कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के माध्यम से देश की निजी कॉरपोरेट कंपनीज तो CSR नियमों के तहत खर्च कर सामाजिक कार्य तो कर ही रही हैं लेकिन इन सामाजिक कार्यों में देश की सरकारी कंपनियां भी पीछे नहीं है। देश की PSUs भी बड़े पैमाने पर Corporate Social Responsibility के तहत समाज में सकारात्मक बदलाव लेकर आ रही हैं। पीएसयू देश के कोने-कोने में जाकर जरूरतमंदों तक CSR से मदद पहुंचा रही है। देश के हर राज्यों में पीएसयू का एक बड़ा नेटवर्क है और सीएसआर स्पेंडिंग के मामले में भले ही इनका योगदान निजी कॉरपोरेट कंपनीज से कम है लेकिन इनकी पहुंच देश के दूरदराज इलाकों तक है।
क्या है पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग? (What is PSU)
पीएसयू यानी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (Public Sector Undertaking) यानी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, वो इकाई हैं जो भारत के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये ऐसी इकाई है जिनका 51 प्रतिशत या उससे अधिक शेयर पूंजी सरकार के स्वामित्व में है। इन इकाइयों को सरकार के हिसाब से सेंट्रल पीएसयू या स्टेट पीएसयू कहा जा सकता है। यानी अगर यह केंद्र सरकार के अंतर्गत कार्य करता है तो वह सेंट्रल पीएसयू होगा और वहीं इसका स्वामित्व राज्य सरकार के पास होगा तो इसे स्टेट पीएसयू की संज्ञा दी जाती है।
अगर हम पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के सीएसआर खर्चों की बात करें तो फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 4448.84 करोड़ खर्च हुए है। ये खर्च देश की 297 पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कंपनियों ने मिलकर किया है। और बात करें डेवलपमेंट सेक्टर की तो कुल 14 ऐसे सेक्टर है जहां ये सीएसआर खर्च किये गए हैं। सबसे ज्यादा खर्च (Health, Malnutrition, Safe Drinking Water और Sanitation पर हुए। सरकारी आकड़ों की मानें तो अकेले इस साल 1506.82 करोड़ रुपये खर्च हुए है।
इन राज्यों में PSUs ने खोला सीएसआर का पिटारा
अगर राज्यों की बात करें तो सबसे ज्यादा PSUs का सीएसआर खर्च हुआ है तो वो है ओडिशा, ओडिशा में 302.43 करोड़ खर्च हुए। उसके बाद नंबर आता है महाराष्ट्र का, महाराष्ट्र में 213 करोड़, छत्तीसगढ़ में 185.81, कर्णाटक में 136.43, मध्य प्रदेश में 129.24 और उत्तर प्रदेश में 117.39 करोड़ खर्च हुए।
CSR खर्च करने वाले ये हैं देश के Top PSUs
Top PSUs में सबसे ऊपर नाम आता है ONGC यानी Oil & Natural Gas Corporation Ltd. का, इस साल ओएनजीसी ने 531 करोड़ रुपये खर्च की है। दूसरे नंबर पर आता है इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड IOCL ने 445 करोड रुपए खर्च किए हैं। तीसरे नंबर पर एनटीपीसी लिमिटेड है, जिसने 418 करोड रुपए खर्च किए। पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने 240 करोड़ रुपये। पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 187 करोड़, महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने 168 करोड़। एनएमडीसी लिमिटेड ने 158 करोड, गेल इंडिया ने 146 करोड़, आरईसी लिमिटेड ने 143 करोड़, हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 141 करोड रुपए खर्च किए हैं।