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July 16, 2025

84 की उम्र में ‘डॉक्टर ऑफ आर्ट’ बने अभिनेता असरानी!

The CSR Journal Magazine
वेट्रन ऐक्टर असरानी को ‘Invertis University’ से ‘डॉक्टर ऑफ आर्ट्स’ की उपाधि मिली है। यह उपाधि उन्हें उनके अभिनय और फिल्म उद्योग में योगदान के लिए दी गई है। हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और कॉमेडी के बादशाह असरानी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है। 84 साल की उम्र में उन्होंने ‘डॉक्टर ऑफ आर्ट्स’ की डिग्री हासिल की है।

फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर ‘जेलर’ असरानी

असरानी, जो भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता हैं, को हाल ही में इनवर्टिस विश्वविद्यालय, बरेली द्वारा ‘डॉक्टर ऑफ आर्ट्स’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें फिल्म उद्योग में उनके 50 वर्षों से अधिक के योगदान और विभिन्न यादगार किरदारों को जीवंत करने के लिए दिया गया है। असरानी को ‘शोले’ फिल्म में जेलर के रूप में उनकी भूमिका के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है।

द्विअर्थी संवादों और भद्दी कॉमेडी से हंसी नहीं आती-असरानी

असरानी को उनकी खास बॉडी लैंग्वेज और सरल कॉमेडी के लिए लोग पसंद करते रहे हैं। “दूसरों को हंसाने के लिए किसी को अपने आस-पास के पात्रों या लोगों की सस्ती नक़ल का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं है। कम से कम, यही वह है जिस पर मैंने हमेशा विश्वास किया है।” उनका मानना है।
“मुझे कॉमेडी के नाम पर दोहरे अर्थ और अपमानजनक संवाद बहुत कष्टप्रद लगते हैं। गाली में क्या कॉमेडी है? किसी को गाली देना कभी मजेदार नहीं हो सकता। इसे मेरी उम्र या परिपक्वता कहें, मैं वास्तव में परेशान नहीं करता! अखिर हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर है भाई! एक गंभीर नोट पर, कॉमेडी एक ऐसी चीज होनी चाहिए जिसका आप अपने परिवार के साथ आनंद ले सकें क्यूंकि आप अकेले या दोस्तों के बिना नहीं हंस सकते। अपने पांच दशक के लंबे करियर और 300 फ़िल्मों में, मैंने कॉमेडी की सांस ली है और मेरा विश्वास करो कि यही एकमात्र मंत्र है कि मैं अभी भी ख़ुश और स्वस्थ हूं।” असरानी ने कहा।

कभी कालीन बेचते थे, आज बने कला के डॉक्टर

भारतीय फिल्म जगत के दिग्गज कलाकार असरानी का जीवन सफर किसी फिल्मी कहानी से कम दिलचस्प नहीं है। बंटवारे के बाद जयपुर आए एक सिन्धी परिवार में जन्मे असरानी का बचपन सादगी में गुजरा। पिता कालीन बेचते थे। असरानी दिन में पढ़ाई और रात में All India Radio में Voice Artist की नौकरी, ताकि पढ़ाई ज़ारी रख सकें। सपनों की ऊंची उड़ान ने ऋषिकेश मुखर्जी जैसे दिग्गज से मिलाया, जिनके मार्गदर्शन में FTII में ट्रैनिंग मिली। गुजराती फिल्मों से शुरुआत हुई और फिर असरानी बन गए हिन्दी सिनेमा के चहेते ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर!

असरानी के फिल्मी सफर को मिल सम्मान

शोले के जेलर से लेकर लगभग 300 फिल्मों में असरानी ने हर किरदार में जान डाली। हमे हंसाया, रुलाया और भरपूर मनोरंजन से कई बार उदास चेहरों पर मुस्कुराहट भी ले आए। उनके हुनर और जुनून को अब सम्मान मिला है। यह उपाधि, “डॉक्टर ऑफ आर्ट्स”, एक मानद उपाधि है जो किसी व्यक्ति को कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दी जाती है, और असरानी को यह उपाधि कला के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और मनोरंजन के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दी गई है।
असरानी, एक ऐसे कलाकार को सलाम जिसने कभी रुकना नहीं सीखा- कभी किसी को उदास होने नहीं दिया, और हमें ऐसे किरदारों से मिलवाया जो हमेशा सिनेप्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगे।

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