कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College News) से जुड़े हैलट अस्पताल में अब नसों और धमनियों के ब्लॉकेज का इलाज एंजियोग्राफी के समय ही संभव हो सकेगा। इसके लिए डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी (DSA – Digital Subtraction Angiography) जैसे अत्याधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं, जिससे न केवल ब्लॉकेज खोला जा सकेगा बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों का भी इलाज बिना अतिरिक्त सर्जरी के हो सकेगा।
कानपुर में सीएसआर फंड से आएंगे 20 करोड़ रुपये के डिजिटल उपकरण
कॉलेज के प्रोफ़ेसर डॉ. संजय काला ने बताया कि सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी – Corporate Social Responsibility) फंड के तहत 20 करोड़ रुपये की लागत से ये हाईटेक उपकरण मंगाए जा रहे हैं CSR Fund for Medical Equipment। इसके तहत डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी यूनिट के अलावा इंट्रा ऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड युक्त लेप्रोस्कोप भी खरीदा जाएगा, जिसका उपयोग न्यूरो सर्जरी में किया जाएगा। Intraoperative Ultrasound Laparoscopy
क्या है डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी?
इस तकनीक की मदद से शरीर की धमनियों और नसों की सटीक तस्वीर सामने आती है। अगर एंजियोग्राफी के दौरान ही किसी नस में ब्लॉकेज पाया जाता है, तो उसी समय स्टेंट डालकर उसे खोला जा सकता है। वहीं, यदि किसी अंग में सर्जरी के बाद ब्लीडिंग होती है, तो कॉइलिंग तकनीक के जरिए खून बहना रोका जा सकेगा वो भी बिना दोबारा ऑपरेशन के। Halat Hospital Upgrade
न्यूरो मरीजों के लिए भी वरदान Brain Tumor Surgery Kanpur
डॉ. काला ने बताया कि नया इंट्रा ऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड लेप्रोस्कोप खासकर ब्रेन ट्यूमर के मामलों में बेहद मददगार होगा। ऑपरेशन के दौरान ही यह पता चल सकेगा कि ट्यूमर कितनी गहराई तक फैला है और उसकी सटीक स्थिति क्या है। इससे सर्जनों को ट्यूमर को पूरी तरह निकालने में आसानी होगी।
कैंसर और अन्य बीमारियों में भी कारगर
नए उपकरणों की मदद से डॉक्टर यह भी जान सकेंगे कि किसी लिम्फ नोड में कैंसर फैला है या नहीं। इसके अलावा लिवर और फेफड़ों की बायोप्सी, अल्सर की पहचान और सामान्य सीटी स्कैन में छिपे हुए संक्रमण या ट्यूमर को भी आसानी से पकड़ा जा सकेगा।
कानपुर में मरीजों के इलाज की गुणवत्ता में आएगा सुधार
डॉ. काला ने कहा कि इन तकनीकों के आने से मरीजों को फास्ट और सटीक इलाज मिलेगा, साथ ही गंभीर बीमारियों का बिना बार-बार सर्जरी के इलाज संभव हो सकेगा। प्रस्ताव बनाकर डीजीएमई कार्यालय को भेज दिया गया है और जल्द ही उपकरण मिलने की उम्मीद है। हैलट अस्पताल में आने वाले यह आधुनिक उपकरण न केवल इलाज की गुणवत्ता में सुधार लाएंगे, बल्कि मरीजों की जान बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह पहल CSR फंड के बेहतर उपयोग का बेहतरीन उदाहरण है, जिससे चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई दिशा मिलेगी।