Warangal Mystery Temple: भारत रहस्यों और आस्था का देश है। यहां हर मंदिर की अपनी एक खास पहचान है, लेकिन कुछ मंदिर इतने अलौकिक और चमत्कारी होते हैं कि विज्ञान भी उनके आगे ठहर जाए। तेलंगाना के वारंगल जिले के मल्लूर गांव में स्थित हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर (Lakshmi Narasimha Swamy Temple Mallur) भी ऐसा ही एक मंदिर है, जहां लोग मानते हैं कि भगवान नरसिंह आज भी ‘जिंदा’ रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में न केवल श्रद्धा है, बल्कि चमत्कार की वो झलक भी है, जो लोगों को हैरत में डाल देती है।
यहां भगवान की मूर्ति ‘जिंदा’ क्यों मानी जाती है?
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां विराजमान भगवान नरसिंह की मूर्ति, जो आम मूर्तियों की तरह पत्थर या धातु की नहीं है, बल्कि मानव त्वचा जैसी सॉफ्ट महसूस होती है। एक यूट्यूबर के दावे के मुताबिक, यह मूर्ति 10 फीट लंबी है और जब उस पर फूल रखा जाता है तो वह दबकर अंदर चला जाता है। इतना ही नहीं, यदि अधिक दबाव दिया जाए तो मूर्ति से खून जैसे लाल रंग का तरल भी निकलता है। यह तरल मूर्ति की नाभि (navel) से लगातार बहता रहता है, जिसे रोकने के लिए पुजारी चंदन का लेप करते हैं। Lakshmi Narasimha Swamy Temple Mallur
लोगों को मूर्ति से मिलती है सांसों की अनुभूति
मंदिर के पुजारियों का दावा है कि जब कोई भक्त मूर्ति के पास जाता है, तो उसे ऐसा अनुभव होता है मानो मूर्ति सांस ले रही हो। यही कारण है कि इस मंदिर में आने वाले हजारों श्रद्धालु इसे साधारण मंदिर नहीं बल्कि ‘जीवित देवता का धाम’ मानते हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह मूर्ति पहाड़ी से स्वयं प्रकट हुई थी, इसलिए इसे स्वयंभू (self-manifested) माना जाता है।
पवित्र जलधारा: चिंतामणि जलपथम
मंदिर के निकट एक पवित्र जलधारा बहती है, जिसे भगवान नरसिंह के चरणों से उत्पन्न माना जाता है। रानी रुद्रम्मा देवी ने इस जलधारा का नाम ‘चिंतामणि’ रखा था और आज यह ‘चिंतामणि जलपथम’ के नाम से प्रसिद्ध है। श्रद्धालु इस जलधारा में स्नान करते हैं या इसका पानी बोतलों में भरकर घर ले जाते हैं, क्योंकि यह जल औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है और इससे शारीरिक व मानसिक शुद्धि होती है।
150 से ज्यादा सीढ़ियों के बाद मिलते हैं दर्शन
इस मंदिर में भगवान के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं को 150 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह चढ़ाई कठिन जरूर है, लेकिन माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यह सीढ़ियां चढ़ता है, उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लोग यहां संतान प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति की कामना लेकर आते हैं और कई बार उनकी प्रार्थनाएं चमत्कारिक रूप से पूरी भी होती हैं।
मंदिर खुलने का समय और खास मान्यता
हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और फिर दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। खास बात यह है कि शाम 5:30 बजे के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि भगवान नरसिंह इसके बाद आसपास के जंगलों में विचरण करने निकलते हैं। यही कारण है कि इस मंदिर में दर्शन का समय सीमित और अनुशासित रखा गया है।
मल्लूर पहुंचने का मार्ग
इस चमत्कारी मंदिर तक पहुंचने के लिए आप विभिन्न मार्गों का उपयोग कर सकते हैं:
सड़क मार्ग: वारंगल, मणुगुरु और भद्राचलम-एदुलापुरम रोड से मल्लूर के लिए बसें उपलब्ध हैं। टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचना और भी आसान है।
रेल मार्ग: यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मणुगुरु (BDCR) है, जहां से मंदिर कुछ किलोमीटर की दूरी पर है।
हवाई मार्ग: यदि आप दूर से आ रहे हैं तो हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरकर सड़क या रेल मार्ग से मल्लूर पहुंच सकते हैं।
आस्था और चमत्कार का संगम
तेलंगाना का यह मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि चमत्कार और रहस्यों का ऐसा संगम है, जो हर श्रद्धालु को भीतर तक झकझोर देता है। नरसिंह भगवान की ‘जिंदा’ मूर्ति आज भी लोगों के लिए चमत्कार और विश्वास का प्रतीक बनी हुई है। यहां आने वाला हर व्यक्ति अपने साथ न केवल पुण्य कमाकर लौटता है, बल्कि जीवन में शांति और समाधान भी पाता है। अगर आपने अब तक इस मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं, तो एक बार जरूर यहां जाकर ‘जिंदा भगवान’ का अनुभव कीजिए—जो शब्दों से परे और आत्मा से जुड़ा हुआ है।