मुंबई के उपनगर ठाणे के डोंबिवली में करोड़ों का Phoenix Investments Scam बेनकाब हुआ है, जिसके बाद 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। कम निवेश पर ऊंचे मुनाफे का लालच देकर आरोपियों ने ठगे करोड़ों रुपए!
Phoenix Investments का बड़ा Ponzi Scam
ठाणे जिले के डोंबिवली में एक बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आया है। फीनिक्स इन्वेस्टमेंट (Phoenix Investments) नामक कंपनी द्वारा चलाया जा रहा यह बहु-करोड़ का Ponzi Scheme घोटाला पुलिस ने उजागर किया है। अधिकारियों ने बताया कि कंपनी पिछले तीन से चार सालों से निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर ठगी कर रही थी। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है और कई दस्तावेज जब्त किए हैं।
तीन से चार साल तक चलती रही धोखाधड़ी
फीनिक्स इन्वेस्टमेंट ने डोंबिवली और आसपास के क्षेत्रों में सैकड़ों निवेशकों को निवेश पर 20 से 30 प्रतिशत तक मासिक मुनाफे का वादा किया था। शुरुआत में कंपनी ने कुछ निवेशकों को रिटर्न देकर भरोसा जीत लिया, लेकिन साल 2024 की शुरुआत में भुगतान बंद कर दिया और अचानक संपर्क तोड़ लिया। कंपनी ने लोगों को यह बताया कि उनका पैसा रियल एस्टेट, फॉरेक्स ट्रेडिंग और शेयर मार्केट में लगाया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने फर्जी लाइसेंस, ऑनलाइन वेबसाइट और प्रचार सामग्री तैयार की थी, जिससे निवेशकों को विश्वास हो जाए कि यह एक वैध निवेश संस्था है।
चार आरोपी गिरफ्तार, करोड़ों की ठगी का अंदेशा
ठाणे साइबर पुलिस ने कंपनी के निदेशक समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने मिलकर सैकड़ों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी की है, और यह रकम ₹50 करोड़ से अधिक तक पहुंच सकती है। पुलिस ने कंपनी के बैंक खातों को सील कर दिया है और कई डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं। जब निवेशकों को लंबे समय तक भुगतान नहीं मिला और कंपनी का कार्यालय बंद पाया गया, तब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर जांच शुरू हुई, जिसके बाद पूरा घोटाला सामने आया।
कानूनी कार्रवाई और जांच जारी
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वासघात) और महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरे स्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (MPID) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि कंपनी के अन्य सहयोगियों और एजेंटों की भी तलाश की जा रही है। ठाणे पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी निवेश योजना में पैसा लगाने से पहले कंपनी की कानूनी स्थिति, SEBI और RBI की स्वीकृति की जांच अवश्य करें।
पोंजी स्कीम क्या है
पोंजी स्कीम एक ऐसी निवेश ठगी योजना (Investment Scheme) होती है, जिसमें किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा लोगों को बहुत ऊंचा और गारंटीड मुनाफा देने का वादा किया जाता है। लेकिन असल में, कंपनी निवेश से असली मुनाफा नहीं कमाती, बल्कि, नए निवेशकों से आया पैसा पुराने निवेशकों को लौटाया जाता है ताकि सबको लगे कि योजना सच में लाभदायक है। यानी यह एक Rob Peter to pay Paul वाली चाल होती है, पुराने निवेशक को भुगतान नए निवेशक के पैसे से।
कैसे चलती है पोंजी स्कीम
पोंजी स्कीम चलाने वाले fraudsters लोगों से कहते हैं, ‘अगर आप ₹1 लाख लगाओगे, तो हर महीने ₹10,000 मुनाफा मिलेगा।’ शुरू में कुछ लोगों को सचमुच पैसे मिलते हैं। मुनाफ़ा कमाने वाले लोग दूसरों को बताते हैं कि उन्हें अच्छा रिटर्न मिला। इससे और अधिक लोग निवेश करते हैं। नए लोगों से आया पैसा पुराने लोगों को दे दिया जाता है ताकि स्कीम पर भरोसा बना रहे। कुछ महीनों या सालों बाद, जब नए निवेशक आने बंद हो जाते हैं, तो पैसे का प्रवाह रुक जाता है और स्कीम ढह जाती है, कंपनी अचानक गायब हो जाती है या “तकनीकी दिक्कत” बताकर भुगतान रोक देती है।
पोंजी स्कीम की पहचान कैसे हो
इन योजनाओं में आमतौर पर ये बातें होती हैं:
बहुत ऊंचे रिटर्न का वादा: “हर महीने 20-30 प्रतिशत मुनाफा गारंटीड।”
कम या कोई जोखिम नहीं बताया जाता: “यह पूरी तरह सुरक्षित निवेश है।”
कानूनी अनुमति नहीं होती: कंपनी के पास SEBI या RBI की कोई स्वीकृति नहीं होती।
जल्दी निवेश करने का दबाव: “आज ही पैसा लगाओ, कल स्कीम बंद हो जाएगी।” ऐसा कहकर तुरंत इन्वेस्टमेंट के लिए दबाव बनाया जाता है।
अस्पष्ट बिजनेस मॉडल: यह नहीं बताया जाता कि पैसा कहां और कैसे लगाया जा रहा है।
पोंजी स्कीम का परिणाम
जब पोंजी स्कीम टूटती है, निवेशकों का पैसा पूरी तरह डूब जाता है। मुख्य आरोपी फरार हो जाते हैं।कुछ लोगों को आंशिक रिफंड मिल पाता है, पर ज़्यादातर को भारी नुकसान होता है। पुलिस केस, गिरफ्तारी, और लंबी कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है।
चार्ल्स पोंजी के नाम पर हुआ धोखेबाज़ी का नामकरण
इस धोखाधड़ी का नाम चार्ल्स पोंजी (Charles Ponzi) नामक व्यक्ति के नाम पर पड़ा। 1919 में उसने अमेरिका में Postal Stamp Arbitrage के नाम पर ऐसा ही स्कैम चलाया था। उसने निवेशकों को कहा कि वो 45 दिनों में 50 फीसदी मुनाफा देगा। कुछ समय तक उसने पुराने निवेशकों को नए निवेशकों के पैसे से भुगतान किया, लेकिन आखिरकार उसका झूठ उजागर हो गया। तब से इस तरह की हर धोखाधड़ी को “Ponzi Scheme” कहा जाता है।
कैसे बचें ऐसी पोंजी स्कीमों से
किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले SEBI / RBI / IRDA / MCA की वैधता जांचें। बहुत ऊंचा और गारंटीड रिटर्न सुनकर हमेशा सतर्क रहें। निवेश दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें और किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। सोशल मीडिया या व्हाट्सएप पर चलने वाली अवसर वाली योजनाओं से बचें।
भारत के अब तक के सबसे बड़े पोंजी घोटाले
भारत में बीते दो दशकों में कई बड़े पोंजी स्कैम सामने आए हैं, जिन्होंने लाखों लोगों की मेहनत की कमाई को डुबो दिया। इन योजनाओं में आम जनता को ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर ठगा गया, और जब स्कीमें ढहीं, तो करोड़ों-करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आइए जानते हैं ऐसे कुछ प्रमुख घोटालों की विस्तृत कहानी!
सारधा चिट फंड घोटाला (Saradha Scam, पश्चिम बंगाल)
2008 – 2013 के दौरान पश्चिम बंगाल, असम और ओड़िसा में सारधा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ अस्तित्व में आई। सारधा कंपनी ने छोटे निवेशकों को ऊंचे ब्याज और आकर्षक योजनाओं का लालच दिया। स्थानीय एजेंटों के जरिए लाखों लोगों से लगभग 2,500 करोड़ रुपए इकट्ठा किए गए। लेकिन 2013 में स्कीम ढह गई। हजारों निवेशक बर्बाद हो गए। कंपनी के मालिक सुधीप्त सेन को गिरफ्तार किया गया। इस पोंजी स्कैम से पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल आया, कई नेताओं के नाम घोटाले से जुड़े।
रोज़ वैली स्कैम (Rose Valley Scam, कोलकाता)
2011 – 2016 के दरम्यान पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, त्रिपुरा में रोज़ वैली ग्रुप नामक कंपनी ने पर्यटन, फिल्म, बीमा और निर्माण कारोबार में निवेश के नाम पर लोगों से 17,000 करोड़ से भी अधिक रुपए वसूले। निवेशकों को 15–30 फीसदी रिटर्न का लालच दिया गया। 2016 में ED और CBI की जांच में यह देश के सबसे बड़े पोंजी घोटालों में से एक निकला। कंपनी के चेयरमैन गौतम कुंडू को गिरफ्तार किया गया।
पीएसीएल (PACL/पीयरलेस) घोटाला
1996 – 2014 में भारत का सबसे बड़ा पोंजी घोटाला सामने आया। PACL India Ltd. (जिसे पीयरलेस ग्रुप से जोड़ा गया) कंपनी ने किसानों और छोटे निवेशकों से यह कहकर पैसे लिए कि उनके लिए जमीन खरीदी जाएगी और बाद में उसका मुनाफा मिलेगा। यह पोंजी स्कैम निवेशकों के लगभग 49,000 करोड़ रुपये ले डूबा। SEBI ने 2014 में PACL को फर्जी पाया और उसकी संपत्ति जब्त कर ली। SEBI और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निवेशकों के पैसे की वापसी प्रक्रिया आज भी चल रही है।
अम्मा फ्रॉड स्कीम (Tamil Nadu)
2012 – 2018 पोंजी स्कीम के तहत अम्मा फाइनेंस नाम से ग्रामीण इलाकों में निवेश योजनाएं चलाई गईं। निवेशकों को “हर महीने गारंटीड डबल” करने का वादा किया गया। इसके बाद निवेशकों के 1200 करोड़ रुपए डकारकर कंपनी रातोंरात ग़ायब हो गई। कई राज्यों में FIR दर्ज हुईं, और हजारों निवेशकों की बचत डूब गई।
बिटकॉइन और क्रिप्टो पोंजी स्कैम
2016–2018 में अमित भारद्वाज द्वारा संचालित GainBitcoin ने लोगों के लगभग ₹2,000 करोड़ रुपयों का गबन किया। अमित भारद्वाज ने लोगों से कहा कि वह बिटकॉइन माइनिंग से हर महीने 10 प्रतिशत रिटर्न देंगे। हज़ारों लोगों ने डिजिटल करेंसी में पैसा लगाया। स्कीम ढहने के बाद निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। बाद में भारद्वाज को गिरफ्तार किया गया।
IMA Jewels घोटाला (बेंगलुरु, कर्नाटक)
2016 – 2019 में कर्नाटक, बेंगलुरु में मोहम्मद मंसूर ख़ान द्वारा संचालित IMA Jewels ने लोगों के 4000 करोड़ से ज़्यादा रुपए डूबो दिए। मुस्लिम निवेशकों को “हलाल निवेश” के नाम पर ऊंचे मुनाफे का वादा किया गया। कंपनी बंद हो गई, खान फरार हुआ, बाद में गिरफ्तार किया गया।
पोंजी घोटाले पर कानूनी कार्रवाई और सख्त नियम
इन घटनाओं के बाद सरकार ने “महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (MPID) एक्ट” और “बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स एक्ट (2019)” लागू किया, ताकि ऐसी फर्जी योजनाओं पर रोक लगाई जा सके। लोगों से अपनी मेहनत की कमाई कहीं भी निवेश करने से पहले सावधान रहने की अपील की।
किसी भी स्कीम में निवेश से पहले SEBI, RBI या IRDA की मंजूरी जरूर देखें।
“हर महीने डबल, गारंटीड रिटर्न” जैसे वादों से दूर रहें।
निवेश करने से पहले कंपनी का रजिस्ट्रेशन नंबर और ऑडिट रिपोर्ट जांचें।
सोशल मीडिया या एजेंट के बहकावे में न आएं।
भारत में पोंजी स्कीमें बार-बार अलग-अलग नामों से लौटती रहती हैं, लेकिन उनका पैटर्न हमेशा एक जैसा होता है, लालच का झांसा, झूठा भरोसा और अं त में नुकसान।
सरकार, नियामक संस्थाएं और नागरिक, तीनों की जागरूकता ही इस वित्तीय अपराध को रोक सकती है।
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