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June 11, 2025

MBBS छात्र शिवांश ने NEET-UG में तो बाज़ी मार ली, लेकिन रैगिंग में ज़िंदगी हार गया 

Jabalpur MBBS Student Suicide Case: जबलपुर मेडिकल कॉलेज में MBBS फर्स्ट ईयर के छात्र शिवांश गुप्ता की आत्महत्या मामले ने तूल पकड़ लिया है। छात्र द्वारा हॉस्टल की ऊपरी मंज़िल से छलांग लगाकर जान देने के बाद अब इस मामले में रैगिंग के आरोप सामने आ रहे हैं। जहां कॉलेज प्रशासन और साथी छात्र इस मामले को डिप्रेशन से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं मृतक छात्र के परिजन इसे रैगिंग का नतीजा मान रहे हैं।

रैगिंग ने ले ली शिवांश की जान

MBBS Student Suicide Case: घटना के बाद गंभीर रूप से शिवांश गुप्ता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना से कॉलेज परिसर और छात्र समुदाय में शोक की लहर फैल गई है। मृतक छात्र के परिजनों ने आरोप लगाया है कि शिवांश को कॉलेज में रैगिंग का शिकार बनाया जा रहा था जिससे मानसिक दबाव में आकर उसने यह कदम उठाया। जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले MBBS के फर्स्ट ईयर के छात्र शिवांश गुप्ता ने गुरुवार को हॉस्टल की चौथी मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया। वह पढ़ाई में तेज था। उसने बीते साल NEET- UG में 700 में से 660 अंक लाकर स्टेट रैंक में 373वां स्थान हासिल कर फर्स्ट अटेम्प्ट में ही परीक्षा पास की थी।

शिवांश ने पिता को भेजा था मैसेज

शिवांश सुसाइड वाले दिन अपने पिता को सुबह 11.47 बजे मैसेज किया था। असिस्टेंट वॉर्डन डॉ. रविकांत महंत ने बताया कि शिवांश के पिता ने फोन पर उन्हें बताया कि मैसेज में उसने लिखा है कि “मैं फ्रस्टेट हो गया हूं।” यह संदेश कहीं न कहीं मानसिक तनाव और भीतर चल रहे संघर्ष की ओर इशारा करते हैं, लेकिन परिजनों का कहना है कि यह तनाव अकेले पढ़ाई का नहीं, बल्कि सीनियर छात्रों द्वारा किए गए उत्पीड़न का नतीजा है जिसका जिक्र शिवांश ने अपनी माँ से भी किया था। शव लेकर रीवा रवाना होने से पहले परिजनों ने उसके साथ रैगिंग की बात कही है। बताया कि शिवांश ने हाल ही में अपनी मां को बताया था कि 3 दिन पहले जब वह नई बाइक लेकर हॉस्टल गया तो उसे 3 घंटे तक घुसने नहीं दिया। उससे मारपीट भी की गई। सीनियर उसकी बाइक से जलते थे।
आत्महत्या करने से पहले शिवांश बुधवार देर रात करीब 1 बजे तक अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल से बाहर उनके कमरे में बैठा हुआ था। जानकारी के मुताबिक सेकेंड ईयर में पढ़ने वाले युवी के कमरे में वह, मयंक और जाहिर के साथ गया था। रात को जाहिर के साथ हॉस्टल आया। फिर अपने कमरे में आकर सो गया। गुरुवार दोपहर को बिना किसी से कुछ कहे शिवांश ने हॉस्टल की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी।

जूनियर को बाइक से आते देख चिढ़ते थे सीनियर

शिवांश के चाचा दिनेश गुप्ता ने खुलासा किया कि तीन दिन पहले सोमवार को उसने बाइक खरीदी थी। यही सीनियर छात्रों को नागवार गुजर रही थी। जैसे ही शिवांश नई बाइक लेकर हॉस्टल आया तो सीनियर ने उसे तीन घंटे तक बाहर रोककर रखा, मारपीट की और फिर रैगिंग की। शिवांश ने अपने साथ हुई घटना के बारे में अपनी मां से बात की थी। शिवांश के तीनो दोस्तों के नाम मेडिकल प्रबंधन और पुलिस को दे दिए गए हैं। शिवंश के चाचा ने बताया कि तीन दिन से शिवांश अपने रूम में अकेला रह रहा था और रैगिंग होने से परेशान था। हॉस्टल के सामने चाय की दुकान लगाने वाले ने भी बताया कि शिवांश तीन दिन से बहुत टेंशन में था।

2024 में पास की थी नीट की परीक्षा

शिवांश का जन्म 14 नवंबर 2006 को हुआ था। मूल रूप से रीवा निवासी शिवांश एक संपन्न, सुशिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता था। उनके माता-पिता गुड़गांव में रहते हैं। पिता संतोष गुप्ता एक निजी कंपनी में इंजीनियर हैं और मां अर्चना गुप्ता हाउस वाइफ हैं। दोनों बहनें भी चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत हैं और शिवांश दोनों बहनों में इकलौता भाई था। शिवांश जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल नंबर-4 के रूम नंबर 101 में रहकर MBBS फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था। दो बहनों से छोटे शिवांश ने 2024 में नीट की परीक्षा पास की थी।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जबलपुर कलेक्टर, एसपी और मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस जारी किया है। आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों से 15 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब मांगा है। फिलहाल गढ़ा थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस द्वारा छात्रों और कॉलेज प्रशासन से पूछताछ की जा रही है। मृतक छात्र के साथियों ने पूछताछ के दौरान प्रेम प्रसंग के संबंध में बताया है। पुलिस दोनों एंगल में जांच कर रही है।

शिवांश के साथ रैंगिंग की घटना प्रशासन के लिए चुनौती

मृतक छात्र शिवांश के परिजन बेहद व्यथित हैं। उनके अनुसार, मेडिकल कॉलेज जैसी संस्था में अगर आज भी रैगिंग जैसी कुप्रथा मौजूद है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जब पूरा देश रैगिंग पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में जागरूक हो रहा है, तब एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में इस तरह की घटना प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है। शिवांश गुप्ता की मौत ने जबलपुर मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि रैगिंग जैसी सामाजिक बुराई की ओर फिर से ध्यान दिलाता है। परिजनों की मांग है कि निष्पक्ष जांच हो, दोषियों को सजा मिले और भविष्य में किसी और छात्र को ऐसी परिस्थिति का सामना न करना पड़े।

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