आगामी मुंबई महानगरपालिका (BMC Election 2025) और महाराष्ट्र की अन्य स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर दिल्ली में कांग्रेस की एक अहम बैठक हुई है। इस बैठक में संगठन को मजबूत करने और चुनावी रणनीति पर चर्चा की गई। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस आगामी BMC चुनाव महाविकास आघाड़ी (MVA) के साथ लड़ेगी या अकेले इस पर अंतिम फैसला 7 जुलाई को लिया जाएगा।
महाविकास आघाडी से अलग हो सकती है कांग्रेस?
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी मुंबई महानगरपालिका की सत्ता हासिल करना चाहती है। लेकिन MVA गठबंधन में रहते हुए सीटों के बंटवारे में उसे समझौते करने पड़ते हैं, जो पार्टी को मंजूर नहीं है। इसी वजह से पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में दिख रही है। हाल की बैठक में इस मुद्दे पर गहराई से चर्चा हुई है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्नीथला ने साफ कहा है कि BMC और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर पार्टी का अंतिम निर्णय 7 जुलाई को लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए हर महीने बैठकें होंगी और पार्टी के हर कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी जाएगी।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दिए गए निर्देश, तुरंत चुनावी काम में लग जाएं
दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस हाईकमान ने यह निर्देश भी दिए कि सभी कार्यकर्ता तुरंत चुनावी काम में लग जाएं। मुंबई में पार्टी की तैयारियों को तेज करने और बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने के लिए रणनीति बनाई गई है। यह संकेत है कि कांग्रेस पार्टी इस बार BMC में अपना दमखम दिखाने के मूड में है।
सबसे धनी मुंबई बीएमसी पर कांग्रेस की नजर
मुंबई महानगरपालिका देश की सबसे अमीर नगर निकायों में से एक है। यहां की सत्ता किसी भी पार्टी के लिए राजनीतिक और आर्थिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है। कांग्रेस इस बार यहां फिर से पकड़ मजबूत करना चाहती है। अगर पार्टी अकेले चुनाव लड़ती है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव होगा।
क्या MVA में फूट की शुरुआत?
अगर कांग्रेस BMC चुनाव अकेले लड़ती है, तो इसका असर पूरे राज्य में MVA गठबंधन पर भी पड़ सकता है। अभी तक शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस साथ मिलकर MVA के तहत चुनाव लड़ते रहे हैं। लेकिन सीटों के बंटवारे और स्थानीय नेताओं की नाराजगी के चलते कांग्रेस अब इस गठबंधन से अलग राह पकड़ सकती है।
7 जुलाई पर टिकी सबकी निगाहें
अब सबकी नजरें 7 जुलाई की बैठक पर टिकी हैं, जिसमें कांग्रेस यह तय करेगी कि वह BMC और अन्य स्थानीय निकाय चुनाव MVA के साथ लड़ेगी या अकेले। अगर पार्टी अकेले जाने का फैसला करती है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है। दिल्ली में हुई इस अहम बैठक से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस संगठन को मजबूत करने पर पूरा जोर दे रही है। BMC चुनाव को पार्टी एक बड़े मौके के रूप में देख रही है और संभव है कि इस बार वह अकेले मैदान में उतर कर अपनी ताकत आजमाए। 7 जुलाई को कांग्रेस का रुख स्पष्ट होगा, जो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।