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July 4, 2025

मीरा रोड थप्पड़ कांड- MNS ‘गुंडागर्दी’ की आंच देश भर में फैली 

Mira Road MNS Assault: मुंबई के मीरा रोड इलाके में रविवार रात एक दुकानदार को मराठी नहीं आने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ पर थप्पड़ जड़ दिए। गुरुवार को इस घटना के विरोध में मीरा भाईंदर के व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी, तो वहीं 72 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस ने किसी आरोपी को अरेस्ट नहीं किया है, हालांकि सीसीटीवी फुटेज से तीन आरोपियों की पहचान हो गई है।

फिर उठा परप्रांतीय और मराठी मुद्दा– MNS की ‘गुंडागर्दी’

मुंबई: मुंबई की मीरा रोड पर मराठी नहीं बोलने पर दुकानदार की पिटाई के मामले में गुरुवार को मीरा भाईंदर में दुकानें बंद रहीं। व्यापारियों ने एकजुटता का परिचय देते हुए बंद रखकर मनसे के कार्यकार्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

एकता दिखाने और अन्याय और गुंडागर्दी के ख़िलाफ़ कड़ा विरोध दर्ज करने के प्रयासों में, व्यापारी एकता मंच ने व्यापारिक समुदाय के सभी सदस्यों से दिन के लिए अपने प्रतिष्ठानों को बंद करने का आग्रह किया था। मनसे के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी का शिकार बने बाबूभाई खिमाजी चौधरी ने मीरा भाईंदर वसई विरार के पुलिस को एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें मारपीट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, तो वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र समेत देशभर में छाए इस मुद्दे की जांच के बाद पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है, हालांकि आरोपियों ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है।

सात MNS कार्यकर्ता थे शामिल थप्पड़कांड में

मीरा भाईंदर पुलिस की जांच में सामने आया है कि दुकानदार को थप्पड़ मारने के मामले में 7 मनसे कार्यकर्ता शामिल थे। MNS कार्यकर्ताओं के माफी मांगने से इंकार करने के बाद अब आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की तैयारी की है। यह कार्रवाई डीसीपी के ऑफिस में की जाएगी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस इन्हें अरेस्ट करेगी या फिर नहीं। मनसे के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के मीरा रोड उपनगर में ‘जोधपुर स्वीट शॉप’ के मालिक 48 साल बाबूलाल खिमजी चौधरी को थप्पड़ों से पीटा था, क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहे थे। चौधरी पर थप्पड़ बरसाने वाले तीन आरोपियों की पहचान हुई है। आरोपियों में प्रमोद निलेकर, करन कंदानगिरे, अक्षय सालवी के नाम शामिल हैं।

FIR में तथाकथित ‘गुंडागर्दी’का पूरा जिक्र

‘जोधपुर स्वीट शॉप’ के मालिक 48 साल बाबूलाल खिमजी चौधरी ने पुलिस में दर्ज कराई एफआईआर में बताया है कि MNS के लोग पानी की बोतलें खरीदना चाहते थे, लेकिन जब उन्होंने उनसे हिंदी में बात की, तो उन्होंने मराठी में बात करने की मांग की। मैंने कहा कि हम सभी भाषाएं बोलते हैं, इसलिए उन्होंने मुझे पीटने की धमकी दी। बाबूलाल चौधरी ने सवाल किया, “हमें मराठी में क्यों बोलना चाहिए?” MNS कार्यकर्ताओं में से एक ने तुरंत धमकी देते हुए कहा, “मार खाएगा?” बाबूलाल खीमजी ने ज़ोर देकर कहा कि वह मराठी बोलना नहीं जानते, जिससे नाराज़ मनसे कार्यकर्ताओं ने पूछा कि क्या वह उस राज्य और उस राज्य की भाषा से अवगत है जहां वह काम कर रहा है?  इसके बाद वह लोग आगे खड़े चौधरी के पास पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने पूछा कि महाराष्ट्र में कौन सी भाषा बोली जाती है तो चौधरी ने कहा दिया सभी भाषाएं बोली जाती हैं। इसके बाद चौधरी को मनसे कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ों से मारा था। यह घटना रविवार को रात 10.30 बजे के बाद हुई था। हमले का वीडियो ऑनलाइन वायरल हुआ है

बाबूलाल चौधरी और MNS के बीच होगी कानूनी लड़ाई

MNS कार्यकर्ताओं से पिटाई के बाद भी बाबूलाल चौधरी ने कानूनी तरीके से लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि इस घटना के बाद डर का माहौल है। चौधरी ने बताया कि आज यह उनके साथ हुआ है, कल किसी और के साथ हो सकता है। पिछले दो दशकों से मीरा रोड पर फल-फूल रहा है। चौधरी ने कहा कि वह MNS के गुंडों को सजा दिलाने के लिए लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई मेरी ‘कर्मभूमि’ है, लेकिन अब मैं डर में जी रहा हूं। मुझे सुरक्षा चाहिए, मैं सुरक्षित महसूस करना चाहता हूं।
यह घटना महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य में तीन भाषा नीति के कार्यान्वयन पर अपने आदेश वापस लेने के कुछ ही समय बाद हुई, जिसके कारण विपक्ष ने इसे ‘हिंदी थोपना’ करार दिया था।

महाराष्ट्र गृह राज्य मंत्री ने दी परप्रांतियों को चेतावनी

महाराष्ट्र में पहले से ही चल रहे ‘हिंदी थोपने’ के विवाद के बीच, महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने गुरुवार को एक सख़्त चेतावनी जारी की और कहा कि, “अगर कोई राज्य में भाषा का अनादर करता है तो क़ानून लागू किया जाएगा। महाराष्ट्र में, आपको मराठी बोलना होगा। अगर कोई महाराष्ट्र में मराठी का अपमान करता है, तो हम अपने क़ानून लागू करेंगे।” कदम ने कहा।
कदम की टिप्पणी उस थप्पड़कांड के एक दिन बाद आई है जिसमें ठाणे की एक दुकान के मालिक पर मराठी में बोलने से इनकार करने पर MNS कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, कदम ने कहा, “जिन लोगों ने दुकान के मालिक को पीटा, उन्हें क़ानून अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए। उन्हें संबंधित व्यक्ति के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करनी चाहिए थी, कार्रवाई की जाती।”

महाराष्ट्र में ‘तीन भाषा नीति’ के बाद फिर उठा मराठी मुद्दा

महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर फडणवीस सरकार बैकफुट पर आ गई है। हिंदी की अनिवार्यता के फैसले को राज्य सरकार ने रद्द करते हुए इस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने यह भी घोषणा की, कि एक समिति बनाई गई है और इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद अगला कदम तय किया जाएगा। उसके बाद त्रिभाषा फॉर्मूला लागू किया जाएगा।

MNS ने उठाई थी आवाज- ‘ऐसी नीति बर्दाश्त नहीं’

राज्य में हिंदी अनिवार्यता के मुद्दे के बाद राज ठाकरे ने स्पष्ट रूप से कहा कि MNS ने अप्रैल 2025 से ही इस मुद्दे पर आवाज उठानी शुरू कर दी थी, जिसके बाद अन्य राजनीतिक दल और संगठन भी इसके विरोध में आगे आए। जब MNS ने गैर-राजनीतिक मोर्चा निकालने की घोषणा की, तो कई अन्य संगठनों और दलों ने उसमें शामिल होने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि अगर यह मोर्चा निकला होता, तो शायद सामूहिक महाराष्ट्र आंदोलन की यादें ताजा हो जातीं।
राज ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा कि अब सरकार ने फिर से एक समिति बना दी है, मैं स्पष्ट कह रहा हूं कि चाहे समिति की रिपोर्ट आए या न आए, लेकिन ऐसी नीति अब फिर से बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और अगर सरकार ने रिपोर्ट के नाम पर फिर से ऐसी साजिश की, तो यह समिति महाराष्ट्र में काम नहीं कर पाएगी।

विरोध के बाद हिन्दी को तीसरी भाषा घोषित किया गया

तीन भाषाओं की नीति पर विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल को एक प्रस्ताव पारित किया जिसने हिंदी को मराठी और अंग्रेज़ी-मध्यम स्कूलों में अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया था।
हालांकि, प्रतिक्रिया के जवाब में, सरकार ने 17 जून को एक संशोधित प्रस्ताव के माध्यम से नीति को संशोधित करते हुए कहा, “हिंदी तीसरी भाषा होगी। जो लोग दूसरी भाषा सीखना चाहते हैं, उनके लिए कम से कम 20 इच्छुक छात्रों की आवश्यकता होगी।”

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