उत्तराखंड के उत्तराकाशी में आई भीषण बाढ़ के बाद ‘ऑपरेशन जिंदगी’ युद्धस्तर पर जारी है। बचाव कार्य में तेजी लाते हुए अभी तक 274 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि लापता लोगों को तलाशने के लिए सेना, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें लगातार खोज और बचाव कार्य में जुटी हैं। इस आपदा में जो लोग लापता हैं उनमें वे 24 दोस्त भी शामिल हैं जो उत्तराकाशी जाने के लिए करीब 35 साल बाद एक साथ मिले थे।
35 साल बाद मिले 24 दोस्त, आखिरी साबित हुआ Reunion
कहते हैं कि नियति आपको किस्मत में लिखे के पास लेकर जाती है। ऐसा ही एक बड़ा उदाहरण उत्तराखंड की तबाही के बाद सामने आ रहा है। महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 60 किमी दूर स्थित मंचर के एक आवासी खुर्द गांव का एक स्कूल, जिसमें साल 1990 में 10वीं क्लास के 24 सहपाठी 35 सालों के बाद रियूनियन के लिए उत्तराखंड पहुंचे। उसी समय उत्तराखंड के उत्तराकाशी में बादल फटने की घटना हुई, जिसमें आई भीषण बाढ़ के बाद ये सभी दोस्त लापता हो गए हैं। ये सभी लोग 1990 में पुणे से लगभग 60 किलोमीटर दूर मंचर के आवासी खुर्द गांव के एक स्कूल में कक्षा 10वीं में एक साथ पढ़ते थें। मंगलवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित धराली गांव में आए जलप्रलय के बाद इन 24 दोस्तों का कुछ पता नहीं चल पाया है।
चारधाम यात्रा के निकले दोस्त हुए लापता
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि महाराष्ट्र के कम से कम 149 पर्यटक उत्तराखंड में फंसे हुए हैं।आवासारी खुर्द निवासी अशोक भोर और 1990 बैच के उनके दसवीं कक्षा के 23 दोस्त 35 साल बाद ‘चार धाम यात्रा’ के लिए फिर से मिले। इन लोगों ने 1 अगस्त को मुंबई से ट्रेन पकड़ी थी और 12 अगस्त को फ्लाइट से इनकी वापसी थी। अशोक भोर के बेटे आदित्य ने बताया कि पिता से उनके परिवार ने आखिरी बार सोमवार शाम 7 बजे के आसपास बात की थी। उस वक्त वह सभी गंगोत्री से लगभग 10 किमी दूर थे और मामूली भूस्खलन के चलते फंसे हुए थे। आदित्य ने बताया कि अब उनके फोन भी नहीं मिल रहे।
पुणे के बैचमेट ने बताया वीडियो कॉल पर हुई थी बात
लापता 24 दोस्तों के बैचमेट मल्हारी अभंग ने बताया कि आखिरी बार सोमवार दोपहर वीडियो कॉल पर बातचीत हुई थी। कुछ ने गंगोत्री यात्रा से जुड़े सोशल मीडिया अपडेट भी साझा किए थे। वे 5 अगस्त को उत्तरकाशी में रुके थे और 6 अगस्त को गौरीकुंड जाने वाले थे। हरिद्वार से उन्होंने एक बस बुक की थी, लेकिन उसके बाद से संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
महाराष्ट्र के तक़रीबन 150 पर्यटक धराली में फंसे
राज्य आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी ने कहा, उत्तराखंड में फंसे पर्यटकों से संपर्क करना चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन हम उत्तराखंड प्रशासन के संपर्क में हैं। महाराष्ट्र के फंसे हुए पर्यटकों में से 76 मुंबई से, 17 छत्रपति संभाजीनगर से, 15 पुणे से, 13 जलगांव से, 11 नांदेड़ से, पांच ठाणे से, नासिक और सोलापुर से चार-चार, मालेगांव से तीन और अहिल्यानगर से एक पर्यटक हैं। मुंबई के लगभग 61 पर्यटक सुरक्षित हैं और अभी हनुमान आश्रम में हैं। हालांकि, 149 पर्यटकों में से लगभग 75 के फोन अभी भी बंद हैं और नेटवर्क से बाहर हैं।
जलगांव के 16 लोग उत्तरकाशी में आई आपदा में लापता
जलगांव के कलेक्टर आयुष प्रसाद के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में उत्तराखंड के उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ के बाद, महाराष्ट्र के जलगांव जिले के 16 लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। स्थिति पर अपडेट देते हुए, प्रसाद ने कहा, “सूचना मिली है कि जलगांव जिले के 19 लोग उत्तरकाशी में हैं, जिनमें से तीन लोगों से संपर्क हो गया है। 16 लोगों से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है।” उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार और जलगांव जिला प्रशासन लापता व्यक्तियों का पता लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार और उत्तरकाशी जिला प्रशासन के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “महाराष्ट्र सरकार और जिला प्रशासन ने उत्तराखंड सरकार और उत्तरकाशी जिला प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की है। हमें उत्तराखंड सरकार से पूरा सहयोग मिल रहा है।”
टूटी सड़कें और मौसम पहुंचा रहे राहत कार्य में बाधा
Yesterday’s flash flood caused by cloud burst in Uttarkashi, North India is another reminder from mother nature to stop excess construction work, deforestation in the hills…
No matter how strong your economy or technology is, It doesnt stand a chance in front of nature’s… pic.twitter.com/3neTYgxSph
— Lisa Sebastian (@Goan_Senorita) August 6, 2025
राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) के महानिरीक्षक अरूण मोहन जोशी ने कहा, हमारी प्राथमिकता आज उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग के जरिए मौके पर पहुंचाना है। उन्नत उपकरणों के साथ आ रही हमारी टीम बुधवार को सड़कों के अवरूद्ध होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं। उन्होंने बताया कि धराली में 50 से 60 फुट ऊंचा मलबे का ढेर है और आपदा में लापता लोग उसके नीचे फंसे हो सकते हैं। जोशी ने बताया कि उन्नत उपकरण विशाल मलबे में लापता लोगों की तलाश करने में बचाव कर्मियों की मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी प्राथमिकता अवरूद्ध मार्गों के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकालना है। उन्होंने बताया कि उनकी संख्या 300-400 हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि सुबह 10 बजे तक 61 लोगों को हेलीकॉप्टर से ITBP मातली लाया जा चुका है। बाहर निकाले गए लोगों को उनके गंतव्य तक भेजने के प्रबंध भी किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अलावा, लापता लोगों में मजदूर भी हो सकते हैं क्योंकि बाढ़ आने के समय कई होटल निर्माणाधीन थे। इसके अतिरिक्त ऐसा बताया जा रहा है कि आपदा के समय धराली में सेब के बागानों में भी कई मजदूर काम कर रहे थे।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!