मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर खजुराहो में अब देश की सुरक्षा और सामरिक ताकत की नई कहानी लिखी जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजना के तहत लगभग 1,000 एकड़ भूमि को देश के सबसे बड़े एयरबेस के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। यह आधार भविष्य में लड़ाकू विमानों (फाइटर जेट्स) की तैनाती और परिचालन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
ऐतिहासिक शहर खजुराहो के नाम जुड़ेगा एक और सम्मान
मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी खजुराहो में अब एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ सकती है। बन सकता है भारतीय वायुसेना का विशाल एयरबेस! हाल ही में एयरफोर्स और रक्षा मंत्रालय की संयुक्त टीम ने यहां ज़मीन का विस्तृत सर्वे किया है, और अब तक सभी तकनीकी और भौगोलिक पहलू इस जगह के अनुकूल पाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, अगर आने वाले दिनों में प्रशासनिक औपचारिकताएं भी सहज रहीं, तो ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है। यह कदम न केवल खजुराहो बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगा।
1000 एकड़ में फैला होगा सबसे बड़ा एयरबेस
खजुराहो एयरपोर्ट के पास छतरपुर में लगभग 1000 एकड़ जमीन इस नए एयरबेस के लिए चिन्हित की गई है। इतना बड़ा क्षेत्र उच्च क्षमता वाले रनवे, आधुनिक हैंगरों, रखरखाव केंद्रों और सैन्य विमानों के बेड़े को समायोजित करने के लिए पर्याप्त है। यहां फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट विमानों की तैनाती की योजना बनाई जा रही है, जो न सिर्फ सामरिक दृष्टि से रणनीतिक होगी, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के नए अवसर भी खोलेगी। बस, आधिकारिक रक्षा मंत्रालय की घोषणा की प्रतीक्षा है।
सांसद वीडी शर्मा ने दी जानकारी
इसको लेकर मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के सांसद विष्णु दत्त शर्मा (वीडी शर्मा) का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि खजुराहो हवाई अड्डे के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री से कई बार मुलाकात की है। आगे उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उनके प्रयासों से हाल ही में देश के चार हवाई अड्डों (प्रयागराज, झांसी और ग्वालियर) का सर्वेक्षण कराया गया, जिसमें खजुराहो हवाई अड्डे को सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक एयरबेस के रूप में सबसे उपयुक्त पाया गया।
रणनीतिक रूप से खास है खजुराहो
भारतीय वायुसेना ने मध्य भारत में चार प्रमुख स्थानों, ग्वालियर, खजुराहो, झांसी और इलाहाबाद (प्रयागराज) का निरीक्षण किया था। इन सभी विकल्पों में से खजुराहो को सबसे उपयुक्त माना गया। इसका कारण है इसका भौगोलिक संतुलन, सुरक्षा के लिहाज़ से सीमित संवेदनशीलता, और देश के मध्य में स्थित होने के कारण आपातकालीन ऑपरेशन के लिए तेज प्रतिक्रिया क्षमता। खजुराहो का भौगोलिक स्थान उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक सटीक कड़ी बनाता है, जिससे वायुसेना को मध्य भारत में अपनी चौकसी को और मजबूती देने का मौका मिलेगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यहां एयरबेस स्थापित होने से वायुसेना की प्रतिक्रियाशील क्षमता (Response Time) में उल्लेखनीय सुधार होगा।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा
एयरबेस बनने के बाद खजुराहो और आसपास के जिलों में रोजगार के नए अवसर, बेहतर सड़क, रेल कनेक्टिविटी, और सेना से संबंधित सहायक उद्योगों का भी तेजी से विकास होगा। पर्यटन नगरी होने के कारण यह क्षेत्र पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है, और अब यहां एक मजबूत रक्षा प्रतिष्ठान बनने से उसकी आर्थिक और रणनीतिक अहमियत और भी बढ़ जाएगी। एयरबेस निर्माण से रोजगार, निर्माण कार्य, रखरखाव और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े नए अवसर पैदा होंगे। छतरपुर और आसपास के जिलों में छोटे उद्योग, परिवहन, होटल और निर्माण सामग्री के कारोबार में तेजी आने की उम्मीद है।
चुनौतियाँ और संवेदनशील मुद्दे
भूमि अधिग्रहण: 1,000 एकड़ जमीन के अधिग्रहण में किसानों का पुनर्वास और मुआवजा प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती रहेगा।
पर्यावरण मूल्यांकन: परियोजना के लिए EIA (Environmental Impact Assessment) आवश्यक होगा, ताकि जैवविविधता पर असर का आकलन किया जा सके।
सुरक्षा गोपनीयता: रक्षा परियोजनाओं में जानकारी सीमित रखी जाती है — ऐसे में जनमानस में अफवाहों से बचाव जरूरी होगा।
सुविधा विस्तार: बेहतर सड़क, रेल और ऊर्जा कनेक्टिविटी के बिना इस स्तर की परियोजना संभव नहीं होगी।
निर्माण की संभावित समय-सीमा
सर्वेक्षण व DPR: 6 से 18 माह में पूरा होने की उम्मीद।
निर्माण चरण: अगले 2–4 वर्षों में रनवे और आवश्यक ढाँचे विकसित किए जा सकते हैं।
निवेश अनुमान: परियोजना की लागत कई सौ करोड़ से लेकर हज़ारों करोड़ रुपये तक हो सकती है।
(यह आंकड़े फिलहाल अनुमानित हैं। आधिकारिक विवरण DPR के बाद ही जारी होगा।)
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी आवश्यकता
हाल के ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर दिया कि देश के बीचोंबीच एक नया, हाई-कैपेसिटी एयरबेस होना बेहद जरूरी है। लगातार बढ़ती रणनीतिक चुनौतियों और तेज़ एयर-मोबिलिटी की जरूरत को देखते हुए, वायुसेना को ऐसे केंद्र की तलाश थी जहां से वो केंद्रीय भारत के सभी दिशाओं में शीघ्र कार्रवाई कर सके। इस दृष्टिकोण से खजुराहो ने पूरी तरह सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। शुरुआती सर्वे रिपोर्ट्स भी उत्साहजनक हैं। रक्षा मंत्रालय द्वारा इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट और स्वीकृति की प्रतीक्षा है। राज्य सरकार ने भूमि चिन्हांकन का कार्य प्रारंभ कर दिया है, जबकि केंद्र से तकनीकी व वित्तीय मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है।
देश में कितने एयरबेस हैं
भारतीय वायु सेना के पूरे भारत में 60 से ज्यादा एयरबेस हैं, जिन्हें सात कमानों में बांटा गया है- मध्य वायु कमान, पूर्वी वायु कमान, अनुरक्षण कमान, दक्षिण पश्चिमी वायु कमान, दक्षिणी वायु कमान, प्रशिक्षण कमान और पश्चिमी वायु कमान। भारतीय वायु सेना (IAF) दुनिया की सबसे मजबूत वायु सेनाओं में से एक है, जिसके एयरबेस और स्टेशनों का एक विशाल नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है। 2025 तक IAF के पास ऑपरेशनल बेस, प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, मिसाइल और रडार इकाइयां और रसद सहायता स्टेशन होंगे।
स्थानीय प्रतिक्रिया
खजुराहो और छतरपुर के लोगों में उत्साह और जिज्ञासा दोनों है। स्थानीय नेताओं ने कहा कि “यह परियोजना बुंदेलखंड के विकास का मार्ग खोल देगी।” हालांकि कुछ किसान संगठनों ने मुआवजे की पारदर्शी नीति की मांग की है।
खजुराहो में प्रस्तावित यह एयरबेस न केवल मध्य भारत की सुरक्षा कवच को मजबूत करेगा बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। परियोजना के वास्तविक स्वरूप, लागत और समयरेखा को लेकर अब सभी की निगाहें केंद्र और रक्षा मंत्रालय की औपचारिक घोषणा पर टिकी हैं।
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