एयरपोर्ट पर यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा अनुभव देने के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, जैसे व्हीलचेयर सहायता, फास्ट-ट्रैक सुरक्षा जांच, एयरपोर्ट लाउंज, फ्री ट्रॉली, बग्गी सेवा, बैगेज सहायता आदि। लेकिन इनमें से कई सुविधाओं का बार-बार दुरुपयोग होता है, जिससे असली जरूरतमंद यात्रियों को परेशानी होती है, एयरपोर्ट स्टाफ पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है, सुरक्षा और सेवा प्रणाली प्रभावित होती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय यात्रियों की छवि खराब होती है
सुविधा का दुरुपयोग या सांस्कृतिक समस्या?
एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर सुविधा उन यात्रियों के लिए बनाई गई है, जिन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती है, जैसे वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग लोग, बीमार यात्री या ऑपरेशन के बाद यात्रा कर रहे लोग। परंतु पिछले कुछ वर्षों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति सामने आई है, विशेषकर भारतीय यात्रियों में, जहां लोग व्हीलचेयर का अनुचित इस्तेमाल सिर्फ जल्दी बोर्डिंग, लंबी कतारों से बचने और अतिरिक्त सुविधा लेने के लिए करने लगे हैं। यह केवल एक छोटी यात्रा-सुविधा का दुरुपयोग नहीं है, बल्कि यह हवाई अड्डों की सेवा-व्यवस्था को बाधित करने वाला, जरूरतमंद यात्रियों के अधिकारों को छीनने वाला और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय यात्रियों की छवि खराब करने वाला गंभीर विषय है।
व्हीलचेयर सुविधा का उद्देश्य क्या है?
1. दिव्यांग जनों के लिए मदद– यह सुविधा उन लोगों के लिए है जिन्हें स्वयं चलना संभव नहीं है, जैसे शारीरिक अक्षमता, स्ट्रोक, लकवा आदि के मरीज।
2. बुजुर्ग यात्रियों के लिए सहायता– बहुत से वृद्धजन लंबा चलने, सीढ़ियां चढ़ने या सुरक्षा जांच के बीच खड़े रहने में सक्षम नहीं होते।
3. चिकित्सा आपात स्थितियां– सर्जरी के बाद, पैरों की चोट, हाल ही में हुए ऑपरेशन या गंभीर बीमारी की स्थिति में व्हीलचेयर सेवा अत्यंत आवश्यक होती है।
4. एयरलाइंस और हवाई अड्डों की फ्लैगशिप सेवा– इसे ‘अतिरिक्त सेवा’ नहीं बल्कि ‘जरूरतमंदों के लिए मूलभूत हक’ माना जाता है।
समस्या कहां से शुरू होती है?
बिना मेडिकल प्रमाण व्हीलचेयर बुकिंग– अधिकतर एयरलाइंस व्हीलचेयर मांगने पर किसी मेडिकल प्रमाण या प्रमाणपत्र की मांग नहीं करतीं। इसका दुरुपयोग होता है। कई लोग बस फ़ोन करके या टिकट बुक करते वक्त विकल्प चुनकर व्हीलचेयर मंगवा लेते हैं।
कतार से बचने का तरीका– कई भारतीय यात्री व्हीलचेयर सेवा केवल इसलिए लेते हैं ताकि लंबी सुरक्षा जांच कतार से बच सकें, इमिग्रेशन में लाइन न लगानी पड़े, पहले बोर्डिंग का लाभ मिल सके और विदेशों में इमीग्रेशन आसानी से मिल जाए।
सोशल मीडिया के “टिप्स” और “हैक”- कई लोग खुले रूप से बताते हैं कि “व्हीलचेयर से जाओ, सब लाइन स्किप हो जाएगी”। कुछ ट्रैवल व्लॉगर्स तक इसे “ट्रैवल हैक” बताते हैं, यह प्रवृत्ति और बढ़ा देती है।
भारतीय यात्रियों में यह प्रवृत्ति ज्यादा क्यों?
1. भीड़ से बचने की मानसिकता– भारतीय समाज में “जुगाड़” और “शॉर्टकट” की मानसिकता गहरी है। भीड़ में खड़े रहना “मूर्खता” और लाइन घूमकर आना “चतुराई” माना जाता है।
2. नियमों का पालन न करना– पश्चिमी देशों में लोग बिना जरूरत व्हीलचेयर मांगने में संकोच करते हैं। भारत में इसे “सिस्टम को मात देना” समझा जाता है।
3. मुफ्त सुविधा का लालच– चूंकि व्हीलचेयर सेवा कई एयरलाइंस में फ्री है, लोग सोचते हैं, “जब मिल रही है तो क्यों न ले लें?”
4. मेडिकल प्रमाण की अनुपस्थिति– भारत से उड़ानों में शायद ही कभी एयरलाइंस डॉक्टर का प्रमाण मांगती हैं, इसलिए लोग बेझिझक सेवा ले लेते हैं।
5. कुछ NRI यात्रियों की प्रवृत्ति– कई बार एनआरआई या विदेश जा रहे यात्रियों में यह ट्रेंड ज्यादा दिखता है, ताकि उन्हें लंबी दूरी चलना न पड़े या इमिग्रेशन तेजी से पार हो जाए।
मुफ्तखोर प्रवृति के दुष्परिणाम
1. असली जरूरतमंद यात्रियों को व्हीलचेयर नहीं मिलती- कई मामलों में बुजुर्ग एवं दिव्यांग यात्रियों को एयरपोर्ट स्टाफ कहते हैं- “सारी व्हीलचेयर बुक हैं।” ऐसा तब होता है जब स्वस्थ यात्री व्हीलचेयर पर कब्जा कर लेते हैं।
2. एयरपोर्ट स्टाफ पर दबाव- एक स्थिति में मुंबई एयरपोर्ट पर एक उड़ान में 60 व्हीलचेयर मांग ली गईं, जबकि असली जरूरत सिर्फ 6 लोगों की थी। फिर एयरपोर्ट कर्मचारियों पर दबाव बढ़ता है, शारीरिक, मानसिक और समय की बर्बादी।
3. एयरलाइंस अतिरिक्त खर्च उठाती हैं- हर व्हीलचेयर के साथ एक स्टाफ तैनात होता है। यह घंटों चलता है। यदि यात्रियों की संख्या बढ़ती है तो एयरलाइंस को स्टाफ बढ़ाना पड़ता है, जिसका खर्च टिकटों में शामिल हो जाता है।
4. अन्य यात्रियों के लिए असुविधा- जब 50 लोग व्हीलचेयर में बैठकर पहले बोर्डिंग करते हैं, तो सामान्य यात्रियों में असंतोष फैलता है।
5. भारतीयों की बदनाम छवि- विदेशी मीडिया ने कई बार रिपोर्ट किया, “Indians misuse wheelchair facility to skip queues.”सिंगापुर, दुबई, लंदन एयरपोर्ट्स पर भारतीय व्हीलचेयर दुरुपयोग करने वालों की संख्या सबसे अधिक पाई गई।
वास्तविक घटनाएं जो समस्या को साबित करती हैं
दुबई एयरपोर्ट का मामला– एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें 45 से अधिक भारतीय यात्री बिना किसी मेडिकल जरूरत के व्हीलचेयर पर बैठे दिखे।
यूके इमिग्रेशन में टिप्पणी– कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा, “इंडियन पैसेंजर्स व्हीलचेयर यूज़ फ़ॉर फास्ट ट्रैक।” उन्होंने यह भी कहा कि उतरने के बाद वही यात्री अचानक उठकर चलने लगते हैं।
मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा केस- 2023 में एक उड़ान में 27 व्हीलचेयर सेवा बुक हुई, पर एयरपोर्ट पर जांच करने पर पाया गया कि उनमें से 20 लोग पूरी तरह स्वस्थ थे।
कानूनी और नीतिगत स्थिति
आज की तारीख में व्हीलचेयर दुरुपयोग पर कोई खास दंड नहीं है। लेकिन कुछ देशों में नई नीतियां लागू की जा रही हैं।
कनाडा व यूके में एयरलाइंस मेडिकल प्रमाण मांग सकती हैं।
अमेरिका में ADA नियमों के तहत गलत दावा करना अपराध माना जा सकता है।
दुबई एयरपोर्ट ने “व्हीलचेयर मिसयूज रेड अलर्ट सिस्टम” शुरू किया है।
भारत में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, और यही दुरुपयोग बढ़ाता है।
क्या यह सांस्कृतिक समस्या है?
यह समस्या सिर्फ सुविधा दुरुपयोग नहीं—सोच की समस्या है।
‘मुफ्त है तो ले लो’ मानसिकता– हवाई अड्डे पर पानी की बोतल, टिश्यू, चम्मच, तकिया तक लोग उठा ले जाते हैं। व्हीलचेयर भी उसी मानसिकता का विस्तार है।
2. ‘सब करते हैं, मैं क्यों न करूं?”- सामाजिक मनोविज्ञान बताता है, जब लोग देख लेते हैं कि दूसरों को फायदा मिल रहा है तो वे भी नियम तोड़ने लगते हैं।
समाधान के रास्ते
1. मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य किया जाए– भले ही सख्ती न हो, पर एक ऑटोमेटिक सिस्टम हो जहां पूछा जाए, “क्या आपके पास मेडिकल कारण है?”
इससे झूठे दावे कम होंगे।
2. जरूरतमंद का प्रमाणित रजिस्टर बने– जैसे दिव्यांग कार्ड, वरिष्ठ नागरिक आईडी आदि।
3. दुरुपयोग पर पेनल्टी लागू हो– यदि उतरते ही व्यक्ति चलने लगे और व्हीलचेयर सिर्फ सुविधा के लिए ली गई हो तो ₹2500–₹5000 पेनल्टी लगनी चाहिए।
4. एयरपोर्ट पर जागरूकता बोर्ड लगे– “व्हीलचेयर सुविधा जरूरतमंद के लिए है। गलत इस्तेमाल सेवा बाधित करता है।”
5. एयरलाइंस स्टाफ को अधिकार मिले– यदि किसी यात्री के व्हीलचेयर के दावे पर संदेह हो तो पूछताछ करने का अधिकार होना चाहिए।
भारतीय यात्रियों की सकारात्मक भूमिका भी जरूरी
फालतू सुविधा न मांगें।
असली जरूरतमंद को प्राथमिकता दें।
दूसरों को प्रेरित करें—ऐसी सुविधा का दुरुपयोग न करें।
यदि कोई गलत उपयोग कर रहा हो तो एयरपोर्ट हेल्प डेस्क को बताएं।
नैतिक पहलू: क्या हम सहानुभूति खो रहे हैं?
जब एक स्वस्थ व्यक्ति व्हीलचेयर पर बैठकर सुविधा लेता है और एक बूढ़ी महिला घंटों इंतजार करती है, तो यह सिर्फ नियम का उल्लंघन नहीं, मानवीय संवेदना का अपमान भी है। यह सवाल हम सबके सामने है, “क्या सुविधा के नाम पर हम दूसरों का अधिकार छीनने लगे हैं? व्हीलचेयर का दुरुपयोग केवल यात्रा से जुड़ी छोटी सी गड़बड़ी नहीं बल्कि एक गंभीर सामाजिक-सांस्कृतिक समस्या है।
यह जरूरतमंदों के अधिकार को कुचलता है, एयरपोर्ट व्यवस्था को बाधित करता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय यात्रियों की छवि को धूमिल करता है। जब तक हम यह नहीं समझेंगे कि साझा संसाधन (shared resources) का गलत इस्तेमाल पूरे सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है, तब तक ऐसे दुरुपयोग रुकने वाले नहीं। हमें सोच बदलनी होगी- सुविधा का हक उन्हीं को है जिन्हें वाकई उसकी जरूरत है।
एयरपोर्ट पर किन सेवाओं का दुरुपयोग यात्री सबसे ज़्यादा करते हैं?
व्हीलचेयर के अलावा निम्नलिखित सेवाएं एयरपोर्ट पर यात्रियों द्वारा सबसे अधिक गलत तरीके से उपयोग की जाती हैं:
1: विशेष सहायता सेवा (Special Assistance / Medical Assistance)– बिना मेडिकल प्रमाण के लोग “मदद” मांगते हैं। कई यात्री “मैं बीमार हूं” कहकर प्राथमिकता चेक-इन ले लेते हैं
2: फास्ट ट्रैक इमिग्रेशन / सिक्योरिटी स्कैनिंग– कुछ यात्री झूठे VIP या मेडिकल कारण दिखाकर फास्ट ट्रैक से गुजरते हैं। एजेंट पैसे लेकर यह सुविधा अवैध रूप से दिलाते हैं
3: लाउंज एक्सेस (Airport Lounge Access)– क्रेडिट कार्ड या फर्जी मेंबरशिप का गलत इस्तेमाल! एक ही पास से कई लोग अंदर जाने की कोशिश करते हैं। कुछ लोग लाउंज में खाना भरकर पैक कर ले जाते हैं।
4: मुफ्त व्हील ट्रॉली/बग्गी सेवा (Golf Cart/Buggy Service)– बुजुर्गों या दिव्यांगों के लिए लेकिन कई युवा यात्री भी दौड़कर पकड़ लेते हैं। “मुफ्त की सुविधा है, बैठ लो” मानसिकता से दुरुपयोग बढ़ा।
5: मुफ्त पानी/खाना सुविधा– एयरलाइंस द्वारा दी गई अतिरिक्त स्नैक्स, जूस, तकिया, कंबल आदि यात्री उठा लेते हैं। कई लोग हवाई जहाज से बर्तन तक ले जाते हैं।
6: बैगेज नियमों का दुरुपयोग: हैंड-बैगेज सीमा 7–10 किग्रा होती है, पर यात्री 2–3 बैग लेकर जाते हैं। छोटे सूटकेस पर “लैपटॉप बैग” का टैग लगाकर शुल्क से बचते हैं।
7: Lost & Found में झूठा दावा– लोग झूठा दावा करके मुआवजा लेने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी वे जानबूझकर सामान छोड़ जाते हैं ताकि क्लेम कर सकें।
8: Duty-Free Shopping Rules का दुरुपयोग– कई लोग दूसरों के नाम पर सामान खरीदकर टैक्स बचाते हैं। कुछ लोग सीमा से अधिक सामान ले जाते हैं और “कस्टम फ्री” बोलकर निकलने की कोशिश करते हैं।
9: Priority Boarding का गलत इस्तेमाल– व्हीलचेयर, बच्चों के साथ यात्रा का बहाना बनाकर पहले बोर्डिंग करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग झूठी “बिजनेस क्लास बोर्डिंग” लाइन में खड़े हो जाते हैं।
10: एयरपोर्ट टैक्सी सेवा का दुरुपयोग: कुछ यात्री टैक्सी बुक कर लेते हैं लेकिन उपयोग नहीं करते, इससे ड्राइवर को नुकसान होता है। कई लोग फर्जी बुकिंग कर के OTP लेकर गलत इस्तेमाल करते हैं।
एयरपोर्ट पर मिलने वाली कई सुविधाएं जरूरतमंद यात्रियों की सहायता के लिए होती हैं, लेकिन लाइन से बचने, पैसा बचाने, जल्दी निकलने और फायदा उठाने के लिए उनका दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। यह न केवल सिस्टम के साथ धोखा है, बल्कि उन यात्रियों के प्रति अन्याय भी है जिन्हें वाकई इन सेवाओं की आवश्यकता होती है। सही उपयोग + नैतिक व्यवहार = बेहतर यात्रा संस्कृति !
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

