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September 8, 2025

आज साल का आख़िरी चंद्रग्रहण, सूतक काल में भी बंद नहीं होते इन 5 मंदिरों के कपाट मंदिर

The CSR Journal Magazine
Lunar Eclipse-आज साल का अंतिम चंद्रग्रहण है। ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग गया है। सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। लेकिन, कुछ मंदिर ऐसे है जो सूतक काल में भी खुले रहते हैं। इन मंदिरों में सूतक काल मान्य नहीं होता है। आइए जानते हैं देश के किन 5 मंदिरों में नहीं होता ग्रहण का कोई प्रभाव।

आज है साल का आखिरी चंद्रग्रहण

आज साल का अंतिम चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण के आरंभ होने से 9 घंटे पहले सूतक काल लग चुका है। शास्त्रों के अनुसार, सूतक काल लगने पर भगवान के दर्शन नहीं किए जाते हैं न ही पूजा पाठ के कार्य किए जाते हैं। बड़े बड़े मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। आज दोपहर में 1 बजकर 57 मिनट पर सूतक काल आरंभ हो चुका है। इससे पहले सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं। लेकिन, कुछ प्रसिद्ध मंदिर ऐसे हैं जहां सूतक काल में कपाट बंद नहीं किए जाते हैं। आइए जानते हैं सूतक काल के दौरान कौन से मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे।

राजस्थान का लक्ष्मीनाथ मंदिर

राजस्थान के बीकानेर में स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर के कपाट सूतक काल में बंद नहीं किए जाते हैं। दरअसल, मान्यता है कि एक बार ग्रहण के दौरान मंदिर के पुजारी ने भगवान की आरती नहीं की, न ही उन्हें भोग लगाया। मान्यता है लक्ष्मीनाथ ने बालक का रूप धारण कर लिया और उस रात मंदिर के सामने हलवाई की दुकान पर दूकानदार से कहा, ‘मुझे भूख लगी है।’ बालक ने हलवाई को एक पाजेब देकर प्रसाद ले लिया। हलवाई ने भी पाजेब लेकर उस लड़के को प्रसाद दे दिया। अगले दिन उस मंदिर से भगवान की मूर्ति से पाजेब गायब थे। तब हलवाई ने पुजारी को सारी बात बताई। तब से लेकर अब तक किसी भी ग्रहण पर मंदिर के कपाट नहीं बंद होते हैं और ना ही पूजा-पाठ बंद किया जाते हैं

उत्तराखंड का कल्पेश्वर महादेव मंदिर 

उत्तराखंड का कल्पेश्वर महादेव मंदिर पंच केदार में शामिल है। यहीं पर भगवान शिव ने धरती पर अवतरण लेने के बाद प्रचंड गंगा मां के वेग को कम किया था। इस मंदिर के कपाट भी ग्रहण काल में कभी बंद नहीं होते।

बिहार के गया का विष्णुपद मंदिर

बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर इस मंदिर में भी चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट हमेशा खुले रहते हैं। यहां ग्रहण के समय पिंडदान करना शुभ मानते हैं। विष्णुपद मंदिर के कपाट सूतक काल में बंद नहीं किए जाते बल्कि इस समय सनातन धर्म को मानने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर में खास रूप से अपने पितरों के लिए पिंडदान कर विष्णु चरण पर अर्पित करते हैं।

महाकाल उज्जैन

ग्रहण के वक्त महाकाल मंदिर के द्वार खुले रहेंगे। ग्रहण काल के दौरान भी भगवान शिव के भक्त उनके दर्शन कर पाएंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होता है। मंदिर में पूजा अर्चना और आरती समय से की जाती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस

बनारस स्थिति काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट भी सूतक काल के दौरान खुल रहेंगे। ग्रहण आरंभ होने से 2.5 घंटे पहले मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद किए जाते हैं। ऐसे में सूतक काल का दौरान भी मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। भगवान शिव यक्ष, देवता, गंधर्व, सुर, असुर सभी के स्वामी हैं। ऐसे में माना जाता है कि सूतक का कोई भी प्रभाव उन पर नहीं होता है।

थिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर केरल 

केरल के कोट्टायम स्थित थिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर में भी सूतक काल के दौरान पूजा अर्चना और भगवान को भोग आदि लगाया जाता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति भूख के कारण दुबली होने लगती है। दरअसल, एक बाद सूर्यग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे तो भगवान कृष्ण की कमरपेटी भूख का कारण ढीली होकर गिर गई थी। तभी से यहां सूतक काल मान्य नहीं होता है।

चंद्र ग्रहण में क्या करें

चंद्र ग्रहण के समय भगवान विष्णु और चंद्र देव के नामों का जप करें। साथ ही आप महामृत्यंजय मंत्र का जप कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण के समय इस उपाय को करने से इंसान चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से दूर रहता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। चंद्र ग्रहण के समापन होने के बढ़ स्नान कर घर और मंदिर की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। इसके बाद उपासना करें। चंद्र ग्रहण के बाद मंदिर या गरीब लोगों में अन्न-धन का दान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन में वृद्धि होती है।

चंद्र ग्रहण में क्या न करें

चंद्रग्रहण के दौरान समय पूजा-अर्चना करना वर्जित है। ऐसा करने से पूजा सफल नहीं होती है। भोजन का सेवन न करें। मंदिर के कपाट बंद कर दें। नुकीली चीजों का इस्तेमाल भूलकर भी न करें। गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकालने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक काम करना वर्जित माना जाता है।
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