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September 1, 2025

मनोज जरांगे के मराठा आंदोलन ने रोकी मुंबई की रफ्तार 

The CSR Journal Magazine
मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार समय बर्बाद करने की रणनीति अपना रही है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशनरत मनोज जरांगे ने चौथे दिन से पानी पीना बंद कर दिया है। मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि सरकार समाधान पर काम कर रही है जो अदालत में टिक सके। मनोज जरांगे ने समर्थकों से शांति बनाए रखने और हंगामा, उपद्रव न करने की अपील की।

मुंबई पहुंचे मराठा आंदोलन से थमी शहर की रफ़्तार 

मुंबई में मराठा आंदोलन के चौथे दिन मुंबईकरों की चिंता बढ़ गई है कि यदि हल नहीं निकला तो मुंबई में क्या होगा क्यूंकि इस मुंबई में इस समय गणेशोत्सव के त्योहार के चलते एक ओर जहां सड़कें पंडालों और विसर्जन के चलते व्यस्त हैं, वहीं दूसरी ओर सड़कों पर मराठा आंदोलनकारियों की भीड़ भी है। आजाद मैदान में मराठा नेता मनोज जरांगे के आंदोलन के चलते दक्षिण मुंबई में ट्रैफिक की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। महाराष्ट्र के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने सोमवार को कहा कि सरकार मराठा आरक्षण मुद्दे के समाधान के लिए काम कर रही है जो अदालत में सही साबित होगा।

मनीज जरांगे ने छोड़ा पानी

दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनशन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत आरक्षण देने की अपनी मांग को लेकर अपने आंदोलन के चौथे दिन सोमवार से पानी पीना बंद करने का संकल्प लिया है। मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग कर रहे जरांगे ने रविवार को कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं करती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। जरांगे ने कहा, ‘सोमवार से मैं पानी पीना बंद कर दूंगा, क्योंकि सरकार मेरी मांगें नहीं मान रही है। बिना आरक्षण मैं वापस नहीं जाऊंगा। हमारी मांग संवैधानिक रूप से वैध है।’ मनोज जरांगे ने कहा कि सरकार के पास ऐसे रिकॉर्ड हैं जो दर्शाते हैं कि कुनबी और मराठा एक ही जाति के हैं। उन्होंने 29 अगस्त को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी और आज उनका विरोध प्रदर्शन चौथे दिन में प्रवेश कर गया है।

सरकार मराठा आरक्षण समाधान के लिए चर्चा करेगी

मराठा आरक्षण मुद्दे पर कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख विखे पाटील ने रविवार रात स्थिति पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। मंत्री ने कहा कि हम इस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं। मैं मानता हूं कि इसमें समय लग रहा है, लेकिन, समाधान ऐसा होना चाहिए जो अदालतों में टिक सके। राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुंबईवासियों की दिनचर्या प्रभावित नहीं हो क्योंकि इससे उनके आंदोलन की छवि धूमिल होगी। गतिरोध खत्म करने की सरकार की योजना पर चर्चा के लिए सीएम फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शरद पवार से मुलाकात कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि OBC श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे जरांगे ने सरकार से उपलब्ध रिकॉर्ड पर आधारित आरक्षण के आधार पर सरकारी आदेश (जीआर) जारी करने की मांग की है।

जरांगे-फड़नवीस सरकार आमने- सामने

महाराष्ट्र में एक बार फिर से मराठा आरक्षण की लड़ाई पेचीदा होती जा रही है। मनोज जरांगे पाटिल को मुंबई पुलिस ने सोमवार को आजाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दे दी है। जरांगे ने रविवार को मांग रखी कि सीएम देवेंद्र फडणवीस उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर मराठा आरक्षण के लिए सरकारी आदेश जारी करें। एक तरफ जरांगे जहां पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, वहीं फडणवीस सरकार में मंत्री और राज्य में OBC के बड़े नेता छगन भुजबल भी एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने मनोज जरांगे पाटिल के मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच सोमवार को OBC नेताओं की बैठक बुलाई है, क्योंकि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय के लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। भुजबल की अगुवाई में यह बैठक आज सोमवार को होगी। भुजबल ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली समता परिषद और अन्य ओबीसी संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है।

मनोज जरांगे बनाम छगन भुजबल

भुजबल ने राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार द्वारा मराठों के लिए कुछ नहीं किए जाने की आलोचना पर कहा कि कालेलकर आयोग और बाद में मंडल आयोग ने मराठों को पिछड़े समुदाय में शामिल नहीं किया है। एक मुख्यमंत्री आयोग की सिफारिशों को लागू कर सकता है लेकिन अपनी मर्जी से जातियों को शामिल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि यहां तक कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि कुनबी और मराठा एक समान नहीं हैं। जरांगे की मांग है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत कोटा दिया जाए। इसके लिए वह मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए जो एक कृषि प्रधान जाति है और ओबीसी श्रेणी में शामिल है, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बनेंगे।

क्या है जरांगे की मांग

मनोज जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में अपनी भूख हड़ताल शुरू की। उनके साथ बड़ी संख्या में लोग आजाद मैदान और आसपास एकत्रित हुए हैं। जरांगे की मांग है कि सभी मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल किया जाए ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिल सके। जरांगे ने कहा है कि अभी सरकार से बातचीत करना हमारा काम नहीं है। वे मराठा समुदाय को बर्बाद करना चाहते हैं। वे हमें आरक्षण नहीं देना चाहते। सरकार मराठा समुदाय को बर्बाद करना चाहती है। अगर वे एक दिन का परमिट दे सकते हैं तो वे स्थायी परमिट भी दे सकते हैं। पुलिस ने शनिवार तक के लिए उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी, जबकि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रदर्शन चलता रहेगा, पुलिस परमिशन दे या न दे। जरांगे ने धमकी देते हुए कहा कि आने वाले कुछ दिनों में और लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। मैं अब पीछे नहीं हटूंगा। मैं मराठा आरक्षण के लिए गोली खाने को तैयार हूं। अगर मुझे सलाखों के पीछे डाला गया तो मैं जेल में भी अपनी भूख हड़ताल जारी रखूंगा।

कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल

मनोज जरांगे पाटिल मराठा आरक्षण के लिए जाने जाते हैं। वे मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के मटोरी गांव के रहने वाले हैं। 15 साल पहले मराठा आरक्षण आंदोलन में हिस्सा लिया था। इसके बाद सितंबर 2023 में अंतरवाली-सारती गांव में उन्होंने भूख हड़ताल की थी, तब वे चर्चाओं में आए थे।
मनोज जरांगे की तीन बेटियां और एक बेटा है। वे अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। उनके माता-पिता किसान हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। गरीब परिवार से होने के कारण कई बड़ी कठिनाइयों के बाद भी उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी। उनका कहना है कि अगर मराठा समुदाय के छात्रों को आरक्षण मिले तो मराठा छात्रों को अच्छी और कम फीस वाली शिक्षा मिल सकेगी। मनोज जरांगे पाटिल की मराठा हितों के लिए लड़ाई के कारण पहले भी महाराष्ट्र सरकार और सत्तारूढ़ दलों को उनकी मांगों पर ध्यान देने और टकराव से बचने के लिए अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हमेशा सफेद कपड़ों और केसरिया पटका पहने नजर आने वाले इस दुबले-पतले कार्यकर्ता की आक्रामक मुद्रा ने राजनीतिक दिग्गजों को सतर्क कर दिया है।

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