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October 20, 2025

सिर्फ श्रद्धा नहीं, एक संकेत है धन प्राप्ति का: आखिर क्यों दबाती हैं मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरण?

The CSR Journal Magazine
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, वैभव और समृद्धि की देवी माना गया है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं, और शास्त्रों में इन्हें “विष्णुप्रिया” कहा गया है। अक्सर मंदिरों, चित्रों और मूर्तियों में मां लक्ष्मी को भगवान विष्णु के चरणों में बैठे हुए और उनके पैर दबाते हुए दिखाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है? इसके पीछे दो प्रमुख पौराणिक कथाएं और गहरे आध्यात्मिक अर्थ छिपे हैं।

पहली पौराणिक कथा

एक बार देवर्षि नारद जी ने मां लक्ष्मी से प्रश्न किया,देवी” सभी देवता, राजा-महाराजा आपकी पूजा करते हैं, फिर भी आप भगवान विष्णु के चरण क्यों दबाती हैं? क्या आप उन्हें अपने से श्रेष्ठ मानती हैं?इस पर मां लक्ष्मी मुस्कुराईं और बोलीं  “देवर्षि, इस सृष्टि में हर प्राणी चाहे देव हो या मानव, सभी पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। स्त्री के हाथों में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है, जबकि पुरुषों के चरणों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का निवास माना गया है। जब स्त्री पुरुष के चरण दबाती है, तो यह देवगुरु और दैत्यगुरु का संगम होता है। इसी संगम से धन और समृद्धि के योग बनते हैं।इस मान्यता के अनुसार, मां लक्ष्मी जब भगवान विष्णु के चरण दबाती हैं, तो वह स्वयं सृष्टि में धन, सौभाग्य और वैभव के संतुलन का कार्य करती हैं।

दूसरी पौराणिक कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, मां लक्ष्मी की एक बहन थीं, अलक्ष्मी, जिन्हें दुर्भाग्य और दरिद्रता की देवी कहा गया। जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति भगवान विष्णु के साथ होती थीं, अलक्ष्मी वहां पहुंच जाती थीं।एक दिन मां लक्ष्मी ने क्रोध में अलक्ष्मी से पूछा जब मैं अपने पति के साथ होती हूं तो तुम बार-बार क्यों आ जाती हो?अलक्ष्मी ने उत्तर दिया “मेरा कोई पति नहीं, कोई मेरी पूजा नहीं करता, इसलिए जहां तुम रहोगी, वहीं मैं भी रहूंगी।यह सुनकर मां लक्ष्मी ने अलक्ष्मी को श्राप दिया “आज से तुम्हारा पति मृत्यु का देवता यम होगा। और जहां गंदगी,आलस, क्लेश, झगड़ा और अपवित्रता होगी, वहीं तुम्हारा वास रहेगा।इसलिए कहा जाता है कि मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणों को दबाकर और उन्हें स्वच्छ रखकर अलक्ष्मी को उनके पास आने से रोकती हैं। यही कारण है कि हिंदू परंपराओं में साफ-सफाई और पवित्रता को लक्ष्मी प्राप्ति का मूल माना गया है।

आध्यात्मिक अर्थ – धन और धर्म का मिलन

देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का संबंध केवल पति-पत्नी का नहीं, बल्कि धन और धर्म के संतुलन का प्रतीक है। विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं, धर्म, न्याय और व्यवस्था के प्रतीक; वहीं लक्ष्मी वैभव, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं।देवी लक्ष्मी का भगवान विष्णु के चरणों में बैठना यह दर्शाता है कि धन को सदैव धर्म के अधीन रहना चाहिए। जब वैभव धर्म के मार्ग पर चलता है, तभी सृष्टि में संतुलन और शांति बनी रहती है।

क्या पति के पैर दबाने से होती है धनवर्षा?

लोकमान्यताओं में कहा जाता है कि अगर पत्नी रात को सोने से पहले 41 दिनों तक अपने पति के पैर दबाए, तो उसके जीवन में धन की कमी नहीं होती। यह विश्वास इस प्रतीकवाद से जुड़ा है कि जब स्त्री समर्पण, प्रेम और सेवा भाव से अपने जीवनसाथी का सम्मान करती है, तो घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।हालांकि शास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि असली समृद्धि केवल किसी कर्मकांड से नहीं आती। धन, वैभव और सौभाग्य वहीं टिकता है, जहां प्रेम, सम्मान, पवित्रता और धर्म का पालन होता है।

मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का संदेश

मां लक्ष्मी द्वारा भगवान विष्णु के चरण दबाना केवल सेवा या समर्पण का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि धन तभी अर्थपूर्ण होता है जब वह धर्म के साथ जुड़ा हो।भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी मिलकर सृष्टि में संतुलन, सौहार्द और समृद्धि बनाए रखते हैं। यही कारण है कि लक्ष्मी जी का सच्चा आशीर्वाद पाने के लिए हमें अपने घर, मन और कर्म को स्वच्छ और सच्चा रखना चाहिए, क्योंकि जहां पवित्रता और प्रेम है, वहीं मां लक्ष्मी का वास होता है।घर में सफाई, शांति और प्रेम का माहौल बनाए रखें, क्योंकि जहां क्लेश और गंदगी होती है, वहां अलक्ष्मी बसती हैं। और जहां सदाचार और भक्ति होती है, वहां मां लक्ष्मी स्वयं आती हैं।
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