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November 27, 2025

कुशवाहा का ‘पुत्र-मोह’ या पार्टी बचाने की रणनीति? मंत्री बनते ही RLM में बगावत!

The CSR Journal Magazine
राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को बिहार की नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनाए जाने के तुरंत बाद, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में बड़ा विरोध शुरू हो गया है। इस फैसले से नाराज़ होकर पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है, जिससे पार्टी में टूट साफ दिखाई दे रही है।
इस्तीफा देने वालों में RLM के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ, प्रदेश प्रवक्ता राहुल कुमार, और प्रदेश महासचिव प्रमोद यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। इन नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को पत्र भेजकर हालिया पार्टी फैसलों पर अपनी असहमति जताई है।

“9 साल साथ काम किया, पर अब नहीं…” – कुशवाहा पर क्या है बागी नेता का बड़ा आरोप?

जितेंद्र नाथ ने अपने इस्तीफे में कहा कि वह बीते 9 साल से कुशवाहा के साथ काम कर रहे थे, लेकिन अब कई राजनीतिक और सांगठनिक निर्णयों से खुद को जोड़ नहीं पा रहे हैं। जितेंद्र नाथ ने सीधे आरोप लगाया कि कुशवाहा ने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाकर उसे ‘लॉन्च’ करने का फैसला लिया है। उन्होंने सीट बंटवारे में पार्टी हितों की अनदेखी और बेटे को बिना चुनाव जीते मंत्री बनाने पर सवाल उठाए। जितेंद्र नाथ ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कुशवाहा की पत्नी के विधायक होने के बावजूद उन्हें मंत्री न बनाना यह दर्शाता है कि उन्हें अपनी पत्नी पर भी भरोसा नहीं है।

बेटे को मंत्री और पत्नी को दरकिनार! क्या है कुशवाहा की सफाई के पीछे का सच?

दीपक प्रकाश को मंत्री पद दिए जाने पर सवाल उठना लाज़िमी है, क्योंकि RLM ने NDA में रहकर 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 पर जीत दर्ज की, लेकिन किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। बेटे को बिना चुनाव जीते सीधे मंत्री बनाने की चर्चा है कि उन्हें आगामी MLC चुनाव के माध्यम से सदन भेजा जाएगा।
इन सवालों पर कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर सफाई दी थी। उन्होंने दावा किया कि पिछली पार्टी रालोसपा में विधायक और सांसद उनका साथ छोड़कर चले गए थे, और इस बार पार्टी को टूटने से बचाने के लिए उन्होंने यह ‘सबक’ लेते हुए अपने बेटे को मंत्री बनाया है।

पार्टी टूटने का डर या परिवारवाद की डोर? कुशवाहा के फैसले पर गहराया विवाद!

हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफे ने कुशवाहा की इस सफाई पर और भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि यह फैसला पार्टी के कार्यकर्ताओं के हित में नहीं, बल्कि सीधे तौर पर परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा में शुरू हुआ यह अंदरूनी विवाद, आगामी बिहार की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकता है।
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