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International Day of Happiness – तो इस कारण भी होता है रोड रेज

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खुश रहना एक अद्भुत कला है। बाहरी मुस्कान से ज्यादा जरूरी अंदर का सुकून होता है। माना जाता है कि, जो इंसान खुश रहता है वो अपने जीवन में सफल होने के साथ-साथ स्वस्थ भी रहता है। जो खुशहाल हैं उनकी इम्युनिटी भी मजबूत रहती है। हम भारतीय खुश रहने के लिए तमाम तरीके अख़्तियार करते हैं लेकिन फिर भी हम खुश नहीं रह पाते हैं। आज कल खुशी हासिल करना बहुत कठिन है। वैश्विक स्तर पर जब भी हम बात करते हैं तो विकास और शांति की ही बात करते हैं, समस्याओं में मानवाधिकार, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि की बात करते हैं। लेकिन देखा गया है कि जीवन के सबसे अहम पहलुओं में से एक खुशी (Happiness) को हम आज के युग में नजरअंदाज ही कर देते हैं। हमारे खुशहाल नहीं होने से ना सिर्फ विकास, शांति, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि पर इसका असर करता है बल्कि निजी जिंदगी में इसका असर सबसे ज्यादा होता है। इनमे से सबसे बड़ा कारण आजकल रोड रेज हो गया है। 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस दिवस मनाया जाता है, ऐसे में International Day of Happiness 2023 की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

खुशहाल नहीं होने से होता है रोड रेज

हम खुशहाल नहीं है इसलिए हमें बहुत गुस्सा आती है। यही गुस्सा हमारे लिए बहुत खतरनाक है। इसी गुस्से की वजह से हम अपना आपा खो दे रहें है और रोड रेज की घटना को अंजाम दे रहें है। बहुत आसान भाषा में रोड रेज को समझें तो इसका अर्थ सड़क (Road Safety in India) पर हुई छोटी-बड़ी घटनाओं के कारण आने वाले गुस्से, रोष या आक्रोश से है। कभी-कभी यह गुस्सा किसी शख्स पर इस कदर हावी हो जाता है कि वह यह फिक्र भी नहीं करता कि वह सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों को कितना और किस हद तक नुकसान पहुंचा रहा है। रोड रेज की वारदात में कई बार लोगों की जान तक चली जाती है। रोड रेज का खतरा किस कदर बढ़ चुका है, यह अंदाज़ा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा को देखकर लगाया जा सकता है।

ये है रोड रेज के आकड़े

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में पूरे देश में रोडरेज के 3,782 मामले दर्ज किए गए और इन घटनाओं में 4,702 लोग घायल हुए तथा इस दौरान मारपीट और संघर्ष में 1,388 लोगों की मौतें हुई। इसी प्रकार से साल 2016 में देश में रोडरेज के 1,643 मामले दर्ज किए गए जिसमें 1,863 लोग घायल हुए और 788 लोगों की मौत हुई। अब से तकरीबन छह साल पहले तक ब्यूरो इस तरह के कोई आंकड़े नहीं रखता था, लेकिन अब रोड रेज के आंकड़ों रखे जाने लगे हैं। पहली बार साल 2016 में यह आंकड़े कलेक्ट किए गए। यह आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है, क्योंकि इसमें सारे राज्यों के आंकड़े शामिल नहीं किए गए थे। अब रोड रेज के आंकड़े इससे कहीं ज्यादा होने की आशंका है।

क्यों होता है रोड रेज (Road Rage in India)

रोड रेज के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे कारण, जो गाड़ी चलाते-चलाते आपको गुस्सा दिलाएं या आप बहुत ज्यादा चिढ़ जाएं। तब आप रोड रेज के गुनहगार बन सकते हैं। आपका मूड सबसे पहले रोड रेज का जिम्मेदार होता है। जब भी घर से निकलें, शांत भाव से निकलें। घर का तनाव सड़क पर जानलेवा साबित हो सकता है। घंटों लगा ट्रैफिक जाम रोड रेड का बड़ा कारण होता है। जब जाम खुलते ही लोग तेज़ी से गाड़ियां दौड़ाते हैं, तब रोड रेज को अंजाम दे सकते हैं। रोड पर लंबा ट्रैफिक हो, किसी को जरूरी काम से जल्दी पहुंचना है, ऐसे में ट्रैफिक में फंसे रहने की चिढ़ और आसपास लगातार बज रहे हॉर्न रोड रेज के लिए उकसाते हैं। बार-बार गलत दिशा से ओवरटेक करने वाले लोग इतना गुस्सा दिला देते हैं कि लोग तेज़ रफ्तार में गाड़ी चलाने पर और साइड न देने पर मजबूर हो जाते हैं। काम का या डेडलाइन का तनाव या ऑफिस में एक खराब दिन रोड पर गुस्सा निकालने पर मजबूर कर देता है।

Road Rage से बचने के उपाय

रोड रेज से बचने का सबसे पहला तरीका ये है कि आप खुश रहें। अगर आप पर काम का बोझ या रिश्तों का तनाव ज्यादा है तो उसका असर आपकी ड्राइविंग पर ज़रूर पड़ता है, इसलिए जब भी गाड़ी लेकर घर से निकलें, दिमाग को थोड़ा शांत कर लें। गूगल मैप पर ट्रैफिक चेक कर लें। अपने समय को इस तरह मैनेज करें कि सड़क पर जल्दबाजी की नौबत ही न आए। व्यर्थ गुस्सा कर अपनी परेशानी न बढ़ाएं। अगर सड़क पर कोई व्यक्ति व्यर्थ आपसे बहस कर रहा हो तो बहस को टालने की कोशिश करें। अगर वह बदतमीजी, गाली-गलौज व हिंसा पर उतारू हो तो तुरंत पुलिस की मदद लें। अगर किसी छोटी-मोटी टक्कर से आपके वाहन का कोई मामूली नुकसान हुआ हो तो उसे लेकर बेकार झगड़ा न करें।

Unhappiness in India

देखा जाता है कि दुनिया भर की सरकारें लोगों की समस्याएं सुलझाने, उन्हें सुविधाएं देने और विकास कार्यों में ज्यादा उलझी रहती हैं। इस प्रक्रिया में उनका इस बात पर ध्यान ही नहीं जाता है कि लोक कल्याणकारी राज्य के लक्ष्यों के लिए जो कार्यक्रम उन्होंने तय किए हैं वे खुशी पाने के लिए कितने कारगर हैं। इस नजरिए से अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस दिवस (International Day of Happiness) बहुत अहम हो जाता है।