562 रियासतों को एकजुट कर सरदार पटेल बने Iron Man of India
जब भारत ने 15 अगस्त 1947 को आजादी हासिल की, तो देश के सामने एक बड़ी चुनौती थी विभाजन के घावों के बीच एक नए भारत का निर्माण। उस समय भारत में 562 रियासतें थीं, जो ब्रिटिश राज के अधीन तो थीं, लेकिन स्वतंत्र भारत का हिस्सा नहीं थीं। कोई पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी, तो कोई अपनी स्वतंत्र सत्ता बनाए रखना चाहती थी। ऐसे कठिन दौर में सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने दृढ़ निश्चय, व्यावहारिक सोच और राजनीतिक कौशल से इतिहास रच दिया। गृह मंत्री के रूप में उन्होंने इन सभी रियासतों को भारत में मिलाने का काम किया शांतिपूर्वक, लेकिन जहां जरूरत पड़ी वहां सख्ती से भी।
Iron Man of India क्यों कहा गया सरदार पटेल को और क्या है Operation Polo
सरदार पटेल को Iron Man of India यानी लौह पुरुष इसलिए कहा गया, क्योंकि उन्होंने परिस्थितियों के आगे झुकने से इंकार किया। वे न तो भावनाओं से प्रभावित हुए और न ही किसी दबाव में आए। उन्होंने हर निर्णय राष्ट्रहित में लिया, चाहे वह कठिन क्यों न हो। जब हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसी रियासतों ने भारत में शामिल होने से इंकार किया, तब पटेल ने एक तरफ संवाद की नीति अपनाई, और दूसरी ओर अपनी लोहे जैसी दृढ़ता भी दिखाई। हैदराबाद को भारत में शामिल करने के लिए चलाया गया ऑपरेशन पोलो (What is Operation Polo) उनके नेतृत्व का एक बड़ा उदाहरण बना।
राजनीति से अधिक देश हित – पटेल का दृष्टिकोण
पटेल के लिए राजनीति नहीं, बल्कि देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि थी। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रेरणा से आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया, लेकिन आजादी के बाद उन्होंने केवल राजनीतिक आजादी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता को अपनी प्राथमिकता बनाया। उन्होंने कहा था कि हमारी एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है, इसे कोई नहीं तोड़ सकता। उनकी इसी विचारधारा के कारण भारत को एक संघीय गणराज्य (Federal Republic) के रूप में मजबूत पहचान मिली।
प्रशासनिक व्यवस्था के शिल्पकार भी थे सरदार पटेल
बहुत कम लोग जानते हैं कि सरदार पटेल ने न सिर्फ भारत को राजनीतिक रूप से जोड़ा, बल्कि प्रशासनिक रूप से भी मजबूत किया। उन्होंने Indian Administrative Service (IAS) और Indian Police Service (IPS) जैसी संस्थाओं की नींव रखी। उनका मानना था कि देश की एकता को बनाए रखने के लिए एक सशक्त प्रशासन जरूरी है। आज भी हर IAS और IPS अधिकारी उन्हें Patron Saint of Indian Civil Services यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा का संरक्षक देवता मानते हैं।
गुजरात से निकला लौह पुरुष, जिसने दुनिया में मिसाल कायम की
31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद में जन्मे सरदार पटेल का जीवन संघर्ष से भरा रहा। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर उन्होंने लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई की। वापस आकर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में खुद को झोंक दिया और गांधीजी के सबसे भरोसेमंद साथियों में शामिल हो गए। गांधीजी उन्हें प्यार से सरदार कहते थे। यही उपनाम बाद में उनका पहचान बन गया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी – उनके अदम्य साहस की प्रतीक
2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में Statue of Unity का उद्घाटन किया यह 182 मीटर ऊंची प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि उस “लौह पुरुष” को श्रद्धांजलि है जिसने अपने दृढ़ इरादों से भारत को टूटने से बचाया। हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है, ताकि देशवासी सरदार पटेल के योगदान को याद रखें और एकता की भावना को मजबूत करें।
आज है राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day)
आज जब देश कई सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब सरदार पटेल की नीतियां और सोच पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक हैं। उन्होंने सिखाया कि एकता, अनुशासन और दृढ़ नेतृत्व ही किसी राष्ट्र को महान बनाते हैं। अगर पटेल जैसे लौह पुरुष न होते, तो शायद भारत आज इतने राज्यों में नहीं, बल्कि कई टुकड़ों में बंटा होता। उनकी कहानी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की कहानी है। सरदार वल्लभभाई पटेल सिर्फ एक नेता नहीं थे, बल्कि एक युग थे। उन्होंने यह साबित किया कि Iron Man का मतलब ताकत दिखाना नहीं, बल्कि ताकत को सही दिशा देना है। आज का भारत उनकी एकता, त्याग और अदम्य इच्छाशक्ति की नींव पर खड़ा है।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!