मराठा समाज की ऐतिहासिक लड़ाई, सरकार-आंदोलनकारी आमने-सामने
Maratha Reservation: मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र की सरकार आंदोलनकारियों के सामने झुक गयी है। आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे पाटिल पिछले कई दिनों से मुंबई में अनशन कर आरक्षण की मांग को लेकर डटे हुए थे। आज जाकर सभी आंदोलनकारियों को सफलता मिली है। Manoj Jarange के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन ने न केवल राज्य की सियासत को हिला दिया है बल्कि समाज में भी गहरी बहस छेड़ दी है। जरांगे पाटिल और सरकार के बीच हुई लंबी बैठक में कई अहम फैसले सामने आए। सरकार ने उनकी कई प्रमुख मांगें मान ली, जबकि कुछ पर फिलहाल प्रक्रिया जारी है।
Maratha Reservation की कौन-कौन सी मांगें मान ली गईं?
हैदराबाद गजेट लागू करना – सरकार ने फैसला किया है कि पुराने हैदराबाद गजेट को लागू किया जाएगा। इसके तहत मराठा समाज को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र लेने का अधिकार मिलेगा। इससे हजारों परिवार सीधे आरक्षण के दायरे में आ सकेंगे।
सातारा और औंध गजेट पर निर्णय – जरांगे पाटिल की मांग थी कि सातारा और औंध गजेट भी लागू किए जाएं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि कानूनी जांच के बाद 15 दिन से एक महीने के भीतर इस पर निर्णय लिया जाएगा।
आंदोलनकारियों पर दर्ज केस वापस लेना – आंदोलन के दौरान हजारों युवाओं पर केस दर्ज हुए थे। सरकार ने ऐलान किया है कि सितंबर के अंत तक सभी केस वापस ले लिए जाएंगे।
शहीद परिवारों को मदद और नौकरी – आंदोलन के दौरान कई युवाओं ने आत्महत्या कर ली। अब तक 15 करोड़ रुपये की मदद दी जा चुकी है। बाकी परिवारों को एक हफ्ते में मदद दी जाएगी और उनके वारिसों को ST बस सेवा में नौकरी मिलेगी।
ग्राम पंचायत रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण – जाति से जुड़ी करीब 58 लाख एंट्रियों का रिकॉर्ड गांव-गांव की पंचायतों में उपलब्ध कराया जाएगा। इससे प्रमाणपत्र लेने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। हर सोमवार को जिलाधिकारी इसकी समीक्षा करेंगे।
Maratha Reservation: किन मुद्दों पर अभी फैसला बाकी है?
सरकारी आदेश से मराठा – कुणबी का ऐलान – जरांगे पाटिल की सबसे बड़ी मांग यह थी कि सरकार आदेश जारी करके हर मराठा को कुणबी घोषित करे। लेकिन सरकार का कहना है कि यह कानूनी और तकनीकी तौर पर जटिल है। इसके लिए कम से कम दो महीने का समय लगेगा।
सगे-संबंधियों के प्रमाणपत्र का मुद्दा – जरांगे पाटिल ने कहा कि अगर किसी के रिश्तेदार को कुणबी प्रमाणपत्र मिला है तो बाकी परिवार को भी मिलना चाहिए। इस पर अब तक 8 लाख आपत्तियां आई हैं। इन्हें निपटाने में वक्त लगेगा।
जरांगे पाटिल का बयान, मुंबई का आंदोलन खत्म हुआ
बैठक के बाद जरांगे पाटिल ने कहा कि हमने सरकार से साफ कहा है कि आधे-अधूरे फैसले समाज को मंजूर नहीं होंगे। सरकार ने कई कदम उठाए हैं, यह सकारात्मक है, लेकिन अभी लंबा रास्ता बाकी है। अगर तय समय में सभी वादे पूरे नहीं किए गए तो आंदोलन फिर से और मजबूती के साथ शुरू होगा। फिलहाल मुंबई का आंदोलन खत्म हो गया है और सभी आंदोलनकारी आज रात तक मुंबई से लौट जायेंगे।
आंदोलन का असर और राजनीति
मराठा आरक्षण का मुद्दा हमेशा से महाराष्ट्र की राजनीति का बड़ा सवाल रहा है। ग्रामीण इलाकों में मराठा समाज की बड़ी संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह मांग बेहद अहम हो जाती है। बीते सालों में कई बार आंदोलन उग्र हुआ और युवाओं ने जान तक दी। मराठा समाज की नाराजगी का असर विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी पड़ता है। सरकार चाहती है कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से खत्म हो, लेकिन जरांगे पाटिल की सख्ती से साफ है कि यह मुद्दा जल्द हल नहीं होगा।
Maratha Reservation के मामले में आगे की राह क्या होगी
सरकार और जरांगे पाटिल दोनों ने ही अभी बातचीत का रास्ता खुला रखा है। लेकिन यह साफ है कि अगर समय सीमा में वादे पूरे नहीं हुए तो आंदोलन फिर से सड़कों पर उतर सकता है। फिलहाल, मराठा समाज को राहत जरूर मिली है, लेकिन उनका संघर्ष पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। आने वाले दो महीने इस आंदोलन और महाराष्ट्र की राजनीति के लिए निर्णायक साबित होंगे।
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