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November 24, 2025

क्या आप जानते हैं? महाराष्ट्र का वह गांव जहां घर और बैंक बिना ताले-दरवाजों के भी वर्षो से सुरक्षित हैं। आखिर कैसे?

The CSR Journal Magazine
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर, भगवान शनि की उस अद्भुत स्वयंभू मूर्ति का निवास है, जो लगभग 5 फुट 9 इंच ऊंची और 1 फुट 6 इंच चौड़ी काले पत्थर की प्रतिमा के रूप में प्रकट हुई। यह मूर्ति बिना किसी छत्र, गुंबद या दीवार के, खुले आसमान के नीचे स्थापित है। मान्यता है कि जब मूर्ति चरवाहों को मिली, तो भगवान शनि ने सपने में प्रकट होकर कहा “मेरी छत पूरा आकाश है।” इसी आदेश का सम्मान आज तक निभाया जा रहा है। हां रोजाना हजारों भक्त, नेता और प्रभावशाली लोग दर्शन के लिए आते हैं, और शनिवार के दिन तो अपार भीड़ उमड़ती है।

ऐसा गांव जहां नहीं लगते ताले, हर घर बिना दरवाजे का

करीब तीन हजार की आबादी वाला शनि शिंगणापुर गांव दुनिया भर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है, यहां किसी भी घर में न दरवाजा है, न ताला। लोग अपनी मूल्यवान चीजें सोना, रुपए, कपड़े,थैली, डिब्बे या ताक में रखते हैं। दरवाजे पर बस बांस की पतली छड़ लगा दी जाती है, वह भी सिर्फ पशुओं से बचाव के लिए। गांव के लोग मानते हैं कि यहां चोरी असंभव है क्योंकि स्वयं शनि देव गांव की रक्षा करते हैं। कई दशक तक यहां चोरी की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई, यही इसकी रहस्यमयी पहचान बन गई।

ऐसी आस्था कि बैंक और पुलिस स्टेशन भी बिना ताले के

2011 में यूको बैंक ने यहां देश की पहली लॉकलेस बैंक शाखा खोली। पुलिस स्टेशन में भी सिर्फ एक स्लाइडिंग शटर है, ताकि जानवर अंदर न घुसें पर ताला नहीं। हालांकि बैंक अंदर सुरक्षा तकनीकें उपयोग करता है, पर बाहर से कोई तालाबंदी नजर नहीं आती, ताकि गांव की परंपरा बनी रहे। गांव की छवि को बनाए रखने के लिए कई मामलों को औपचारिक रूप से दर्ज न किए जाने की बातें भी सामने आती रही हैं।

चमत्कारी पत्थर की कथा

एक प्रचलित किंवदंती के अनुसार, सदियों पहले पानसनाला नदी में गांववालों को एक काला पत्थर तैरता हुआ मिला। जब एक चरवाहे ने उसे छड़ी से छुआ, तो उसमें से रक्त जैसा द्रव निकलने लगा। उसी रात ग्राम प्रधान को भगवान शनि ने स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि यह उनका स्वयंभू रूप है। उन्होंने कहा कि मूर्ति को बिना छत, बिना दीवार और बिना किसी घेराव के रखा जाए ताकि वे सीधे गांव पर दृष्टि रख सकें। तभी से मूर्ति खुली रहती है और गांववाले अपने घरों में भी ताले नहीं लगाते।

दैवी दंड की मान्यता: चोरी करो और सजा पाओ तुरंत

ग्रामीणों के अनुसार, यहां चोरी या बेईमानी करने वाला व्यक्ति तुरंत दैवी प्रकोप का शिकार होता है, अंधापन, दुर्घटना, आर्थिक हानि या लंबी बदकिस्मती। कहा जाता है, एक व्यक्ति ने घर की चौखट लगवाई, अगले दिन उसकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हालांकि कुछ लोग इन कहानियों को पर्यटन से जोड़ते हैं, लेकिन गांव की आस्था आज भी अडिग है।

मंदिर में रोजाना विशेष अनुष्ठान

मंदिर में प्रतिदिन सुबह 4 बजे और शाम 5 बजे आरती होती है। शनिवार और अमावस्या को हजारों श्रद्धालु तेल चढ़ाकर शनि दोष निवारण की कामना करते हैं। शनि जयंती पर लघुरुद्राभिषेक का भव्य आयोजन होता है, जो सुबह 7 से शाम 6 बजे तक चलता है।
पहले महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। 2016 में तिरुपति देसाई के नेतृत्व में महिलाओं के आंदोलन और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह प्रतिबंध हटाया गया।
आसपास घूमने लायक जगहें
शिरडी (70 किमी): साईं बाबा मंदिर
रेणुका देवी मंदिर (7 किमी)
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (180 किमी)
अहमदनगर किला (35 किमी)

आस्था, रहस्य और अद्भुत परंपरा का संगम

शनि शिंगणापुर सिर्फ एक मंदिर नहीं यह सदियों से चली आ रही आस्था, अनुशासन और ईश्वरीय संरक्षण की अनोखी परंपरा है। बिना दरवाजों वाले घरों से लेकर खुले आसमान के नीचे स्वयंभू शनि मूर्ति तक यह स्थान हर आगंतुक को विस्मित कर देता है। चाहे आप आध्यात्मिकता से जुड़ना चाहें या किसी दिव्य रहस्य का अनुभव करना शनि शिंगणापुर की यात्रा आपको भीतर तक प्रभावित कर जाती है।
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