“सर बिजली नहीं आती, सिर्फ 3-4 घंटे की सप्लाई है, कारोबार ठप हो गया है, व्यापारी अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया “जय श्रीराम! जय बजरंगबली!”
और फिर बिना एक भी शब्द कहे आगे बढ़ गए। यह वीडियो जब सोशल मीडिया पर आग की तरह फैली और जब बिजली मंत्री की आलोचना हुई तब जाकर अब बिजली विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाई हुई।
शिकायत की तो सुनवाई की जगह मिला धार्मिक नारा
गुरुवार को यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा सुल्तानपुर जिले के सूरापुर कस्बे से होकर जौनपुर जा रहे थे। रास्ते में व्यापारियों ने उन्हें रोककर बिजली संकट को लेकर अपनी पीड़ा सुनाई। उन्होंने बताया कि कस्बे में केवल 3 से 4 घंटे बिजली मिल रही है, जिससे व्यापार चौपट हो गया है। लेकिन मंत्री जी ने समस्याओं की कोई सुनवाई नहीं की। न कोई आश्वासन दिया, न सवाल पूछा, न ही अधिकारी को बुलाया। बल्कि मुस्कुराते हुए “जय श्रीराम” और “जय बजरंगबली” का नारा लगाकर आगे बढ़ गए।
सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
इस पूरी घटना का वीडियो किसी ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया और मंत्री जी पर संवेदनहीनता के आरोप लगने लगे। लोग सवाल करने लगे कि “जब जनता जवाब मांगे, तो क्या नेता भगवान के नाम की आड़ लेकर निकल सकते हैं?”
नतीजा – एक कर्मचारी सस्पेंड, लेकिन असली सवाल बरकरार
वायरल वीडियो से उपजी आलोचना के बाद ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर सफाई दी और बताया कि बिजली विभाग के कादीपुर उपखंड में तैनात तकनीशियन उमांकर यादव को सस्पेंड कर दिया गया है। इस घटना ने एक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है, अगर हर बार जनता की शिकायत पर मंत्री सिर्फ नारे लगाएंगे और नीचे के कर्मचारियों को सस्पेंड कर देंगे, तो सुधार कैसे होगा?
जय श्रीराम’ के नारे जवाब नहीं, जिम्मेदारी है जरूरी
यह पूरा प्रकरण बताता है कि प्रशासनिक जवाबदेही सिर्फ धार्मिक नारों या सोशल मीडिया पोस्ट से नहीं निभाई जा सकती। जनता सवाल कर रही है, और जवाब चाहिए ठोस, जमीनी और ईमानदार। जब मंत्री ही शिकायतों पर आंख मूंद लें, तो लोकतंत्र की आत्मा पर सवाल उठना लाज़मी है। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले को सिर्फ एक वीडियो तक सीमित रखती है या जनता की पीड़ा का स्थायी समाधान ढूंढती है।