधिकार को बाधित नहीं करती, बल्कि धार्मिक समानता (Constitutional Religious Equality) का भी उल्लंघन है। उन्होंने कॉलेज के फैसले को संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता और समान अवसर के अधिकारों के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह नीति शिक्षा के अधिकार को प्रभावित कर सकती है और खास समुदाय की छात्राओं को असहज व असुरक्षित महसूस करा सकती है।

कॉलेज प्रशासन ने दी सफाई

विवाद बढ़ने के बावजूद कॉलेज प्रशासन अपने निर्णय पर कायम है। उनका कहना है कि हिजाब की अनुमति होने का मतलब है कि धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित नहीं की जा रही, परंतु कक्षा में पूरा चेहरा ढकना शिक्षा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के दौरान बाधा उत्पन्न करता है। प्रशासन का कहना है कि नियम सभी छात्रों के लिए समान रूप से लागू हैं और किसी विशेष समुदाय को लक्षित करके नहीं बनाए गए।

कॉलेज का विवाद बना सामाजिक बहस का मुद्दा

इस मामले के बढ़ते तनाव को देखते हुए यह विवाद अब शिक्षा संस्थानों में ड्रेस कोड, धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों की बहस का हिस्सा बन चुका है। विरोध करने वाली छात्राओं ने संकेत दिया है कि अगर कॉलेज ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो वे कानूनी रास्ता अपनाने पर भी विचार करेंगी। कुछ छात्राओं ने कॉलेज के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, वहीं वकील और समाज- राजनीतिक सक्रियों ने कहा है कि यह आदेश संवैधानिक अधिकारों, जैसे कि धर्म की आज़ादी, समानता (Article 14, 15, 25) का उल्लंघन कर सकता है।

कानूनी और सामाजिक मायने

यह विवाद सामाजिक सहिष्णुता, धार्मिक पहचान, व्यक्तिगत आज़ादी और शिक्षा के अधिकार, इन सभी के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में कई मुंबई-आधारित कॉलेजों ने इसी तरह के “ड्रेस-कोड / यूनिफॉर्मिटी” आदेश जारी किए थे, जिन पर अदालतों ने सवाल उठाए हैं। आलोचकों का कहना है कि इस तरह के आदेशों से मुस्लिम लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा मुश्किल हो सकती है , विशेष रूप से उन परिवारों में, जहां बुर्का पहनना धार्मिक विश्वास या पारिवारिक परम्परा होती है।

कॉलेज प्रशासन के अगले कदम पर नज़र

Vivek Vidyalaya & Junior College द्वारा बुर्का और निय़ाब पर लगाया गया प्रतिबंध, जबकि हिजाब को अनुमति देना, एक संवेदनशील और विवादित फैसला है। यह न सिर्फ कॉलेज स्तर की ड्रेस-कोड पॉलिसी है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर “धार्मिक आज़ादी, समानता और शिक्षा के अधिकार” के सवाल भी उठा रही है। गोरेगांव के इस कॉलेज में बुर्का और नक़ाब पर प्रतिबंध का फैसला अब एक प्रशासनिक नियम मात्र नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक, धार्मिक और संवैधानिक बहस का विषय बन चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कॉलेज प्रशासन अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगा या यह मामला अदालत और शासन के स्तर तक पहुंचेगा!
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