Senior Citizen Education India: पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और इसे साबित कर दिखाया है मुंबई की रहने वाली 65 वर्षीय प्रभावती जाधव ने। जिन्होंने अपने पोते के साथ 10वीं की परीक्षा दी और शानदार प्रदर्शन करते हुए 52% अंक हासिल किए। वहीं उनके पोते सोहम जाधव ने भी उन्हें निराश नहीं किया और 82% अंक लेकर SSC परीक्षा पास की। Prabhavati Jadhav SSC Result 65 साल की उम्र में 10वीं पास करना कोई आसान बात नहीं, लेकिन प्रभावती जाधव ने यह कर दिखाया। उनके साथ उनके पोते सोहम ने भी जो उपलब्धि हासिल की है, वह परिवार की दो पीढ़ियों की साझा जीत है। यह खबर उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जो किसी वजह से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ चुके हैं या दोबारा शुरू करने में हिचकिचा रहे हैं।
Grand Mother-Son Pass SSC Exam Together: दोनों की मेहनत लाई रंग Inspirational SSC Stories
प्रभावती ने बताया कि उन्होंने मराठी माध्यम से परीक्षा दी थी जबकि उनका पोता अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रहा है। दोनों ही पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर थे और परीक्षा की तैयारी एक साथ किया करते थे। जब प्रभावती परीक्षा देने जाती थीं तो उन्हें देखने वाले लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे लेकिन साथ ही उन्हें देखकर प्रेरणा भी लेते थे। The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए प्रभावती जाधव ने बताया कि पास होकर मुझे खुशी हुई। मुझे खुशी हुई कि मेरा पोता भी पास हुआ और मैं भी पास हुई। मेरा पोता अंग्रेजी मीडियम से पास हुआ है, मैं मराठी मीडियम में थी। जब मैं परीक्षा देने जाती थी तो लोग खुश होते थे।
दादी मराठी मीडियम में तो पोता अंग्रेजी मीडियम में, दोनों ने साथ पढ़ाई की और साथ पास भी हुए
जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रभावती जाधव को ‘प्रेरणा की मिसाल’ बताया। कई यूज़र्स ने लिखा कि आज की युवा पीढ़ी को प्रभावती जैसी महिलाओं से सीख लेनी चाहिए, जो इस उम्र में भी पढ़ाई के लिए इतना समर्पण दिखा रही हैं।
पढ़ाई के लिए मिला परिवार का समर्थन
प्रभावती ने यह भी बताया कि उन्हें अपने परिवार और खासकर पोते सोहम का पूरा साथ मिला। दोनों ने मिलकर पढ़ाई की और एक-दूसरे को समझाया। सोहम जहां अंग्रेजी विषयों में दादी की मदद करता था, वहीं दादी मराठी और इतिहास जैसे विषयों में पोते को टिप्स देती थीं। प्रभावती की यह सफलता सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो यह मान बैठा है कि अब पढ़ाई का वक्त गुजर चुका है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर मन में सच्ची लगन हो, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। इस तरह की कहानियां समाज को यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि शिक्षा हर उम्र में जरूरी है, और इसे पाने की चाहत ही व्यक्ति को आगे बढ़ाती है।