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November 16, 2025

Indian Navy’s Mahe Warship: भारतीय नौसेना को मिली नई ताकत, माहे ASW-SWC जहाज 24 नवंबर को होगा कमीशन

The CSR Journal Magazine

कोचीन शिपयार्ड में बना पूरी तरह स्वदेशी जहाज, तटीय सुरक्षा और पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन में बढ़ाएगा ताकत

भारतीय नौसेना जल्द ही अपने स्वदेशी जहाज निर्माण अभियान में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज करने जा रही है। 24 नवंबर 2025 को मुंबई स्थित नेवल डॉकयार्ड में माहे नामक नया युद्धपोत नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) श्रेणी का पहला जहाज है, जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने तैयार किया है। Aatmanirbhar Bharat पहल के तहत तैयार यह जहाज न सिर्फ तकनीक में उन्नत है, बल्कि देश में बढ़ती स्वदेशी क्षमता का भी बड़ा उदाहरण है। 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी उपकरणों और तकनीक से तैयार ‘माहे’ भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।

कॉम्पैक्ट लेकिन बेहद ताकतवर जहाज

नया ASW-SWC जहाज आकार में छोटा जरूर है, लेकिन उसका हुनर बेहद बड़ा है। यह जहाज पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कामों के लिए विशेष रूप से बनाया गया है। जहाज की Stealth Technology, तेज गति, और उच्च स्तर की सटीकता इसे तटीय इलाकों में ऑपरेशन के लिए बेहद उपयुक्त बनाती है। यह जहाज उन इलाकों में भी काम कर सकता है, जहां बड़े युद्धपोतों का संचालन मुश्किल होता है।

माहे—इतिहास और शक्ति का प्रतीक

इस जहाज का नाम मालाबार तट के ऐतिहासिक तटीय शहर माहे पर रखा गया है। इसके निशान (Crest) में उरुमी नामक तलवार को दर्शाया गया है। यह केरल की परंपरागत मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू का एक खास हथियार है, जो अपनी लचीलापन, तेजी और घातक क्षमता के लिए जाना जाता है। इस प्रतीक के जरिए जहाज की कार्यशैली फुर्ती, सटीकता और भरोसेमंद मारक क्षमता को साफ तौर पर दर्शाया गया है।

स्वदेशी युद्धपोत निर्माण की नई पीढ़ी

माहे इस श्रेणी के आठ जहाजों में पहला है। आने वाले वर्षों में ऐसे और स्वदेशी ASW-SWC जहाज भारतीय नौसेना में शामिल किए जाएंगे। इन जहाजों के शामिल होने से भारत की कोस्टल सिक्योरिटी (Coastal Security), एंटी-सबमरीन वॉर फेयर क्षमता, लिटोरल वॉरफेयर यानी तटीय युद्ध क्षमता, काफी मजबूत होगी।

भारतीय नौसेना के लिए बड़ा कदम

माहे का कमीशन होना मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह संदेश है कि भारत अब शालो वॉटर कॉम्बैटेंट की नई पीढ़ी को खुद डिजाइन और निर्मित करने में सक्षम है। यह जहाज पानी की उथली गहराई वाले क्षेत्रों में भी तेजी से ऑपरेशन कर सकता है। ऐसे जहाज भारत के लिए इसलिए भी जरूरी हैं, क्योंकि हिंद महासागर क्षेत्र में पनडुब्बियों की गतिविधि लगातार बढ़ रही है। माहे का नौसेना में शामिल होना भारत की सामुद्रिक सुरक्षा, स्वदेशी रक्षा उत्पादन और तकनीकी क्षमताओं के नए युग की शुरुआत है। यह न सिर्फ एक जहाज है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ताकत, भारतीय नौसेना की आधुनिकता और देश की समुद्री शक्ति का प्रतीक है। 24 नवंबर 2025 को जब यह जहाज आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल होगा, तो भारत की तटीय सुरक्षा पहले से अधिक दृढ़ और सक्षम हो जाएगी।
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