Elon Musk की वाहन निर्माता कंपनी Tesla Inc. ने हाल ही में अपनी दो प्रमुख वाहन-प्रोग्रामिंग से जुड़े प्रबंधकों के इस्तीफों की घोषणा की है, जो कंपनी के भारत सहित वैश्विक अभियानों के लिए संकेत के रूप में देखे जा रहे हैं। कंपनी के ट्रक प्रोजेक्ट Cybertruck के अवस्थी ने 8 साल से अधिक समय बाद इस्तीफा दिया है। उसी दिन (या उसी करीब) Model Y प्रोग्राम के मुखिया, Emmanuel Lamacchia ने भी पद छोड़ने की घोषणा की।
Tesla को बड़ा झटका- 2 वरिष्ठ अधिकारियों ने छोड़ा कंपनी का साथ
दुनिया की सबसे चर्चित इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला (Tesla Inc.) को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। कंपनी के दो सबसे अहम प्रोजेक्ट- साइबरट्रक (Cybertruck) और मॉडल वाई (Model Y) की कमान संभालने वाले वरिष्ठ अधिकारियों ने एक साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब टेस्ला की वैश्विक बिक्री दबाव में है और कंपनी भारत सहित कई देशों में नए विस्तार की तैयारी कर रही है।
लगातार इस्तीफों की कड़ी में नया झटका
Tesla के Cybertruck प्रोग्राम के प्रमुख सिद्धांत अवस्थी ने कंपनी में आठ वर्ष से अधिक समय तक काम करने के बाद विदाई की घोषणा की है। अवस्थी ने सोशल मीडिया पोस्ट में अपने कार्यकाल को “चुनौतीपूर्ण और प्रेरणादायक” बताते हुए सीईओ Elon Musk का आभार जताया। इसी के साथ कंपनी के लोकप्रिय SUV Model Y के प्रोग्राम मैनेजर इमैनुएल लामाकिया ने भी अलग होने की घोषणा की। दोनों का लगभग एक ही समय में जाना कंपनी के भीतर बदलाव और अस्थिरता के संकेत देता है।
प्रबंधन संकट या रणनीतिक पुनर्गठन?
पिछले कुछ महीनों में Tesla से कई वरिष्ठ अधिकारी जा चुके हैं, जिनमें बैटरी डिवीजन, ऑटोपायलट टीम और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से जुड़े प्रमुख नाम शामिल हैं। विश्लेषकों के अनुसार, कंपनी इस वक्त आंतरिक पुनर्गठन की प्रक्रिया से गुजर रही है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि साइबरट्रक की डिलीवरी में देरी, लागत बढ़ोतरी और चीन में घटती बिक्री ने कंपनी की नीतियों पर दबाव बढ़ा दिया है।
भारत के लिए क्या मायने हैं इन इस्तीफों के !
Tesla ने पिछले कुछ समय से भारत में प्रवेश की कोशिशें तेज की हैं। केंद्र सरकार से टैक्स छूट और स्थानीय विनिर्माण के मसलों पर बातचीत चल रही है। ऐसे में नेतृत्व-स्तर पर अस्थिरता भारत योजना को प्रभावित कर सकती है। Cybertruck और Model Y, दोनों मॉडल कंपनी के अंतरराष्ट्रीय पोर्टफोलियो के अहम हिस्से हैं, जिनके आधार पर भारत में लॉन्च रणनीति तय की जानी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उत्पाद-विकास और वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला में बदलाव होता है, तो भारत में संभावित लॉन्च टाइमलाइन भी पीछे खिसक सकती है।
Elon Musk के नेतृत्व पर भी उठ रहे सवाल
सीईओ Elon Musk का आक्रामक नेतृत्व-शैली और ट्विटर (X) के अधिग्रहण के बाद उनकी बहु-दिशात्मक जिम्मेदारियां कंपनी के भीतर असंतोष का कारण बताई जा रही हैं। कर्मचारियों के मुताबिक, लगातार लक्ष्य दबाव और तेजी से बदलते निर्णय-प्रक्रिया ने प्रबंधकों को थका दिया है। फिलहाल Tesla ने दोनों पदों के लिए नए प्रमुखों के नाम घोषित नहीं किए हैं। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि “Tesla अपने प्रोजेक्ट्स को समयबद्ध रूप से आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है।” कंपनी की नजर अब भारतीय बाजार, यूरोप के विस्तार और अमेरिकी बाजार में उत्पादन-लागत कम करने पर है।
नीति दुविधा का समय
Tesla के Cybertruck और Model Y प्रमुखों के इस्तीफे से Tesla को झटका लगा है। यह केवल नेतृत्व परिवर्तन नहीं, बल्कि वैश्विक ईवी उद्योग की अस्थिरता और प्रतिस्पर्धा का संकेत भी है। भारत में Tesla की संभावित एंट्री अब काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनी अपनी आंतरिक टीम और उत्पादन-रणनीति को कितनी जल्दी स्थिर करती है।
Tesla की दुविधा और भारत की चुनौती
फिलहाल Tesla के वैश्विक स्तर पर कई प्रबंधकीय बदलाव हुए हैं। Cybertruck और Model Y जैसे प्रमुख प्रोग्रामों से जुड़े अधिकारियों का हालिया इस्तीफा यह संकेत देता है कि कंपनी खुद एक पुनर्गठन के दौरसे गुजर रही है। ऐसे में भारत में निवेश का फैसला Tesla के लिए और अधिक रणनीतिक हो जाएगा। भारत सरकार आयात-शुल्क में रियायत तभी देने को तैयार है जब Tesla स्थानीय निर्माण का वादा करे। दूसरी ओर कंपनी चाहती है कि पहले सीमित संख्या में वाहन आयात कर बाज़ार की स्थिति का परीक्षण किया जाए। यह रस्साकसी भारत की नीति-स्थिरता और विदेशी कंपनियों के प्रति भरोसे की परीक्षा भी है।
देशी-विदेशी प्रतिस्पर्धा का नया युग
Elon Musk की Tesla के आने से भारत के घरेलू वाहन निर्माता टाटा, महिंद्रा, ह्युंडई और एमजी मोटर्स के बीच प्रतिस्पर्धा और तेज होगी। यह उपभोक्ताओं के लिए शुभ संकेत है। अधिक विकल्प, बेहतर तकनीक और कम होती कीमतें, आने वाले वर्षों में EV अपनाने की गति बढ़ाएंगी। परंतु इसके साथ एक सच्चाई यह भी है कि भारत को अभी तक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, बैटरी रिसाइक्लिंग और सस्ती ऊर्जा के क्षेत्र में लंबा रास्ता तय करना है। यदि ये आधारभूत सुधार समय पर नहीं हुए, तो टेस्ला जैसी कंपनियों को टिके रहना कठिन हो सकता है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से आवश्यक कदम
भारत में प्रदूषण-नियंत्रण और कार्बन-उत्सर्जन कम करने के लिए EV अनिवार्य हैं। Tesla का प्रवेश भारत को उस दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ा सकता है। परंतु केवल विदेशी ब्रांड लाने से समाधान नहीं मिलेगा। हमें “स्वदेशी ईवी पारिस्थितिकी तंत्र” बनाना होगा, जिसमें अनुसंधान, उत्पादन, वितरण और उपभोग, सभी स्तरों पर आत्मनिर्भरता विकसित हो।
भारत को चाहिए स्पष्ट नीति और दीर्घदृष्टि
Tesla का भारत में प्रवेश सिर्फ कारोबारी मसला नहीं, बल्कि तकनीकी-नवाचार और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व का प्रतीक है। भारत को ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो न केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करें, बल्कि घरेलू उद्योग को भी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करें। यदि यह संतुलन बना लिया गया, तो आने वाले दशक में भारत न केवल Tesla जैसी कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार बनेगा, बल्कि खुद एक वैश्विक ईवी-उद्योग का केंद्र भी बन सकता है।
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