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June 29, 2025

क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वाला यह जांबाज अफसर भारत की खुफिया चुनौतियों से निपट पाएगा?

पराग जैन बने रॉ के नए चीफ, अफगान-पाक एक्सपर्ट हैं पराग जैन

भारत की सबसे गोपनीय और ताकतवर खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW – Research and Analysis Wing) को 1 जुलाई से नया मुखिया मिलने जा रहा है। पंजाब कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी पराग जैन को केंद्र सरकार ने रॉ का अगला प्रमुख नियुक्त किया है। वह मौजूदा प्रमुख रवि सिन्हा की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है। ऐसे में सवाल यह है क्या पराग जैन, जो सीमा पार आतंकी नेटवर्कों और खुफिया अभियानों के विशेषज्ञ माने जाते हैं, भारत की बदलती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सफल होंगे? Anti Terror Expert IPS Officer

कौन हैं पराग जैन? RAW New Head Parag Jain

पराग जैन Anti Terror Expert IPS Officer वर्तमान में एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) का नेतृत्व कर रहे हैं, जो रॉ का बेहद संवेदनशील और तकनीकी शाखा है। उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हीरो माना जाता है, जिसके तहत भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। उनकी सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है अफगानिस्तान और पाकिस्तान क्षेत्र में खुफिया गतिविधियों की गहरी समझ RAW Pakistan Afghanistan। यही कारण है कि उन्हें रॉ जैसे बेहद जिम्मेदार पद के लिए चुना गया है।

रॉ को मिली नई धार या बढ़ी जिम्मेदारी?

रॉ प्रमुख RAW New Head Parag Jain की नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है, जब भारत को चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत, अफगानिस्तान में तालिबान का नियंत्रण, ड्रोन के जरिए नार्को-टेररिज्म, और सीमा पार साइबर वारफेयर जैसी नवीनतम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पराग जैन की नियुक्ति से भारत की सबसे गोपनीय एजेंसी अब इन खतरों का ज्यादा आक्रामक जवाब देगी। अफगान-पाक बॉर्डर पर भारत की खुफिया पकड़ पहले से ज्यादा मजबूत होगी।

What is RAW, एक परिचय

रॉ यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing) भारत की मुख्य विदेशी खुफिया एजेंसी है Indian intelligence Agency, जिसकी स्थापना 1968 में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत की सीमाओं के बाहर दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखना, गुप्त अभियानों के ज़रिए राष्ट्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करना, और भारत विरोधी ताकतों को समय रहते निष्क्रिय करना है। इससे पहले यह जिम्मेदारी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के पास थी, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद यह महसूस किया गया कि भारत को एक विशेष विदेशी खुफिया एजेंसी की जरूरत है। इसी आवश्यकता से रॉ का जन्म हुआ।

पराग जैन की विशेषज्ञता से क्या बदलेगी रॉ की कार्यशैली?

पराग जैन की नियुक्ति केवल एक नए अफसर की नियुक्ति नहीं, बल्कि भारत की खुफिया नीति में संभावित बदलाव का संकेत भी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक निर्णायक मोड़?

पराग जैन ऐसे वक्त में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं जब भारत को सीमा पार आतंकवाद, खाड़ी देशों में कट्टरपंथ के प्रसार, और अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क से निपटने की जरूरत है। उनकी ऑपरेशनल विशेषज्ञता, रणनीतिक सोच और खुफिया नेटवर्किंग की दक्षता भारत की खुफिया रणनीति को नया आयाम दे सकती है।

उम्मीद और सतर्कता दोनों जरूरी

IPS पराग जैन की नियुक्ति रॉ के लिए एक नई दिशा की शुरुआत हो सकती है। लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि भारत की खुफिया एजेंसियां पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी मजबूती के साथ आगे बढ़ें। आने वाले दो सालों में यह तय होगा कि क्या पराग जैन रॉ को एक नए युग में ले जाने वाले अधिकारी साबित होंगे, या फिर यह नियुक्ति भी रूटीन ट्रांसफर बनकर रह जाएगी।

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