कानूनी विवाद और नीति के इंतज़ार में बाइक टैक्सी सेक्टर! भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर बाइक टैक्सी सर्विस को बैन नहीं किया है, लेकिन कुछ राज्यों/शहरों में कानूनी और नियामक वजहों से कड़ी कार्रवाई हुई है लेकिन पूरे भारत में प्रतिबंध की भ्रामक खबर भ्रामक! मामला कानूनी प्रक्रियाओं के अधीन है और विकास जारी है।
देश-भर में Rapido–Ola–Uber बाइक टैक्सी बैन की चर्चा: सच्चाई क्या है?
देश में यह चर्चा तेजी से फैल रही है कि Rapido, Ola और Uber की बाइक टैक्सी सेवाओं को पूरे भारत में जल्द ही बैन किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर चल रही इस खबर ने लाखों दैनिक यात्रियों और ड्राइवर-पार्टनरों को चिंतित कर दिया है। लेकिन जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। हां, कई राज्यों में कानूनी, लाइसेंसिंग और नियम उल्लंघन के आधार पर सख़्त कार्रवाई और सीमित प्रतिबंध अवश्य लगाए गए हैं।
कर्नाटक: सबसे बड़ा असर, हाई कोर्ट का आदेश
बाइक टैक्सी विवाद का सबसे तीव्र रूप कर्नाटक में देखने को मिला। राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट नीति न होने के कारण हाई कोर्ट ने बाइक टैक्सियों के संचालन पर रोक लगाने का निर्देश दिया। इसके बाद Ola, Uber और Rapido को अपने बाइक टैक्सी ऑपरेशन बंद करने पड़े। अदालत का तर्क था कि बाइक को व्यावसायिक वाहन के रूप में पंजीकृत किए बिना किराये पर चलाना कानून के अनुरूप नहीं। पीली नंबर प्लेट, बीमा, सुरक्षा मानकों व ड्राइवर सत्यापन जैसी शर्तें पूरी न होने को भी प्रमुख आधार माना गया। इस आदेश का सीधा असर 1 लाख से अधिक बाइक टैक्सी पार्टनरों पर पड़ा।
महाराष्ट्र: लाइसेंस न होने पर FIR, नई नीति का इंतज़ार
महाराष्ट्र में बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर स्थिति मिश्रित है। यहां बैन की बात आधिकारिक रूप से नहीं कही गई, लेकिन कई शहरों में बिना अनुमति संचालित हो रही बाइक टैक्सियों पर FIR दर्ज की गईं और कार्रवाई तेज हुई। कई ड्राइवर निजी दो-पहिया वाहनों को व्यावसायिक रूप से चला रहे थे, जो नियमों के खिलाफ है। राज्य सरकार E-Bike Taxi Model पर नई नीति तैयार कर रही है, जिससे भविष्य में वैध और नियंत्रित ढंग से यह सेवा चल सके। इस समय स्थिति “बैन” की नहीं बल्कि “नियमों के सख्त अनुपालन” की है।
दिल्ली: बैन की नौटिस पर हाई कोर्ट की रोक
दिल्ली सरकार ने पहले बाइक टैक्सी सेवाओं को नोटिस जारी कर संचालन रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन बाद में हाई कोर्ट ने इस आदेश पर स्थगन लगाया। अदालत ने कहा कि जब तक नीति स्पष्ट नहीं होती, तब तक सेवाओं पर पूर्ण रोक लगाना उचित नहीं। इससे फिलहाल दिल्ली में बाइक टैक्सी सेवाएं स्पष्ट प्रतिबंध के बिना नीतिगत अस्पष्टता में चल रही हैं।
क्यों उलझा हुआ है कानूनी ढांचा?
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 में बाइक टैक्सी मॉडल को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। इसी कारण राज्य-दर-राज्य नियम अलग-अलग रूप लेते हैं। निजी बाइक का व्यावसायिक उपयोग कानूनी है या नहीं, इसका स्पष्ट उत्तर राज्यों में अलग-अलग है। सुरक्षा मानक, बीमा, हेलमेट व ड्राइवर का सत्यापन, इन मुद्दों को लेकर भी अदालतें बार-बार प्रश्न उठाती रही हैं। राज्य सरकारें नई नीतियां बनाने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन अभी कई जगह यह अधूरी है। इसी कानूनी धुंध के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में अलग परिणाम देखने को मिलते हैं।
क्यों फैली बैन की अफ़वाह ?
हाल के महीनों में कर्नाटक में अदालत द्वारा रोक, महाराष्ट्र में पुलिस द्वारा कार्रवाई, दिल्ली में नोटिस और फिर अदालत की दखल और कई राज्यों द्वारा लाइसेंसिंग पर सख्ती के कारण यह धारणा बनी कि “पूरा भारत बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है”, जबकि हकीकत इससे काफी अलग है।
बाइक टैक्सी को बैन या रोकने की प्रमुख वजहें
1. निजी दोपहिया वाहन का व्यावसायिक उपयोग अवैध
अधिकांश बाइक टैक्सी ड्राइवर निजी (सफेद नंबर प्लेट) वाले वाहन का इस्तेमाल करते हैं। कानून के अनुसार सफेद नंबर प्लेट वाहन किराये/व्यावसायिक सेवा के लिए नहीं चलाया जा सकता! सरकार और अदालतें कहती हैं, “निजी वाहन को टैक्सी की तरह चला ना अवैध वाणिज्यिक गतिविधि है।” इसी वजह से FIR, जुर्माने और रोक की कार्रवाई होती है।
2. पीली नंबर प्लेट और व्यावसायिक बीमा की कमी
टैक्सी के रूप में चलने वाले किसी भी वाहन के लिए जरूरी है-
व्यावसायिक (कमर्शियल) रजिस्ट्रेशन,
पीली नंबर प्लेट,
कमर्शियल बीमा,
फिटनेस सर्टिफिकेट!
लेकिन अधिकांश बाइक टैक्सी पार्टनर यह जरूरी कागजात नहीं रखते। इससे सरकार इसे अवैध व्यापारिक संचालन मानती है।
3. सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं
कई राज्यों और अदालतों ने यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं-
हेलमेट न देना,
खराब स्थिति में वाहन चलाना,
यात्री सत्यापन प्रणाली कमजोर होना,
महिला यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता !
कई शहरों में बाइक टैक्सी से जुड़े छेड़छाड़ और चोरी के मामले भी सामने आए हैं, जिससे सरकारें और सख्त हुई हैं।
4. लाइसेंस और ड्राइवर की पहचान की अस्पष्टता
बाइक टैक्सी ड्राइवरों का व्यापक बैकग्राउंड वेरिफिकेशन, पुलिस वेरिफिकेशन और ड्राइविंग लाइसेंस की जांच अक्सर नियमों के अनुसार नहीं होती। “अज्ञात ड्राइवर + निजी वाहन” का कॉम्बिनेशन सरकार के लिए सुरक्षा खतरा बनता है।
5. मोटर व्हीकल एक्ट में बाइक टैक्सी मॉडल स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 में “बाइक टैक्सी” स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है। इस कानूनी धुंध के कारण केंद्र या राज्य कोई सटीक नीति नहीं लागू कर पाए। अदालतें भी कहती हैं कि “जब तक कानून स्पष्ट न हो, सेवा वैध नहीं।” कई राज्यों ने इसी आधार पर बैन लगाया।
6. ऑटो–टैक्सी यूनियनों का विरोध
परंपरागत ऑटो और टैक्सी यूनियनें बाइक टैक्सी मॉडल का कड़ा विरोध करती हैं। उनके तर्क हैं कि बाइक टैक्सी किराया बहुत कम रखती हैं। इससे उनकी कमाई प्रभावित होती है। उनके मुताबिक प्रतिस्पर्धा असमान है (क्योंकि बाइक निजी रजिस्ट्रेशन से चलती है) उनके दबाव के कारण कई राज्यों ने बाइक टैक्सी सेवाओं को सीमित किया।
7. यातायात और सड़क सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन
सरकार के अनुसार, कई बाइक टैक्सी चालक ओवरस्पीडिंग, गलत दिशा में चलना, सिग्नल तोड़ना, मोबाइल फोन पर लगातार निर्देश सुनकर चलाना और बिना हेलमेट यात्रियों को बैठाना जैसे नियम तोड़ते हैं। यह दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
8. कर (Taxation) और परमिट से जुड़े सवाल
व्यावसायिक वाहन से सरकार को टैक्स मिलता है, लेकिन निजी वाहन से नहीं। इससे सरकार इसे Revenue Loss मानती है। इसलिए कई राज्यों का कहना है कि पहले बाइक टैक्सी को कानूनी ढांचे में लाना जरूरी है।
यात्रियों और ड्राइवरों पर बड़ा प्रभाव
बाइक टैक्सी सेवाएं लाखों लोगों की रोज़मर्रा की यात्रा का आधार बन चुकी हैं। प्रतिबंध या कार्रवाई के असर-
किराये पर चलने वाली सस्ती और तेज सर्विस कम हुई,
ट्रैफिक-प्रभावित शहरों में यात्रा कठिन हुई,
ड्राइवर-पार्टनरों की आय पर गहरा असर पड़ा,
कई लोग ईवी या दूसरी नौकरियों की तलाश में जुटे!
एक फैसले का असर सीधे ज़मीनी स्तर पर दिखाई देता है।
क्या भविष्य में सचमुच ‘ऑल-इंडिया बैन’ हो सकता है?
वर्तमान स्थिति को देखें तो केंद्र सरकार ने कोई राष्ट्रीय बैन घोषित नहीं किया है। राज्य सरकारें नीति बना रही हैं, बहुत सी जगहों पर ई-बाइक टैक्सी मॉडल को प्रोत्साहन भी दिया गया है। अदालतें चाहती हैं कि बाइक टैक्सी सेवाओं को नियमबद्ध किया जाए, न कि अंधाधुंध रोका जाए। इसलिए निकट भविष्य में “सम्पूर्ण भारत में बैन” की संभावना बेहद कम है। हां, नीतियां और नियम कठोर अवश्य हो सकते हैं।
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