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April 2, 2025

च्युइंग गम चबाने से शरीर में बढ़ता Microplastic, बढ़ता कैंसर का खतरा

Microplastic: वैज्ञानिकों की टीम ने चेताया है कि जो लोग अक्सर  Chewing Gum चबाते रहते हैं उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। अध्ययन में पाया गया है कि Chewing Gum चबाने से शरीर में सैकड़ों Microplastic रिलीज होते हैं जो समय के साथ बढ़ते जाते हैं। इससे Cronic बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। दुनियाभर में बढ़ती Cronic बीमारियों के लिए लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी को प्रमुख कारण बताया जाता रहा है। कई पर्यावरणीय स्थितियां भी हैं जो समय के साथ बीमारियों के खतरे को बढ़ा रही हैं। कई अध्ययन लगातार अलर्ट करते रहे हैं कि इंसानी शरीर में Microplastic की मात्रा बढ़ती जा रही है, जिसपर अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो ये आने वाले दशकों में इंसान के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।

Chewing Gum चबाने की आदत बढ़ा न दे मुश्किल

23-27 मार्च को आयोजित American Chemical Society (ACS) की एक बैठक में इस अध्ययन की रिपोर्ट पर चर्चा की गई, जिसमें शोधकर्ताओं ने Chewing Gum चबाने की आदत को सेहत के लिए बेहद समस्याकारक बताया है। अध्ययन में पाया गया कि केवल एक ग्राम च्युइंग गम से औसतन 100 Microplastics रिलीज हो सकते हैं, वहीं कुछ से 600 से अधिक सूक्ष्म प्लास्टिक भी निकलते पाए गए हैं। एक व्यक्ति जो साल में लगभग 180 Chewing Gum चबाता है, वह 30,000 Microplastics निगल सकता है। पांच ब्रांड के सिंथेटिक और पांच प्राकृतिक गम के परीक्षण में पाया गया है कि इन दोनों में Microplastics की मौजूदगी थी।

रोजमर्रा की चीजों में Microplastics

यह अध्ययन ऐसे समय में किया गया है जब शोधकर्ता शरीर में Microplastics की बढ़ती मात्रा को लेकर पहले से बहुत चिंतित हैं। रसोईघरों में इस्तेमाल होने वाले सामनों से लेकर Plastic की बोतल तक, सभी के माध्यम से शरीर में इस खतरे को बढ़ते हुए देखा जा रहा है। यहां तक कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसमें भी Microplastic की मौजूदगी देखी गई है। इससे पहले के अध्ययन में हमारे Lungs, रक्त और मस्तिष्क के अंदर भी Microplastic की मौजूदगी को लेकर अलर्ट किया गया था जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर होने का खतरा हो सकता है।सुपरमार्केट में बिकने वाली सबसे आम Chewing Gum को Synthetic गम कहा जाता है, जिसमें चबाने लायक प्रभाव लाने के लिए पेट्रोलियम आधारित Polymer मिलाए जाते हैं। हालांकि पैकेजिंग में Ingredients की लिस्ट में किसी भी तरह के प्लास्टिक की सूची नहीं दी जाती है। Britain के Portsmouth University के शोधकर्ता David Jones ने कहा कि वे इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि अध्ययनों में कुछ ऐसे Plastic भी मिले हैं जिनके बारे में ज्ञात ही नहीं था कि वे इन गम्स में हो सकते हैं।

मस्तिष्क में बढ़ता Microplastic चिंता का कारण

शोधकर्ताओं ने बताया कि प्लेसेंटा, रक्त, ब्रेस्ट मिल्क, लिवर-किडनी के साथ इंसानों के मस्तिष्क में भी Microplastic की मात्रा बढ़ती हुई देखी गई है। Brain में माइक्रोप्लास्टिक के कारण मस्तिष्क की मूल संरचना में बदलाव हो रहा है, जिसके चलते Dementia के अलावा Stroke और Heart Attack से मौत का जोखिम 4.5 गुना तक बढ़ सकता है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि ब्रेन में Microplastic की उपस्थिति Blood-Brain Barrier को प्रभावित कर सकती है जिसके दुष्परिणाम काफी चिंताजनक हो सकते हैं। Blood Brain Barrier रक्त और मस्तिष्क के बीच एक झिल्ली नुमा अवरोधक पट्टी होती है, जो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने से बचाती है। वैज्ञानिकों ने अलर्ट किया है कि Liver और Kidney की तुलना में मस्तिष्क में कहीं अधिक मात्रा में प्लास्टिक के अति सूक्ष्म कण जमा हो रहे हैं, और भविष्य में इसके गंभीर जोखिम हो सकते हैं। इसी तरह एक अध्ययन में मां के दूध में भी Microplastic पाया गया था। स्तन के दूध में माइक्रोप्लास्टिक मिलने के पहले एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने मानव रक्त में भी Microplastic पाए जाने को लेकर अलर्ट किया था।

Plastic का इस्तेमाल कितना खतरनाक

स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार प्लास्टिक के Containers से खाना खाने और प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने से बचने की चेतावनी देते रहे हैं। प्लास्टिक की चीजों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण न सिर्फ शरीर में Microplastic की मात्रा बढ़ती जा रही है, साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए बिस्फेनॉल ए (BPA) नामक रसायन भी चिंता का कारण बना हुआ है।
नमक और चीनी चाहे पैक्ड हों या अनपैक्ड, लगभग सभी में Microplastics पाए गए हैं। गौरतलब है कि माइक्रोप्लास्टिक्स को कैंसर के प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है।

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