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July 15, 2025

मैराथन सुपर हीरो ‘Turban Tornado’ 114 साल के फौजा सिंह ने छोड़ा ज़िंदगी का साथ 

The CSR Journal Magazine
Fauja Singh Death: मैराथन धावक फौजा सिंह का 114 साल की उम्र में पंजाब के जालंधर में निधन हो गया। सैर पर निकले सड़क पार करते हुए उन्हें एक गाड़ी से टक्कर लगी और अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके निधन की पुष्टि उनके बायोग्राफी के लेखक खुशवंत सिंह ने की। फौजा सिंह को Turbaned Tornado (पगड़ी वाला बवंडर) के नाम से जाना जाता था। उनकी मौत से खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

दुनिया के सबसे उम्रदराज़ धावक फौजा सिंह

Fauja Singh Death: दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र के मैराथन धावक फौजा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार 14 जुलाई को 114 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। पंजाब के जालंधर स्थित अपने गांव ब्यास पिंड में सड़क पार करते समय एक गाड़ी से टकराकर उनका निधन हो गया। उनके जाने से उनका परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा देश दुखी है।
जानकारी के अनुसार, रोड एक्सीडेंट में घायल होने के बाद फौजा सिंह को लगभग शाम 3:30 बजे जबलपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने शाम 6.30 के करीब दम तोड़ दिया। इस समाचार की पुष्टि उनके बायोग्राफी के लेखक खुशवंत सिंह ने अपने परिवार से बात करके की।

बचपन में चल नहीं पाते थे, 90 की उम्र के बाद रुकना बंद किया

फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल, 1911 को हुआ था। फौजा सिंह ने एक साधारण धावक के रूप में शुरुआत की थी। भारत के विभाजन ने उनके जीवन को प्रभावित किया था। वह जन्म से ही कमजोर थे और चार साल की उम्र तक चल भी नहीं सकते थे। डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने अपने हौसले से सबको गलत साबित कर दिया।
कोई सोच नहीं सकता था कि जो बच्चा बचपन में ठीक से चल नहीं पाता है, वो एक दिन मैराथन दौड़ेगा! फौजा सिंह 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ने वाले पहले धावक थे। उनकी बिजली से भी तेज गति के कारण उन्हें ‘सिख सुपरमैन’ और Turbaned Tornado जैसे उपनामों से पुकारा जाता है।

पत्नी और बेटे की मौत ने बदली जिंदगी

फौजा सिंह ने अपने जीवन में कई दुख देखे। 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे ने उन्हें गहरे तक प्रभावित किया। फिर 1992 में उनकी पत्नी जियान कौर और 1994 में बेटे कुलदीप की एक हादसे में मौत हो गई। इन दुखों ने फौजा को अंदर से तोड़ दिया और वह डिप्रेशन में चले गए थे। लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय दौड़ने का रास्ता चुना। 1990 के दशक में वह अपने बेटे के साथ लंदन चले गए और करीब 90 साल की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू किया।

कई दौड़ों में टॉर्च बियरर रहे फौजा सिंह

फ़ौजा सिंह ने लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क में 26 मील (42 किलोमीटर) मैराथन में भाग लिया। उनका सर्वश्रेष्ठ समय टोरंटो में था, जहां उन्होंने पांच घंटे, 40 मिनट और चार सेकंड का समय निकाला। साल 2011 में टोरंटो मैराथन के समय उनकी उम्र 100 साल थी, जिसके बाद उन्हें ‘The Turbaned Tornado’ के नाम से जाना जाने लगा। वे 2004 एथेंस गेम्स और 2012 London Olympics के Torchbearer थे। कई साल पहले डेविड बेकहम और मुहम्मद अली जैसे खिलाड़ियों के साथ एक प्रमुख स्पोर्ट्स ब्रांड के विज्ञापन में दिखाई दिए थे। फौजा सिंह की आखिरी पेशेवर दौड़ 2013 में हांगकांग मैराथन थी, जब वे 101 साल के थे। इसके बाद उन्होंने पेशेवर दौड़ों से संन्यास ले लिया ।

90 में शुरुआत, 101 में आखिरी दौड़

फौजा सिंह ने 90 साल की उम्र में अपनी पहली मैराथन दौड़ पूरी की थी। 2004 में उन्होंने 93 साल की उम्र में लंदन मैराथन पूरी की। 2011 में 100 साल की उम्र में उन्होंने टोरंटो मैराथन पूरी की और 100 प्लस कैटेगरी में रिकॉर्ड बनाया था।
उपलब्धियां (Fauja Singh )
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड: 100 वर्ष की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले पहले इंसान।
ब्रिटिश एशियन स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर (2004)
लंदन ओलंपिक 2012 की मशाल रैली में हिस्सा लिया।
2013 में संन्यास लेने तक फौजा सिंह ने 9 मैराथन दौड़ें पूरी की थीं।

पोस्ट में दी निधन की जानकारी

खुशवंत सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मेरा ‘Turbaned Tornado’ अब हमारे बीच नहीं रहा। बड़े दुःख के साथ अपने प्रिय सरदार फौजा सिंह का निधन बताना पड़ रहा है… दोपहर में करीब 3:30 बजे बियास में सड़क पार करते समय उन्हें अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी। मेरी प्रिय फौजा, आपको शांति मिले।”
पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने भी अपने संदेश में दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि फौजा सिंह भारत-पंजाब के संयम एवं अदम्य साहस के प्रतीक थे। 114 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने नशा मुक्त, रंगला पंजाब मार्च में भाग लिया था और उनकी प्रेरणा आगे भी जारी रहेगी। ओम शांति ओम!”

भाजपा नेता सिरसा ने दी श्रद्धांजलि

भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी फौजा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “अटूट भावना, लचीलापन और कालातीत प्रेरणा के प्रतीक फौजा सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ।” 114 वर्ष की आयु में उन्होंने साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और उद्देश्य की कोई सीमा नहीं होती। वह सिर्फ दौड़ने में ही नहीं, बल्कि जीवन में भी एक किंवदंती थे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।”

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