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October 31, 2025

असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने दिवंगत पशुप्रेमी गायक जुबिन गर्ग को दी अनूठी श्रद्धांजलि

The CSR Journal Magazine
असम के काजिरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जन्मी एक नवजात मादा हाथी के बच्चे का नाम “मायाबिनी” रखा गया है। यह नाम दिवंगत असमिया गायक जुबिन गर्ग के प्रिय गीत से प्रेरित है। इस नाम के माध्यम से उनकी स्मृति को सम्मानित किया गया है और असम की आत्मा का उत्सव मनाया गया है।
यह हाथी का बच्चा विश्व पशु दिवस 4 अक्टूबर 2025 के दिन पैदा हुआ था, और इसका नामकरण असम के पर्यावरण एवं वन मंत्री चंद्र मोहन पाटोवरी ने किया।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने किया जुबिन गर्ग को याद

काजिरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने जुबिन गर्ग को सम्मान देते हुए उन्हें अनूठी श्रद्धांजलि दी। असम के प्रसिद्ध काजिरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में एक नवजात हाथी के बच्चे का नाम जुबिन गर्ग की याद में ‘मायाबिनी’ रखा गया है। यह नामकरण का दिन था World Animal Day का, जो पशु अधिकारों और वन्यजीव संरक्षण के लिए पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। हाथी की मां का नाम कुवारी है, जो काजिरंगा पार्क की एक वरिष्ठ हाथी है। इस नवजात हाथी का जन्म शनिवार को हुआ।

मायाबिनी का अर्थ और जुबिन गर्ग से संबंध

“मायाबिनी” नाम जुबिन गर्ग के लोकप्रिय गीत “Mayabini Rātir Bukut” से लिया गया है। यह गीत उनके अंतिम संस्कार में भी एक तरह की श्रद्धांजलि बन कर गूंज उठा था, और उनके प्रशंसकों के बीच बहुत भावनात्मक महत्व रखता है। “Mayabini Rātir Bukut” जुबिन गर्ग का एक बेहद लोकप्रिय असमिया गीत है, जिसका अर्थ है ‘रात के जादुई सीने में’ या ‘रात की मोहक गोद में।’ यह गीत असम के प्राकृतिक सौंदर्य, रहस्यमयी रातों और मानवीय भावनाओं को दर्शाता है, यानी प्रेम, शांति और प्रकृति का जुड़ाव। इसलिए, काजिरंगा में जन्मी इस नई ज़िंदगी को “मायाबिनी” नाम देना, मानो उस गीत को सजीव रूप में प्रकृति में पुनर्जन्म देना है।

जुबिन गर्ग का प्रकृति-प्रेम और असम से लगाव

जुबिन गर्ग सिर्फ गायक नहीं, बल्कि असम के पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के मुखर समर्थक थे। वे कई बार काजिरंगा और मानस नेशनल पार्क के संरक्षण अभियानों में भी शामिल हुए थे। उनके करीबी कहते हैं, “Zubeen loved elephants. He saw them as symbols of freedom and innocence.” यानि जुबिन हाथियों को स्वतंत्रता और मासूमियत का प्रतीक मानते थे।इसलिए, काजिरंगा का यह निर्णय उनके जीवन दृष्टिकोण से गहराई से जुड़ता है। “मायाबिनी” जीवन और आशा का प्रतीक है। नवजात हाथी, जंगल में नया जीवन, और “मायाबिनी” नाम, यह तीनों मिलकर प्रकृति और संगीत की आत्मा को जोड़ते हैं। यह एक ऐसा नाम है जो जीवन के चक्र, सौंदर्य और करुणा को दर्शाता है। वही भावनाएं, जो जुबिन गर्ग के गीतों में बार-बार झलकती थीं। असमिया लोग इस नाम को “भावनात्मक पुनर्जन्म (Emotional Rebirth)” मान रहे हैं, यानी वह स्वर जो अब जंगल में गूंजेगा।

असमिया समाज की प्रतिक्रिया

असम के लोग इसे एक “सांस्कृतिक श्रद्धांजलि” के रूप में देख रहे हैं, न कि सिर्फ नामकरण के रूप में! सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने लिखा, “Zubeen is still singing in Kaziranga, through Mayabini.” कई लोगों ने कहा कि यह नामकरण “असमिया आत्मा की पहचान” है, जो संगीत, भावना और प्रकृति को एक सूत्र में बांधता है। असमिया लोगों का मानना है कि- काजिरंगा यानि असम की धरती का गर्व, हाथी यानि असम की शक्ति और धैर्य का प्रतीक, मायाबिनी यानि असम की आत्मा और जुबिन गर्ग की स्मृति का जादू। इस तरह, यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक कविता है जो असम की मिट्टी और संगीत दोनों को जोड़ती है।

जुबिन गर्ग- असम के रॉकस्टार 

जुबिन गर्ग का जन्म 18 नवंबर 1972 को म्यांमेग्लिया (Meghalaya) में हुआ था, लेकिन उनका परिवार बाद में असम में स्थानांतरित हुआ। उनका मूल नाम Zubeen Borthakur था। “गर्ग” नाम उनके गुरु कालिनाथ शर्मा ने दिया। उनके माता-पिता कलात्मक पृष्ठभूमि से थे। पिता कविता और गाने लिखते थे, मां स्वयं भी गायिका थीं। संगीत का परिचय उन्हें बचपन से ही मिला। वे बहुत सी शैलियों में पारंगत हो गए, लोक, भारतीय शास्त्रीय, पॉप, रॉक आदि।

करियर और उपलब्धियां

जुबिन गर्ग ने लगभग 33 वर्षों तक सक्रिय रूप से संगीत और फिल्म में योगदान दिया। विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, उन्होंने 40 से अधिक भाषाओं और बोलियों में गीत गाए हैं। वे एक बहु-वाद्य वादक भी थे। डोल, डोटारा, मृदंग, हार्मोनियम, मण्डोलिन और अन्य वाद्य उन्होंने बजाए। हिंदी संगीत में उनका सबसे प्रसिद्ध गीत था “या अली” जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसके अलावा, उन्होंने असमिया फिल्मों में अभिनय, संगीत निर्देशन और निर्माण का काम भी किया।

सामाजिक और मानवीय योगदान

जुबिन गर्ग ने असम में कला एवं सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करने में भूमिका निभाई। वह असम में बाढ़, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य-संबंधी राहत कार्यों में सक्रिय रहे। उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई। जैसे कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी आंदोलन में उन्होंने गीतों व सार्वजनिक मंचों पर भाग लिया। 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में एक स्कूबा-डाइविंग दुर्घटना में जुबिन गर्ग का असमय निधन हो गया। उनके जाने से असम और भारतीय संगीत जगत में गहरा शोक व्याप्त है। असम सरकार ने उनके निधन पर तीन दिन का शोक घोषित किया और एक न्यायिक आयोग की स्थापना की है ताकि मृत्यु की परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच हो सके।
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