बेलगावी कर्नाटक के कित्तूर रानी चेनम्मा मिनी जू (Belagavi / Kittur Rani Chennamma Mini Zoo) में एक भयावह संक्रमण की चपेट में आकर सिर्फ चार दिनों में 38 में से 31 ब्लैकबक (कृष्ण हिरण) की मौत हो गई है। इस घटना ने न सिर्फ चिड़ियाघर प्रशासन और वन विभाग की गंभीर भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि पूरे राज्य में चिड़ियाघर जीवों की स्वास्थ्य निगरानी (Zoo Biosecurity) की व्यवस्था की समीक्षा की मांग भी तेज कर दी है।
बेलगावी ज़ू में संक्रमण से 38 में से 31 ब्लैकबक की मौत-Zoo Biosecurity पर गम्भीर सवाल
कर्नाटक के किट्टूर रानी चेनम्मा (बेलगावी) मिनी ज़ू में हालिया संक्रमण ने 38 ब्लैकबक के झुंड में से 31 की जान ले ली। एक ऐसा घटनाक्रम जो न केवल स्थानीय प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाता है बल्कि देशभर के जू-नेटवर्क में जैव-सुरक्षा (Biosecurity) की खामियों को भी उजागर करता है। प्रारम्भिक रूप से इन मौतों को हैमोरेजिक सेप्टिसीमिया (Hemorrhagic Septicaemia) जैसी बैक्टीरियल बीमारी से जोड़ा जा रहा है, लेकिन विस्तृत फाइनल रिपोर्ट अभी जारी नहीं हुई है।
घटना का ब्यौरा और शुरुआती निष्कर्ष
मृत्यु की गति और पैटर्न इस तरह से सामने आई। पहली लहर में 8 ब्लैकबक 13 नवंबर को मरे। आगे 20 ब्लैकबक अगले दिन (शनिवार) मरे और बाकी कुछ अगले दो दिनों में और। इस तरह कुल मिलाकर 31 ब्लैकबक मारे गए, और सिर्फ 7 ही बचे हैं।
संभावित कारण: जीवाणु संक्रमण
प्रारंभिक जांच में हेमोरैजिक सेप्टीसीमिया (Hemorrhagic Septicemia, HS) नामक संक्रमण की आशंका जताई गई है, जो कि एक तीव्र और जानलेवा बैक्टीरियल बीमारी है। पोस्टमॉर्टम (शव परीक्षण) में व्यापक रक्तस्रावी (Haemorrhagic) घाव मिले हैं, जो बैक्टीरिया संक्रमण की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा, विशेषज्ञों ने तनाव (stress), अचानक तापमान गिरावट, और आबादी के घनत्व को भी जोखिम फैक्टर बताया है, क्योंकि ये स्थितियां बैक्टीरियल स्पाइक्स को बढ़ा सकती हैं।
आरंभिक जांच के बाद वन मंत्री की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने उच्च-स्तरीय जांच का आदेश दिया है। विशेषज्ञों की टीम में बैनरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क (Bannerghatta Biological Park) के डॉक्टर शामिल किए गए हैं, ताकि संक्रमण की जड़ और फैलाव का स्रोत खोजा जाए। बाकी बचे ब्लैकबकों को अलग (क्वारंटीन) किया गया है और उनकी स्वास्थ्य देखभाल (ट्रीटमेंट) जारी है। चिड़ियाघर के Enclosures, भोजन स्रोत, पानी, सतह स्वच्छता आदि की समीक्षा की जा रही है, ताकि यह समझा जा सके कि संक्रमण कैसे फैला।
ब्लैकबक्स के संरक्षण को लेकर कानूनी चिंता
ब्लैकबक भारत में अनुसूची I (Schedule-I) में आने वाले संवेदनशील प्राणी हैं, यानी उनकी सुरक्षा और संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। वन और संरक्षण विशेषज्ञों ने चिड़ियाघर प्रबंधन की लापरवाही पर कड़ी निंदा की है। कुछ का मानना है कि शुरुआती चेतावनियों के बाद भी क्वारंटीन और तनाव-नियंत्रण उपाय पर्याप्त रूप से नहीं किए गए। चिड़ियाघर प्राधिकरण ने कहा है कि अगर पुलिस या वन विभाग की जांच में लापरवाही पुष्टि होती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बेलगावी ज़ू में ब्लैकबक्स की मौत की घटना गंभीर “वाइल्डलाइफ संकट” क्यूं है?
बेलगावी ज़ू में 31 ब्लैकबक्स की मौत सिर्फ चिड़ियाघर का नुकसान नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण संरक्षण प्रजाति (ब्लैकबक) का बड़ा झटका है। ऐसी उच्च मृत्यु दर दुर्लभ जीवों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। संक्रमण इतनी तेज़ी से फैला कि शुरुआती कदमों में देरी हुई, जिससे नियंत्रण मुश्किल हो गया। यह चिड़ियाघरों में बीमारी निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की खामियों को उजागर करता है। अगर संक्रमण अन्य चिड़ियाघरों तक फैलता है, तो वह व्यापक जैव-सुरक्षा संकट बन सकता है। सरकारी स्तर पर सभी चिड़ियाघरों (कम से कम राज्य के स्तर पर) को बायोसुरक्षा अलर्ट जारी करना पड़ा है। यह घटना वन प्रशासन, चिड़ियाघर प्रबंधन और सार्वजनिक जागरूकता के लिए खतरे की एक कड़ी चेतावनी है जो यह दिखाती है कि जंगली जानवरों की देखभाल सिर्फ दर्शकों और Enclosure डिजाइन तक सीमित नहीं हो सकती; उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं, नियमित जांच और बीमारी निवारण रणनीतियों की जरूरत है।
चिड़ियाघरों में हुई घटनाओं के पिछले समान उदाहरण
जब भी चिड़ियाराघर में जानवरों की असामान्य संख्या में मृत्यु होती है, वह न सिर्फ स्थानीय प्रबंधन की समस्या बनती है बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संरक्षण चिंताओं का विषय भी बन जाती है। नीचे कुछ पिछले उदाहरण दिए जा रहे हैं-
थिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) ज़ू- बड़े पैमाने पर जानवरों की मृत्यु (2018–2023)
RTI से प्राप्त डेटा के अनुसार केरल के National Zoo में पांच वर्षों में लगभग 500 से अधिक जानवरों की मृत्यु हुई। कारण- रोग, झगड़े, दुर्घटनाएं और कभी-कभी संक्रमक बीमारियां (जैसे M. bovis-जनित TB) भी सामने आईं। यह दर्शाता है कि नियमित स्वास्थ्य रजिस्टर और निगरानी के अभाव में मृत्यु-दर उच्च रहती है।
Bannerghatta Biological Park (Bengaluru)– तनाव/कैंप्रेचर-रिलेटेड मृत्यु (2025)
हालिया घटनाओं में एक गर्भवती ज़ेबरा की मृत्यु तथा अन्य पशु दुर्घटनाएं दिखाई दी हैं। ये प्रकरण दिखाते हैं कि कैप्टिव एनिमल्स पर स्टोर और Enclosure-Management की कमी भी जानलेवा हो सकती है।
कानपुर ज़ू- पक्षियों/इमू का संक्रमण-संदिग्ध मामला (2025)
कुछ पक्षियों की मरणोपरांत जांच में Avian Influenza के संकेत मिले, जिस पर जू को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा और नमूने IVRI को भेजे गए। यह बताता है कि पक्षियों से जुड़े रोगों का ज़ूनो-इंटरेक्शन व्यापक व्यवधान पैदा कर सकता है।
पुणे जू (Pune Zoo)
यहां हाल ही में स्पॉटेड हिरण (Spotted Deer) की मौतें हुई थीं, जिन्हें संभावित वायरस (Foot-and-Mouth Disease या अन्य संक्रमण) से जोड़ा गया था।
Hong Kong Zoo
Soil-Borne बैक्टीरियल Melioidosis ने कई बंदरों की जान ले ली। यह दर्शाता है कि पर्यावरणीय पैतृक स्रोत (Soil/Water) भी जू में इंटीग्रेटेड बायोसुरिटी की विफलता का कारण बन सकते हैं। वैश्विक स्तर पर ऐसे मामले ज़्यादा प्रमाणित हो चुके हैं जहां ज़ू में संतुलित बायोसुरक्षा नहीं होने के कारण घातक संक्रमण फैल गए। यह घटना बताती है कि जू प्रबंधन में न सिर्फ संरक्षण, बल्कि स्वास्थ्य प्रबंधन + पशु-स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर कितना अहम है।
वन्य जीव संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी
बेलगावी में ब्लैकबक की इतनी बड़े पैमाने पर मृत्यु प्रकृति संरक्षण की विफलता का संकेत है, न सिर्फ इंसानी लापरवाही, बल्कि प्रणालीगत कमी का। तुरंत कदम उठाना ज़रूरी है। बचे हुए ब्लैकबक्स की निरंतर देखभाल, क्वारंटीन, निगरानी, एन्क्लोज़र साफ-सफाई और संभावित संक्रमण स्रोत की पहचान। कर्नाटक सरकार और चिड़ियाघर प्राधिकरण को जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भविष्य में इसी तरह की घटनाओं पर रोक लग सके। दीर्घकालिक सुधार में ज़ू में स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली को मजबूत किया जाना चाहिए, जिसमें नियमित स्वास्थ्य जांच, वैक्सीनेशन और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र शामिल हों। नागरिकों और वाइल्डलाइफ संगठनों को जागरूक कर, जू प्रबंधन में समीक्षा और जवाबदेही का दबाव बनाना चाहिए।
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