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September 5, 2025

MHADA Lokshahi Din: म्हाडा का 13वां लोकशाही दिवस 15 सितंबर को, नागरिकों की शिकायतों का होगा तुरंत समाधान

The CSR Journal Magazine
MHADA Lokshahi Din: महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) की ओर से 13वां लोकशाही दिन सोमवार, 15 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से म्हाडा मुख्यालय, बांद्रा (पूर्व) के चौथे मंजिल पर स्थित सभागार में होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता म्हाडा के उपाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय जायसवाल (Sanjeev Jaiswal, IAS VP and CEO, MHADA) करेंगे। जनवरी 2024 से म्हाडा के संजीव जायसवाल ने यह परंपरा शुरू की है कि हर महीने के दूसरे सोमवार को “लोकशाही दिन” मनाया जायेगा। अब तक 12 लोकशाही दिन सफलतापूर्वक आयोजित किए जा चुके हैं और 13वां आयोजन इसी क्रम में होने जा रहा है।

MHADA Lokshahi Din में शिकायतों पर तुरंत निर्णय, लोगों में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ा

लोकशाही दिन में नागरिकों की शिकायतें और आवेदन सीधे संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में सुने जाते हैं। खुली चर्चा के बाद वहीं पर तुरंत निर्णय भी लिया जाता है। इससे वर्षों से लंबित कई मामले निपटाए जा चुके हैं और लोगों को तेज, पारदर्शी और आसान न्याय मिल रहा है। इस पहल से म्हाडा प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है। नागरिकों में यह विश्वास बना है कि उनकी समस्याओं का समाधान गंभीरता से किया जाएगा। प्रत्येक लोकशाही दिन से पहले संजीव जायसवाल पिछली बैठकों में उठाए गए मुद्दों की प्रगति की भी समीक्षा करते हैं। इससे अधिकारियों पर जवाबदेही और तेजी से काम करने का दबाव रहता है।

MHADA Lokshahi Din में कौन-सी शिकायतें मानी जाएंगी

म्हाडा प्रशासन ने बताया कि लोकशाही दिन में केवल उन्हीं शिकायतों को स्वीकार किया जाएगा जो सीधे तौर पर आवास और विकास से जुड़ी हों। लेकिन न्यायालय में चल रहे मामले, राजस्व/अपील्स, सेवा और आस्थापना से जुड़े मुद्दे, अधूरे या बिना जरूरी दस्तावेजों के आवेदन और पहले से हल किए जा चुके मामलों पर दोबारा किए गए आवेदन स्वीकार नहीं होंगे। ऐसे आवेदन आठ दिनों के भीतर संबंधित विभाग को भेज दिए जाएंगे और उसकी जानकारी आवेदक को भी दे दी जाएगी।

नागरिकों से अपील

म्हाडा ने नागरिकों से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा लोग लोकशाही दिन में हिस्सा लें और अपनी समस्याओं का समाधान कराएं। यह दिन सिर्फ शिकायत निवारण का मंच नहीं, बल्कि नागरिक और प्रशासन के बीच विश्वास की डोर को मजबूत करने का भी जरिया बन गया है।

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