उत्तर प्रदेश में योगी सरकार समावेशी शिक्षा (Inclusive Education in Uttar Pradesh) की दिशा में ठोस और दूरगामी कदम उठा रही है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि अब दिव्यांग और सामान्य बच्चे अलग-अलग नहीं, बल्कि एक साथ एक ही छत के नीचे पढ़ाई करें। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सात जिलों औरेया, लखनऊ, कन्नौज, प्रयागराज, आजमगढ़, बलिया और महराजगंज में समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। ये स्कूल दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित, अस्थिबाधित और सामान्य छात्रों के लिए एक समान, प्रेरणादायी और सुविधाजनक वातावरण प्रदान कर रहे हैं।
समावेशी शिक्षा से बदलेगी सोच
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चल रही इस पहल का मकसद है दिव्यांग छात्रों को मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें समाज के समकक्ष लाकर खड़ा करना। अब तक इन स्कूलों में 325 छात्रों का पंजीकरण हो चुका है, जो एक-दूसरे के साथ मिलकर सीख रहे हैं, बढ़ रहे हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो रहे हैं।
आधुनिक तकनीक से सुसज्जित स्कूल
इन समेकित विद्यालयों में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि दिव्यांग बच्चों की ज़रूरतों का विशेष ध्यान रखा गया है। यहां मौजूद हैं: ब्रेल लिपि में पढ़ने की सामग्री, श्रवण यंत्र (Hearing Aids),
रैम्प और व्हीलचेयर जैसी फिजिकल एक्सेस सुविधाएं, विशेष प्रशिक्षित शिक्षक और अन्य स्पेशल एजुकेशन टूल्स। इन स्कूलों का उद्देश्य है कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के बीच आपसी समझ, सहयोग और समानता की भावना भी विकसित हो।
कई जिलों में नए स्कूल बन रहे हैं
गाजियाबाद में एक नया समेकित विशेष विद्यालय प्रक्रियाधीन है। वहीं, मिर्जापुर, एटा, प्रतापगढ़, वाराणसी और बुलन्दशहर में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इन स्कूलों का उद्देश्य सिर्फ शिक्षण नहीं, बल्कि समाज में एक नई सोच पैदा करना है—जहां कोई भी बच्चा खुद को अलग न महसूस करे।
‘सहानुभूति नहीं, सम्मान चाहिए’ — मंत्री नरेंद्र कश्यप
प्रदेश के पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने कहा, “हमारा उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को सिर्फ सहानुभूति नहीं, सम्मान और समान अवसर देना है। समेकित विद्यालयों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी बच्चा पीछे न रह जाए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह योजना दिव्यांग छात्रों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
नई शिक्षा नीति की सच्ची झलक
योगी सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत है। अब दिव्यांगता कोई बाधा नहीं, बल्कि प्रेरणा बनेगी। यह पहल न सिर्फ शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाएगी, बल्कि समाज में समानता, सह-अस्तित्व और समावेशिता की भावना को भी मजबूत करेगी।