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November 23, 2025

नए लेबर कोड में महिलाओं के लिए बड़े बदलाव: सुरक्षा, समान अधिकार और नए अवसर

The CSR Journal Magazine

 

भारत सरकार द्वारा लाए गए नए लेबर कोड ‘Code on Wages- 2019, Industrial Relations Code- 2020, Code On Social Security- 2020, और Safety, Health and Working Conditions Code- 2020 का एक बड़ा उद्देश्य महिलाओं की कार्यभागीदारी बढ़ाना, उन्हें सुरक्षित माहौल देना और रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करना है। इन कोड्स के लागू होने से कई बदलाव सीधे तौर पर महिला कर्मचारियों के पक्ष में माने जा रहे हैं।

नए लेबर कोड में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान

नए लेबर कोड महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। सबसे पहले, महिलाओं को अब समान काम के लिए समान वेतन का कानूनी अधिकार मिला है और भर्ती या नौकरी की शर्तों में भेदभाव पूरी तरह प्रतिबंधित है। दूसरा बड़ा सुधार यह है कि महिलाएं अब अपनी सहमति से रात की पाली में काम कर सकती हैं, जहां सुरक्षा, परिवहन और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी नियोक्ता की होगी। मातृत्व लाभ को भी मजबूत किया गया है। महिलाओं को 26 हफ्ते की मातृत्व छुट्टी, और 50 से अधिक कर्मचारियों वाले संस्थानों में क्रेच सुविधा अनिवार्य होगी। कार्यस्थलों पर महिलाओं की शिकायतें सुनने के लिए ग्रिवांस कमेटी में महिला प्रतिनिधित्व भी जरूरी है। इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा जैसे बीमा, पेंशन, स्वास्थ्य सुविधाएं और असंगठित क्षेत्र की महिलाओं तक लाभ पहुंचाने पर विशेष जोर दिया गया है। कुल मिलाकर ये कोड महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।

समान वेतन व बिना भेदभाव का अधिकार

नए कोड में यह साफ कर दिया गया है कि महिलाओं के साथ किसी भी स्तर पर भेदभाव नहीं किया जा सकता, चाहे वह भर्ती हो, वेतन हो या काम की शर्तें! महिलाओं को समान काम के लिए पुरुषों के बराबर वेतनमिलना अनिवार्य है। किसी महिला को केवल इसलिए नौकरी से नहीं निकाला जा सकता कि वह गर्भवती है या उसने मातृत्व लाभ मांगा है।

रात की पाली में काम करने की कानूनी अनुमति

पहले अधिकतर राज्यों में महिलाओं को रात की पाली (शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच) में काम की अनुमति नहीं थी या कई प्रतिबंध थे। नए कोड के अनुसार महिलाएं अब रात की पाली में अपनी सहमति से काम कर सकती हैं। नियोक्ता पर यह ज़िम्मेदारी होगी कि वे महिला कर्मचारियों की सुरक्षा, परिवहन, रोशनी और निगरानी की पूरी व्यवस्था करें। जहां नाइट शिफ्ट चलती है, वहां महिला सुरक्षा अधिकारी या सुपरवाइजर की नियुक्ति भी ज़रूरी मानी गई है। इससे BPO, IT, हेल्थकेयर, रिटेल, होटल और फैक्ट्री सेक्टर में महिलाओं के अवसर बढ़ेंगे।

मातृत्व लाभ (Maternity Benefits) मजबूत हुए

नए प्रावधानों के तहत अब महिलाओं को मातृत्व अवकाश 26 हफ्ते तक मिलेगा। आवश्यक शर्तों के साथ गर्भपात, जटिल प्रसव, या सर्वोगेसी व गोद लेने वाली माताओं के लिए भी लाभ का दायरा बढ़ाया गया है। 50 से अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में क्रेच (Creche) की सुविधा अनिवार्य है। महिलाओं को बच्चे की देखभाल के लिए क्रेच में समय-समय पर जाने की अनुमति भी दी गई है। इससे कामकाजी माताओं के लिए कार्य-जीवन संतुलन आसान बनता है।

ग्रिवांस (शिकायत) कमेटी में महिला प्रतिनिधित्व

हर संगठन में शिकायत निपटान समिति बनाना अनिवार्य है। इस कमेटी में महिला सदस्यों का होना जरूरी है। इससे कार्यस्थल पर उत्पीड़न, वेतन विवाद, छुट्टियों से जुड़े मुद्दों या भेदभाव की शिकायतें महिलाओं के लिए सहज बनती हैं। महिलाओं की आवाज़ को संस्थागत सुरक्षा मिलती है।

सामाजिक सुरक्षा (Social Security) का विस्तार

नए कोड के तहत महिलाओं को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व सुरक्षा, ग्रेच्युटी, पेंशन, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), और असंगठित क्षेत्र के लिए भी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ अधिक आसानी से मिल सकेगा। यह सुधार महिलाओं की आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाते हैं।

परिवार की व्यापक परिभाषा

महिलाओं के लिए कई लाभ ऐसे हैं जिनके लिए “परिवार” की पहचान ज़रूरी होती है। नए कोड में परिवार की परिभाषा में माता-पिता, पति, बच्चे, और कई मामलों में ससुर-सास को भी शामिल किया गया है। इससे महिला कर्मचारियों को आश्रितों के उपचार, बीमा और अन्य सुविधाओं में अधिक व्यापक दायरा मिलता है।

कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य

नए नियमों के तहत किसी भी फैक्ट्री, बिल्डिंग या ऑफिस में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना कानूनी जिम्मेदारी है। साफ-सफाई, सुरक्षित शौचालय, पीने का पानी, वेंटिलेशन, हाइजीन और फर्स्ट-एड की सुविधाएं और मज़बूत हो जाती हैं। बड़ी यूनिट्स में सेफ्टी कमेटी का गठन और उसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया है।

कौशल विकास और प्रशिक्षण

सरकार द्वारा महिलाओं के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग, आईटीआई, स्किल डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी आधारित ट्रेनिंग को बढ़ावा देने की व्यवस्था की गई है, ताकि वे अधिक सेक्टर्स में रोजगार पा सकें और उच्च तकनीकी भूमिकाओं में आगे बढ़ सकें।

राज्यवार असर (जैसे– महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में)

नए लेबर कोड लागू होने के साथ, राज्यों को अपने-अपने नियम बनाने होते हैं। इसलिए प्रभाव कुछ राज्यों में अलग-अलग दिखाई देगा-
महाराष्ट्र- नाइट शिफ्ट में महिलाओं के काम पर पहले भी अनुमति थी, लेकिन अब वह और व्यापक और सुरक्षित हो गई। मुंबई, पुणे और नासिक के उद्योग क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने के संकेत हैं। सर्विस सेक्टर, बैंकिंग, रिटेल और IT में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा के साथ अधिक अवसर मिलेंगे।
दिल्ली– बीपीओ, कॉल सेंटर, ई-कॉमर्स वेयरहाउस और हॉस्पिटल सेक्टर में महिलाओं की नाइट शिफ्ट के प्रति प्रतिबंध कम होंगे। दिल्ली में ग्रिवांस कमेटी और क्रेच सुविधा को लागू करवाना आसान माना जा रहा है, क्योंकि यहाँ दफ्तर व उद्योग संगठित हैं।
उत्तर प्रदेश– यूपी सरकार पहले ही महिलाओं को नाइट शिफ्ट की अनुमति दे चुकी थी। नए कोड लागू होने के बाद सुरक्षा मानकों और क्रेच की शर्तें सख़्त होंगी। नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ में महिला रोजगार बढ़ सकता है।

महिलाओं को मिलने वाले प्रत्यक्ष लाभ

अधिक रोजगार अवसर
सुरक्षित कार्यस्थल
मातृत्व व बाल-पालन में सहयोग
समान वेतन और समान सम्मान
शिकायतों पर त्वरित निपटान
सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता
नाइट शिफ्ट जैसी नई संभावनाएं
घर–काम के संतुलन में सुविधा

संभावित चुनौतियां

अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर (घरेलू कार्य, दिहाड़ी मजदूर, खेत मजदूर) में इन प्रावधानों को लागू कर पाना सबसे कठिन होगा।
कई छोटे उद्योग सुरक्षा और क्रेच सुविधाएं उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं होंगे।
नाइट शिफ्ट की सुरक्षा व्यवस्था का अनुपालन सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है।
कई महिलाएं अभी भी परिवार और समाज के दबाव के कारण नौकरी या नाइट शिफ्ट अपनाने से हिचक सकती हैं।

क्या है नया संशोधित श्रम कोड

नया लेबर कोड चार अलग-अलग पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर बनाया गया एक एकीकृत श्रम कानून ढांचा है। इसका उद्देश्य देश में कामगारों, कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए नियमों को सरल, आधुनिक और एक-जैसा बनाना है। सरकार ने लगभग 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए लेबर कोड बनाए हैं। चारों नए लेबर कोड का सरल सार इस प्रकार है-

1. वेज़ कोड (Wage Code)

सभी कर्मचारियों के लिए वेतन, न्यूनतम मजदूरी और बोनस के नियम एक जैसे और स्पष्ट बनाए गए हैं। समान काम के लिए समान वेतन अनिवार्य है।

2. सोशल सिक्योरिटी कोड (Social Security Code)

PF, ESIC, पेंशन, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ सभी कर्मचारियों, खासकर असंगठित क्षेत्र तक पहुँचाने पर जोर।

3. सेफ्टी एंड हेल्थ कोड (OSH Code)

काम की जगह पर सुरक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, काम के घंटे, नाइट शिफ्ट और फैक्ट्री मानकों से जुड़े नियम एक जगह समेटे गए हैं।

4. इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड (IR Code)

कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच संबंधों, छंटनी, हड़ताल और रोजगार अनुशासन से जुड़े नियमों को आधुनिक और सरल बनाया गया है।
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