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March 12, 2025

IIFA Awards 2025: पिंक सिटी में लापता लेडिज ने मारी बाज़ी

IIFA Awards 2025- गुलाबी ठंड के बीच रविवार शाम को जयपुर एक्जीबिशन कन्वेंशन सेंटर (JECC) में आयोजित 25वें IIFA Awards समारोह में फिल्‍म ‘Laapata Ladies‘ ने बाजी मारी। फिल्‍म ने अलग-अलग श्रेणी में दस अवॉर्ड जीते। Champions Trophy में भारत बनाम न्यूजीलैंड के फाइनल क्रिकेट मैच के बावजूद JECC मैदान सिनेप्रेमियों से भरा हुआ था। IIFA Awards 2025 की शुरुआत शो के होस्ट कारण जौहर ने PM Modi का संदेश पढ़कर की जिसमें PM ने भारतीय सिनेमा को समाज में बदलाव लाने का सबसे बड़ा माध्यम बताया और सिनेमा जगत को बढ़िया काम करने के लिए बधाई दी।

IIFA ने किया कार्तिक को बेस्ट एक्टर अवॉर्ड से सम्मानित

भूल भुलैया 3 के लिए सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता का अवॉर्ड जीतने वाले कार्तिक आर्यन ने कहा कि, ‘भूल भुलैया का सफर कांटों भरा रहा है। जब पहली बार भूल भुलैया 2 के लिए चुना गया था, तब बहुत सवाल उठे थे कि क्‍या मेरे कंधे पर यह फिल्‍म चल पाएगी या नहीं?’ फिल्‍म ‘Laapata Ladies’ के लिए सर्वश्रेष्‍ठ सहायक अभिनेता का पुरस्‍कार जीतने वाले अभिनेता और सांसद रवि किशन ने कहा, ‘मैंने क्षेत्रीय भाषाओं को मिलाकर कुल 750 फिल्में की हैं, लेकिन कभी अवॉर्ड नहीं मिला। बहुत लंबी यात्रा रही है, लोग चलकर आते हैं, मैं रेंगकर आया हूं। मोदी जी को धन्यवाद दूंगा क्योंकि उन्होंने मुझे कभी रोका नहीं, ना वो रोकते हैं, ना ही योगी आदित्‍यनाथ जी। उन्होंने कहा कि सिनेमा भी करो और जनता और देश की सेवा भी करो।’

Laapata Ladies-पुरुषप्रधान देश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का संदेश

Laapata Ladies फिल्म महिलाओं को एक-दूसरे का समर्थन करने, आत्मनिर्भर बनने और अपनी सोच के अनुसार जीने के अधिकार का संदेश देती है, साथ ही यह भी कि सम्मान हर किसी का हक है। फिल्म में मंजू माई का किरदार, जो एक अपमानजनक शादी से बाहर निकलकर आत्मनिर्भर बनती है, महिलाओं को खुद के लिए जीने और कमाने का संदेश देता है। मंजू माई जैसी कई महिलाएं आपको अपने आसपास मिल जाएंगी जो शादी के बाद घुटन भरी जिंदगी जी रही हैं। लेकिन मंजू माई ने बताया कि ज़िल्लत से बाहर निकलकर एक आत्मनिर्भर ज़िंदगी जीने के लिए धनपति होना ज़रूरी नहीं है। ज़रूरत है बस ख़ुद पर यकीन करने की। मौक़े ख़ुदबख़ुद मिलते जाएंगे। मंजू माई को समाज में सर उठाकर जीने के लिए किसी पुरुष के नाम या सहारे की ज़रूरत नहीं है। समाज ने एक मिथक सदियों से महिलाओं के लिए तय कर रखा है कि औरत को समाज में ससम्मान जीने के लिए एक पुरुष के नाम की ज़रूरत है। मंजू माई ने इस मिथक की धज्जियां उड़ा दी हैं। फिल्म में एक डायलॉग है – “अकेले रहना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन एक बार अकेले रहना सीख गए तो फिर आपको कोई तकलीफ नहीं पहुंचा सकता।” फिल्म में दिखाया गया है कि महिलाएं एक-दूसरे का साथ दे सकती हैं और एक-दूसरे को आगे बढ़ा सकती हैं, जो सास-बहू के बीच हमेशा मतभेद रहने की रूढ़िवादिता को तोड़ता है। महिलाओं को अगर रूढ़िवादी समाज की बेड़ियों को तोड़ना है तो इसमें उसकी सच्ची साथी एक औरत ही बन सकती है, क्यूंकि एक औरत ही दूसरी औरत की मनोदशा को समझ सकती है। फिल्म में एक डायलॉग है – “अगर सामने वाला आपसे हमेशा सम्मान की उम्मीद करता है तो ये आपका भी हक बनता है कि आप भी उससे उतने ही सम्मान की मांग कीजिए।”

IIFA से पहले Oscar तक भी पहुंची थी Laapata Ladies

आमिर खान और किरण राव द्वारा निर्मित तथा किरण राव द्वारा निर्देशित हिंदी कॉमेडी फिल्म ‘Laapata Ladies’ को 97वें अकादमी पुरस्कार 2025 (Oscar Awards) में अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के लिए भारत की Official Entry के लिए चुना गया था। हालांकि फ़िल्म अंतिम 15 फ़िल्मों की सूची में अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं हो पाई। अंतर्राष्ट्रीय फ़ीचर फ़िल्म श्रेणी देश-चयनित फ़ीचर फ़िल्म के लिए है। पिछले साल, सुपरहिट मलयालम फिल्म “2018: Everyone’s A Hero” 96वें Oscar Awards 2024 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि थी। असमिया निर्देशक Jahnu Barua की अध्यक्षता वाली Film Federation of India की चयन समिति और 13 सदस्यीय जूरी ने Laapata Ladies को Oscar Awards में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना था। समिति ने 97वें ऑस्कर पुरस्कारों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए नामांकित 30 फिल्मों की समीक्षा की। जिन फिल्मों पर विचार किया गया उनमें से कुछ थीं ‘Hanu-Man, कल्कि 2898 ई., आतम, All We Imagine As Light, Waazhai, Thanglaan, चंदू चैम्पीयन, सैम बहादुर, स्वातंत्र्य वीर सावरकर, मैदान और जोराम।

पिछड़े रीतिरिवाजों का खामियाजा भुगतती Laapata Ladies

यह फिल्म दो युवा दुल्हनों के बारे में है जो ट्रेन यात्रा के दौरान अदला बदली के कारण गलती से एक दूसरे के पतियों के घर चली जाती हैं। यह फिल्म भारत की पितृसत्तात्मक व्यवस्था पर एक व्यंग्य है और ग्रामीण भारत में Gender Equality और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। फिल्म में महिलाओं की उलझन को इस तरह से पिरोया गया है कि उनकी कहानी करोड़ों औरतों का हौसला मजबूत करती है। मर्द हो या औरत, फिल्म से हर कोई कई ऐसी बातें सीख सकते हैं जो उनकी जिंदगी आसान बना देगी। फिल्म में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव, छाया कदम और रवि किशन समेत अन्य कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैं जिन्होंने अपने स्वाभाविक अभिनय से फिल्म को हर दिल के करीब ला दिया है।

Oscar Awards के लिए अब तक नामांकित भारतीय फिल्में

Laapata Ladies सहित अब तक 57 भारतीय फिल्मों को ऑस्कर में ‘अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी’ के लिए नामांकित किया जा चुका है। महबूब खान द्वारा निर्देशित Iconic फिल्म ‘Mother India’ 1957 में Oscar के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। अब तक केवल तीन भारतीय फिल्मों, मदर इंडिया (1958), सलाम बॉम्बे (1989) और लगान (2001) ने ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित अंतिम सूची में जगह बनाई है। अभी तक किसी भी भारतीय फिल्म ने Oscar में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी का पुरस्कार नहीं जीता है। अभी तक, 10 भारतीयों ने ऑस्कर पुरस्कार जीते हैं, जिनमें से भानु अथैया 1982 में गांधी फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ Costume Designer श्रेणी के लिए पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय थीं। ए.आर.रहमान ने दो बार Oscar Award जीतने में कामयाबी पाई। 2009 में ‘Jai Ho’ गाने के लिए Best Original Song और इसी गाने के लिए Best Original Score, दो Awards एक साथ जीतने वाले पहले भारतीय रहे A R Rahman!

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