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March 13, 2025

ठाठ से निकलेगी ‘लाट साहब’ की सवारी! जुलूस से पहले तिरपाल से ढकी गईं मस्जिदें! 

भैंसा गाड़ी पर ठाठ से निकलेगी ‘लाट साहब’ की सवारी, जूते- चप्पलों से होगी खातिरदारी! जुलूस से पहले तिरपाल से ढकी गईं मस्जिदें!  Uttar Pradesh में हर साल Holi के त्योहार पर संपन्न होने वाली इस परंपरा को ‘लाट साहब’ ‘Laat Sahab’ का जुलूस कहते हैं। इस जुलूस के निकलने से पहले शहर की सभी मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया जाता है, ताकि इन्हें रंग से बचाया जा सके।
Uttar Pradesh के Shahjahanpur में एक ऐसी परंपरा है जो देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में एक अनोखी परंपरा के रूप में जानी जाती है। प्रत्येक वर्ष Holi के त्योहार पर संपन्न होने वाली इस परंपरा को ‘Laat Sahab’ का जुलूस कहते हैं। इस जुलूस के निकलने से पहले शहर की सभी मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया जाता है, ताकि इन्हें रंग से बचाया जा सके। यह जुलूस इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि इस जुलूस में एक व्यक्ति को ‘लाट साहब’ बनाकर भैंसा गाड़ी पर बिठाया जाता है और Laat Sahab को जूते मारते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है। इसके बाद Shahjahanpur के बाबा विश्वनाथ मंदिर में ‘लाट साहब’ से पूजा अर्चना करवा कर माथा भी टेकना पड़ता है। महानगर में निकलने वाले बड़े और छोटे लाट साहब के इन प्रमुख दो जुलूसों के लिए जिला और पुलिस प्रशासन दो माह पहले से ही तैयारी शुरू कर देता है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ जिले के सभी जुलूसों को सकुशल संपन्न कराने के लिए पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा PAC/RAF के साथ-साथ लगभग 3500 पुलिस बल के जवानों को तैनात किया जा रहा है।

कौन हैं ये ‘Laat Sahab’

Laat Sahab यानी ब्रिटिश शासन के क्रूर अफसर! होली पर जुलूस निकाल कर उन्हीं का विरोध किया जाता है। ये लाट साहब, होली के नवाब होते हैं। Laat Sahab को जूतों की माला पहनाई जाती है, शराब पिलाई जाती है और फिर गुलाल के साथ उन पर चप्पल-जूते भी बरसाए जाते हैं। उन्हें बैलगाड़ी पर बिठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है। शाहजहांपुर की बात करें तो हर साल होली से पहले स्थानीय लोग मिलकर एक ‘Laat Sahab’ या ‘नवाब’ चुनते हैं। एक दिन पहले से ही उनकी खातिरदारी शुरू हो जाती है और उन्हें नशा कराया जाता है। होली के दिन जुलूस पहले शहर कोतवाली पहुंचता है, जहां उसे सलामी दी जाती है। फिर ये जुलूस शहर के जेल रोड से थाना सदर बाजार और Town Hall मंदिर होते हुए गुजरता है।

Laat Sahab को दी जाती है चाक चौबंद सलामी

चौक से निकलने वाले Laat Sahab के जुलूस को कोतवाली के अंदर सलामी दी जाती है, उसके बाद नवाब यानी ‘लाट साहब’ कोतवाली पहुंचते हैं, जहां पूरे वर्ष का लेखा-जोखा कोतवाल से मांगा जाता है। इस दौरान कोतवाल द्वारा लाट साहब को नजराना पेश किया जाता है। इसके बाद जुलूस की शुरुआत होती है। वर्तमान में Holi पर चौक से ‘बड़े लाट साहब’ और सरायकाइयां से ‘छोटे लाट साहब’ के जुलूस सहित, अजीजगंज और बहादुरगंज में भी जुलूस निकाले जाते है। लाट साहब के जुलूस के लिए जिला प्रशासन की ओर से भारी भरकम तामझाम और व्यवस्थाएं की जाती हैं। लाट साहब का जुलूस जिन मार्गों से होकर गुजरता है, उन मार्गों पर बल्ली और तारों वाला जाल लगाकर गलियों को बंद कर दिया जाता है, जिससे कि लाट साहब के जुलूस में मौजूद लोग किसी गली में ना घुसें और शहर में अमन चैन कायम रहे। इसके अतिरिक्त Laat Sahab के रूट पर पड़ने वाले सभी धर्म स्थलों को बड़े-बड़े तिरपालों से ढक दिया जाता है और हर धर्म स्थल पर पुलिस के जवानों को मुस्तैदी से तैनात रहते हैं।

शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर

Laat Sahab के जुलूस के साथ कई थानों की Police Force, PAC, Rapid Action Force को भी तैनात किया जाता है। शहर के चप्पे-चप्पे पर कैमरों और ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जाती है, जिससे कि शरारती तत्वों की पहचान की जा सके और जुलूस के दौरान कोई हुड़दंग न मचे। महानगर को सेक्टर के हिसाब से विभाजित कर Static Magistrate की तैनाती की जाती है। लाट साहब के जुलूस के लगभग 2 महीने पहले ही प्रशासन सभी रूटों का निरीक्षण करता है। सड़क और बिजली के तारों में जहां भी कोई कमी नजर आती है, उसे तत्काल दुरुस्त कराया जाता है, जिससे Laat Sahab का जुलूस जल्द से जल्द बिना किसी अड़चन के सकुशल संपन्न कराया जा सके।

Sambhal की शाही जामा मस्जिद भी ढकी गई

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज़िला Sambhal में होली के मौक़े पर शहर की क़रीब नौ मस्जिदों के सड़क की ओर वाले हिस्से को प्लास्टिक के तिरपालों से ढक दिया गया है। होली पर शांति व्यवस्था भंग न हो, इसलिए हर साल की तरह इस साल भी संवेदनशील इलाकों में मस्जिदों को ढका जा रहा है। प्रशासन का तर्क है कि होली के जुलूस या फिर होली खेलने के दौरान मस्जिदों में रंग गिरता है तो उससे तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इस तनाव से बचने के लिए ही एक एहतियाती क़दम उठाया गया और मस्जिदों के सड़क की ओर वाले बाहरी हिस्सों को ढक दिया गया। साल 2022 में संभल में एक मस्जिद पर होली का रंग गिरने से तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। इस बार ऐसा न हो, इसके लिए जुलूस क्षेत्र में पड़ने वाली शहर की नौ मस्जिदों को तिरपालों से ढका गया है। सुरक्षा के भी पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं। बिजनौर के धामपुर में कुछ साल पहले एक मस्जिद में होली पर रंग डाल दिया गया था। इससे काफ़ी तनाव हो गया था।

स्वेच्छा से ढकी जा रही मस्जिदें

 Sambhal में पिछले साल 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान बवाल हुआ था, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इस घटना के बाद संवेदनशील जानकर Sambhal में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अब रमजान और होली का पर्व साथ है, जिसे लेकर पुलिस प्रशासन और सर्व समाज के लोग अमन कमेटी की बैठक में त्योहारों को शांतिपूर्वक मनाने की अपील कर रहे हैं। वही, 14 मार्च यानी जुमे के दिन होली की वजह से पुलिस प्रशासन कई दिन पहले से ही तैयारी में जुटा हुआ है। सभी समुदायों के लोगों के साथ शांति समिति की बैठक की जा रही है। सदर कोतवाली में ASP श्रीश चंद्र की मौजूदगी में सर्व समाज की बैठक की गई, जिसमें निर्णय लिया गया कि होली के जुलूस वाले मार्गों पर आने वाली मस्जिदों को तिरपाल से ढका जाएगा। ASP श्रीश चंद्र ने बताया कि संभल के नगरीय क्षेत्र में पड़ने वाले धार्मिक स्थलों के मुतवल्लियों की मीटिंग हुई थी, जिसमें सर्वसम्मति से शहर की सभी मस्जिदों को ढकने का निर्णय लिया गया। मस्जिदों को ढकने का काम मस्जिद कमेटियों की तरफ से किया जा रहा है, जो कि यमन शांति का एक अच्छा प्रयास है।
शहर में स्थित इन मस्जिदों को तिरपाल से ढका गयाः एक रात वाली मस्जिद, शाही जामा मस्जिद, लदनिया मस्जिद, गोल मस्जिद, अनारी वाली मस्जिद , खजूरो वाली मस्जिद, गुरुद्वारा रोड मस्जिद, बाजार मंडी वाली मस्जिद, थाने वाली मस्जिद।

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