दिल्ली सरकार ने कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ने कांवड़ शिविर समितियों के साथ बैठक कर उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। शिविरों में बिजली, पानी, दवा जैसी सुविधाएं मिलेंगी। समस्याओं के समाधान के लिए एकल खिड़की प्रणाली शुरू की जाएगी। दिल्ली के विभिन्न विभागों के मंत्री स्वयं कांवड़ियों की निगरानी करेंगे।
पवित्र श्रावण मास की तैयारियां शुरू
दिल्ली सरकार ने कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। कांवड़ियों की सुविधा के लिए दिल्ली में लगने वाले शिविरों में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। हर साल श्रावण मास में कांवड़ यात्रा आयोजित होती है, जिसमें बड़ी संख्या में यात्री भाग लेते हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि पिछले वर्षों में इस यात्रा के नाम पर भ्रष्टाचार और दुरुपयोग की शिकायतें आम थीं। इससे जुड़ी टेंडर प्रणाली में केवल कुछ लोगों का दबदबा था और धनराशि सीधे आम जनता तक नहीं पहुंचती थी।
कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि इस बार कांवड़ यात्रा में भ्रष्टाचार बिल्कुल नहीं होगा। सरकार ने कांवडियों से संबंधित समितियों से फीडबैक लेकर इन समस्याओं को समझा है। पिछली सरकारों ने इस क्षेत्र में कोई ठोस सुधार नहीं किए थे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ख़ुद तैयारियों का जायज़ा लिया
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में कांवड़ शिविर लगाने में सहयोग करने वाली समितियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। कांवड़ यात्रा की समितियों के तहत ठेकेदारों के बिल कई वर्षों से लंबित थे, उनका भुगतान भी कर दिया गया है। अब चार श्रेणियों में भुगतान तय होगा, जो 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक होंगे, जो टेंटिंग क्षेत्र और शिविर की अवधि पर निर्भर करेगा। 50 प्रतिशत भुगतान यात्रा से पहले और 50 प्रतिशत यात्रा के बाद दिया जाएगा। सभी भुगतान उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त होने के 3 महीने के भीतर किए जाएंगे। दिल्ली सरकार के सभी मंत्री कांवड़ शिविरों की निगरानी करेंगे, जिससे अविलंब समस्या का समाधान हो सके।
11 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा, कांवड़ यात्रा उत्तर भारत की एक प्रमुख धार्मिक परंपरा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य पवित्र स्थलों से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। लाखों श्रद्धालु दिल्ली से गुजरते हैं। इसलिए दिल्ली भक्तों के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
भगवान भोलेनाथ की आराधना का पर्व- कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा, श्रावण के पवित्र माह में शिव भक्तों द्वारा की जानें वाली तीर्थयात्रा है। इस यात्रा में, भक्त गंगा नदी से जल भरकर लाते हैं और उस जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। यह यात्रा मुख्य रूप से हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थानों से शुरू होती है।
शिव की आराधना: कांवड़ यात्रा भगवान शिव को समर्पित है और भक्त गंगाजल से उनका अभिषेक करते हैं। पुण्य फल: माना जाता है कि सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करने से विशेष पुण्य फल मिलता है।
समर्पण और भक्ति: यह यात्रा भक्तों की भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। भाईचारे का प्रतीक: कांवड़ यात्रा में भक्त एक साथ मिलकर यात्रा करते हैं, जिससे भाईचारे और एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है। यह यात्रा एक प्राचीन परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है।
कांवड़ यात्रा कैसे की जाती है: भक्त बांस की लकड़ी से बनी कांवड़ में गंगाजल भरकर लाते हैं और उसे कंधे पर रखकर पैदल यात्रा की जाती है। यात्रा के दौरान, भक्त ‘बम बम भोले’ का जयकारा लगाते हैं। यात्रा के बाद, भक्त अपने-अपने क्षेत्र के शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
कांवड़ यात्रा के नियम: यात्रा के दौरान, भक्तों को सात्विक भोजन करना चाहिए और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यात्रा पूरी होने तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कांवड़ यात्रा के दौरान, भक्तों को शांत और संयमित रहना चाहिए।