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May 5, 2025

पाक के ख़िलाफ़ भारत का वाटर स्ट्राइक: बगलिहार डैम बंद, किशनगंगा को रोकने की तैयारी

भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार डैम को बंद कर दिया है, जिसके चलते पाकिस्तान में चिनाब नदी का जलस्तर काफी गिर गया है और नदी सूखने के कगार पर आ गई है। यह कदम भारत ने तब उठाया है, जब पहलगाम हमले के बाद 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का फैसला लिया गया है। सिंधु जल समझौता रद होने के बाद भारत सरकार पाकिस्तान में पानी के बहाव को कंट्रोल कर सकती है। जम्मू कश्मीर के रामबन में बने बगलिहार डैम और उत्तरी कश्मीर में बने किशनगंगा डैम की मदद से भारत सरकार जब चाहे पानी का बहाव रोक सकती है और किसी भी समय बांध खोल सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। खबर है कि भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर पानी का बहाव रोक दिया है। इतना ही नहीं, भारत झेलम नदी पर बने किशनगंगा डैम पर भी ऐसा ही कदम उठाने की योजना बन रहा है। यह कदम भारत ने तब उठाया है, जब पहलगाम हमले के बाद 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का फैसला लिया गया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों द्वारा हमला किया गया था, जिसमें 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी।पहलगाम में हुई आतंकी हमले के बाद से भारत की ओर से लगातार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन जारी है। सबसे पहले भारत ने सिंधु जल संधि को खत्म करते हुए पाकिस्तान जाने वाले सिंधु नदी के पानी को रोक दिया। वहीं अब चिनाब नदी के पानी को भी भारत ने रोक दिया है। भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध और सलाल बांध को बंद कर दिया है। वहीं अब बांध बंद होने के बाद यहां से आने जाने वाली नदी पूरी तरह से सूख गई है, और चिनाब नदी का जलस्तर काफी गिर गया है।

सलाल डैम के सभी गेट बंद

दरअसल, जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में सलाल डैम बना हुआ है। यह डैम चिनाब नदी पर बनाया गया है। भारत ने सलाल डैम के सभी गेट्स को बंद कर दिया है। सलाल डैम के सभी गेट बंद होने के बाद रियासी जिले में चिनाब नदी के जलस्तर में काफी गिरावट देखने को मिली है। चिनाब नदी कई जगहों पर सूख गई है। बता दें कि इससे पहले भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बांध (Baglihar Dam) से पानी के प्रवाह को रोक दिया था। वहीं अब भारत झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध पर भी इसी तरह की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। भारत का यह कदम पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की कोशिश है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बागलीहार बांध के स्लुइस स्पिलवे के गेट नीचे कर दिए गए हैं, ताकि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पानी का बहाव कम हो। यह कदम भले ही थोड़े समय के लिए हो, लेकिन इसका मकसद पाकिस्तान को यह दिखाना है कि भारत हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है। बगलिहार और किशनगंगा बांध बंद करके भारत झेलम और चिनाब नदी का बहाव कम कर सकता है। इससे पाकिस्तान में सूखा पड़ने के आसार रहेंगे। यही नहीं, भारत किसी भी समय बांध को खोल भी सकता है, जिससे पाकिस्तान में बाढ़ आने की संभावना बनी रहेगी।
 इससे पहले पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते को रद्द करने के फैसले को ‘युद्ध की कार्रवाई’ करार दिया था और इसे लेकर दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ गई है।

दशकों पुरानी संधि और बांधों का विवाद

सिंधु जल समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी का बंटवारा होता है। लेकिन बगलिहार और किशनगंगा बांध लंबे समय से दोनों देशों के बीच विवाद का कारण रहे हैं। पाकिस्तान ने बगलिहार बांध को लेकर विश्व बैंक से मध्यस्थता की मांग की थी, जबकि किशनगंगा बांध के कारण नीलम नदी पर असर पड़ने की वजह से कानूनी और कूटनीतिक विवाद हुआ। एक सूत्र के अनुसार दोनों बांध भारत को पानी के बहाव को नियंत्रित करने की ताकत देते हैं, जिसे भारत अब अपने हित में इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ हाल ही में कह चुके हैं कि अगर पाकिस्तान में दाख़िल होने वाले पानी को रोकने या उसकी दिशा बदलने की कोशिश भारत करता है तो इसे जंग माना जाएगा। उनका कहना था कि ‘जंग सिर्फ़ तोप के गोले या बंदूक चलाने तक ही सीमित नहीं होती है, इसके कई रूप हैं, जिनमें से एक यह भी है। इससे देश के लोग भूख या प्यास से मर सकते हैं।’
वहीं, सीमा पर भी तनाव कम नहीं हो रहा। पाकिस्तानी सेना लगातार दस दिनों से नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी कर रही है, जिसका भारतीय सेना के जवानों द्वारा पूरी ताकत से जवाब दिया जा रहा है।

बगलिहार बांध क्या है

साल 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सिंधु और इसकी सहायक नदियों के इस्तेमाल को लेकर सहमति बनी थी। दोनों पड़ोसी देशों के बीच में बगलिहार बांध काफ़ी समय से विवाद का बिंदु रहा है। पाकिस्तान पहले भी वर्ल्ड बैंक से इसमें दख़ल देने की मांग करता रहा है और कुछ समय के लिए वर्ल्ड बैंक ने इसमें मध्यस्थता भी की। इसके अलावा किशनगंगा बांध को लेकर भी पाकिस्तान आपत्ति जता चुका है और इसकी जांच की मांग करता रहा है। ये दोनों ही बांध हाइड्रो इलेक्ट्रिक हैं, यानी इनसे बिजली बनाई जाती है। बगलिहार बांध के जलाशय में 475 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी को संभाले रखने की क्षमता है। साथ ही इसकी बिजली बनाने की क्षमता 900 मेगावॉट है। बांध से बिजली बनाने की योजना को ‘बगलिहार हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया है। इस परियोजना पर विचार साल 1992 से चल रहा था, आख़िरकार 1999 में इस पर काम शुरू हो पाया। इसके बाद कई चरणों में इस पर काम चलता रहा और आख़िरकार साल 2008 में ये पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था।

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