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महाराष्ट्र में जल संरक्षण के लिए आगे आये नाना पाटेकर

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महाराष्ट्र में जल संरक्षण के लिए किए आगे आये नाना पाटेकर
 
महाराष्ट्र सरकार ने जल संरक्षण और मृदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए तीन महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) किए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में सोमवार को मंत्रालय, मुंबई में इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। ये समझौते राज्य में जलयुक्त शिवार योजना को प्रभावी रूप से लागू करने में मददगार होंगे। ये समझौते नाम फाउंडेशन, टाटा मोटर्स, भारतीय जैन संगठन MRSAC के साथ किया गया। हम आपको बता दें कि जाने-माने अभिनेता नाना पाटेकर और मकरंद अनासपुरे की स्वयंसेवी संस्था है ‘नाम फाउंडेशन’ जो महाराष्ट्र के सूखा पीड़ितों की मदद के लिए काम करती है।  मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Maharashtra CM Devendra Fadnavis) ने जल संरक्षण के क्षेत्र में नाम फाउंडेशन, टाटा मोटर्स और भारतीय जैन संगठन के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के सहयोग से राज्य में जल संरक्षण के प्रयासों को नई गति मिलेगी। (Nana Patekar News)

महाराष्ट्र में जल संरक्षण के लिए नियुक्त होंगे ‘वॉटर फेलो’, नाना पाटेकर करेंगे मदद

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनाते ही उन्होंने सूखे को लेकर काम करना शुरू कर दिया है। इसी पहल के तहत महाराष्ट्र में Water Conservation के लिए जलयुक्त शिवार चलाया जा रहा है। इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य के 23 जिलों में 1000 से अधिक जलाशयों, चेक डैम, सार्वजनिक तालाबों और नदियों की जलधारण क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य के लिए Nana Patekar की Naam Foundation आगे आया है। नाम फाउंडेशन (Nana Patekar Naam Foundation) इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा, जबकि टाटा मोटर्स इसके संपूर्ण प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेगा। प्रत्येक जिले में एक ‘वॉटर फेलो’ नियुक्त किया जाएगा, जो परियोजना के सुचारू संचालन में मदद करेगा। Maharashtra Water Conservation

महाराष्ट्र के जल संरक्षण संरचनाओं का होगा डिजिटल मैपिंग

दूसरे समझौते में भारतीय जैन संगठन के सहयोग से जल संरक्षण की जागरूकता और परियोजना को गांवों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया है। संगठन ग्राम पंचायतों से योजना की मांग एकत्र कर उसे सरकार तक पहुंचाएगा। जल संरक्षण को लेकर ये जनजागृति अभियान भी चलाएगा। तीसरे समझौते के तहत राज्य में पिछले 20-25 वर्षों में निर्मित जल संरक्षण संरचनाओं का डिजिटल मैपिंग (Digital Mapping) किया जाएगा। सैटेलाइट डेटा और अन्य उपलब्ध जानकारियों के आधार पर संरचनाओं को चिन्हित किया जाएगा। एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से जल संरक्षण परियोजनाओं की निगरानी की जाएगी। पांच वर्षों तक इस डेटा के आधार पर रखरखाव और सुधार कार्यों की योजना बनाई जाएगी।