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November 8, 2025

Microsoft ने मांगी माफ़ी: Copilot बंडल के नाम पर लाखों उपभोक्ताओं से वसूली, अब करेगा रिफन्ड

The CSR Journal Magazine

 

दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी Microsoft ने अपने लोकप्रिय प्रोडक्ट Microsoft 365 में Copilot AI सुविधा जोड़ने के बाद बढ़ाई गई सदस्यता कीमतों को लेकर माफी मांगी है। कंपनी ने स्वीकार किया है कि उसने कई ग्राहकों को बिना स्पष्ट जानकारी दिए महंगे “AI बंडल प्लान” में शामिल कर दिया था। अब कंपनी ने लाखों उपभोक्ताओं को रिफंड देने का ऐलान किया है।

Copilot बंडल को लेकर Microsoft का माफ़ीनामा

बीते वर्ष अक्टूबर 2024 में Microsoft ने अपने Microsoft 365 Personal और Family प्लान्स में AI Copilot फीचर जोड़ा था। इसके साथ ही सदस्यता शुल्क में लगभग 30 से 45 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी गई थी। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में Personal प्लान की कीमत 109 से बढ़ाकर 159 ऑस्ट्रेलियन डॉलर कर दी गई थी। Family प्लान की फीस में भी करीब 29 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। कंपनी ने उपभोक्ताओं को यह बताया था कि वे नए “Copilot बंडल” प्लान को स्वीकार कर सकते हैं या सदस्यता रद्द कर सकते हैं। लेकिन तीसरा विकल्प, यानी “बिना Copilot वाला सस्ता Classic प्लान”, उपभोक्ताओं से छुपा लिया गया था।

Microsoft के ख़िलाफ़ उपभोक्ता आयोग की कार्रवाई

ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ता आयोग (ACCC) ने Microsoft के खिलाफ जांच शुरू की और पाया कि कंपनी ने उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाला ऑफर दिया। आयोग ने कहा कि “Microsoft ने सस्ते विकल्प की जानकारी पर्याप्त स्पष्टता से नहीं दी, जिससे लाखों ग्राहकों ने महंगा AI प्लान चुन लिया।”आरोपों के बाद कंपनी ने सार्वजनिक बयान जारी करते हुए कहा, “हमें यह महसूस हुआ कि हम सभी ग्राहकों को उचित विकल्प नहीं दिखा पाए। हम पारदर्शिता के अभाव के लिए माफी मांगते हैं।”

Microsoft का बयान और माफी

कंपनी ने अब एक आधिकारिक ईमेल अभियान चलाया है, जिसके ज़रिए 2.7 मिलियन से अधिक ग्राहकोंको यह सूचित किया गया है कि वे चाहें तो “Classic” (बिना Copilot) प्लान पर लौट सकते हैं। Microsoft ने कहा है कि जो ग्राहक पिछले एक साल में नए महंगे प्लान में स्विच हुए हैं, उन्हें अंतर की पूरी राशि लौटाई जाएगी। कंपनी ने यह भी वादा किया है कि रिफंड प्रक्रिया 30 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी। उपभोक्ताओं को 31 दिसंबर 2025 तक पुराने प्लान पर लौटने का विकल्प दिया गया है।

कैसे मिलेगा रिफंड

ग्राहक अपने Microsoft खाते में लॉग इन कर “Manage Subscription” सेक्शन में जाकर पुराने Classic प्लान का चयन कर सकते हैं। रिफंड राशि सीधे उसी भुगतान माध्यम में लौटाई जाएगी, जिससे सदस्यता ली गई थी। यह विवाद टेक इंडस्ट्री में बढ़ती AI आधारित सेवाओं की पारदर्शिता को लेकर एक बड़ा उदाहरण बन गया है। टेक विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियां अब AI टैग लगाकर कीमतें बढ़ा रही हैं, जबकि उपभोक्ताओं को यह नहीं बताया जाता कि उन्हें वास्तव में कौन-सी अतिरिक्त सुविधाएं मिलेंगी। उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम दिखाता है “AI के नाम पर बढ़ाई गई कीमतें अब जांच के दायरे में आएंगी।”

ACCC ने शुरू की आगे की कार्रवाई

ACCC ने कहा है कि Microsoft के खिलाफ जांच अभी जारी है। यदि यह साबित होता है कि कंपनी ने जानबूझकर उपभोक्ताओं को भ्रमित किया, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। फिलहाल Microsoft ने इस मामले को “पारदर्शिता की गलती” बताते हुए अपने सिस्टम में सुधार का वादा किया है। सिडनी विश्वविद्यालय के डिजिटल नीति विशेषज्ञ प्रो. लियाम बेंटन के अनुसार, “यह घटना टेक कंपनियों के लिए चेतावनी है कि AI फीचर के साथ आने वाले उत्पादों में ग्राहकों को पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। AI का नाम लगाकर दाम बढ़ाना उपभोक्ता शोषण के समान है।”

भारत में Microsoft के Copilot विवाद का प्रभाव: उपभोक्ता पारदर्शिता और AI सेवाओं पर उठे सवाल

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में Microsoft द्वारा Copilot बंडल के लिए मांगी गई माफ़ी और रिफंड की घोषणा के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत में भी ऐसा कदम उठाया जा सकता है?
भारत में लाखों उपभोक्ता Microsoft 365 के उपयोगकर्ता हैं जिनमें बड़ी संख्या में कॉर्पोरेट, शिक्षण संस्थान, और फ्रीलांसर शामिल हैं। भारत में Microsoft 365 Personal और Family प्लान्स की वार्षिक सदस्यता भी पिछले एक साल में महंगी हुई है। Copilot फीचर को जोड़ने के बाद कीमतें लगभग ₹5,199 से बढ़कर ₹6,499 (Personal) और ₹6,999 से बढ़कर ₹8,199 (Family) तक पहुंच गईं।

भारत में भी भ्रमित रहे उपयोगकर्ता

हालांकी कंपनी ने भारत में क्लासिक (बिना AI) प्लान्स को औपचारिक रूप से हटाया नहीं है, लेकिन उन्हें प्रचारित भी नहीं किया गया, ठीक वैसा ही जैसा ऑस्ट्रेलिया में हुआ। कई उपयोगकर्ताओं को यह समझ नहीं आया कि वे “AI बंडल” ले रहे हैं या नहीं।अगर भारतीय नियामक एजेंसियां, जैसे कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) या उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) इस मामले का संज्ञान लें, तो Microsoft को भारत में भी स्पष्टीकरण या रिफंड नीति लागू करनी पड़ सकती है।

भारतीय कानून के तहत स्थिति

भारत में Consumer Protection Act, 2019 के तहत किसी भी डिजिटल सेवा प्रदाता को यह सुनिश्चित करना होता है कि —
उपभोक्ता को सभी विकल्प स्पष्ट रूप से बताए जाएं ।
किसी उत्पाद या सेवा की वास्तविक कीमत और फीचर में पारदर्शिता रखी जाए।
किसी प्रकार का “भ्रामक व्यापार व्यवहार” (Misleading Trade Practice) न किया जाए।
यदि यह साबित होता है कि कंपनी ने ग्राहकों से AI बंडल के नाम पर अधिक शुल्क वसूला और विकल्प नहीं दिखाए, तो यह कानून का उल्लंघन माना जा सकता है।

भारतीय उपभोक्ता क्या कर सकते हैं

अगर भारत में भी कुछ उपयोगकर्ताओं को महसूस होता है कि उन्हें बिना स्पष्ट विकल्प के Copilot प्लान में शामिल किया गया, तो वे-
1. Microsoft India Customer Support से रिफंड या पुराने प्लान पर लौटने का अनुरोध कर सकते हैं।
2. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH 1915) या Consumer Protection Portal (https://consumerhelpline.gov.in) पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
3. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर “क्लासिक Microsoft 365” प्लान की उपलब्धता की जानकारी मांग सकते हैं।

विशेषज्ञों की राय

डिजिटल नीति विशेषज्ञ प्रो. अर्पिता घोष (IIT खड़गपुर) का कहना है, “भारत में डिजिटल उत्पादों का नियमन अब पहले से कहीं ज़्यादा आवश्यक हो गया है। जब कंपनियां AI के नाम पर कीमतें बढ़ाती हैं, तो उन्हें ग्राहक को यह बताना चाहिए कि उसे असल में क्या अतिरिक्त सुविधा मिल रही है।”
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट के वकील अमिताभ नाथ कहते हैं, “Microsoft जैसी कंपनियां डिजिटल सब्सक्रिप्शन को विदेशी शर्तों पर चलाती हैं। लेकिन भारतीय उपभोक्ता कानून के अनुसार, यदि कीमत बढ़ाने का कारण स्पष्ट नहीं बताया गया तो उपभोक्ता मुआवजे का हकदार है।”

सरकार की संभावित भूमिका

भारत सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण प्रकोष्ठ भविष्य में इस तरह के मामलों में दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं। AI सेवाओं की कीमतों और पारदर्शिता को लेकर एक राष्ट्रीय नीति (AI Pricing & Transparency Guidelines) बनने की संभावना जताई जा रही है।

डिजिटल युग का Wake-Up-Call

Microsoft की माफ़ी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि AI आधारित सेवाओं के प्रचार और मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता अब अनिवार्य है। भारत में भी यह मुद्दा केवल Microsoft तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि Google, Adobe, Zoom, और अन्य क्लाउड सेवा प्रदाताओं पर भी निगाहें टिक सकती हैं। उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिहाज़ से यह घटना डिजिटल युग की “वेक-अप कॉल” साबित हो सकती है। Microsoft का यह कदम स्वीकारोक्ति का प्रतीक माना जा रहा है। लाखों ग्राहकों को रिफंड देने की घोषणा के साथ कंपनी ने यह संकेत दिया है कि भविष्य में AI आधारित उत्पादों की कीमत और पारदर्शिता दोनों पर ध्यान देना होगा।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना आने वाले समय में अन्य टेक कंपनियों के लिए भी सावधानी का सबक बनेगी। AI के नाम पर बढ़ती कीमतें उपभोक्ता की जेब पर बोझ हैं। तकनीक तभी सार्थक है जब वह पारदर्शिता और समानता के सिद्धांतों पर आधारित हो।
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