Storm Alert In Maharashtra: अरब सागर में साइक्लोन शक्ति महाराष्ट्र के तटीय इलाकों के लिए खतरा बन गया है। IMD ने मुंबई, ठाणे और कई जिलों में भारी बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी दी है।
महाराष्ट्र की ओर साइक्लोन शक्ति का रुख़
अरब सागर में सीजन के पहले साइक्लोन ने अपना रूप बदल लिया है और अब यह ‘चक्रवात शक्ति’ (Cyclone Shakti) के नाम से तेजी से बढ़ रहा है। श्रीलंका की ओर से दिया गया यह नाम अब महाराष्ट्र के तटीय इलाकों के लिए चिंता का कारण बन गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक यह तूफान द्वारका से 300 किलोमीटर और पोरबंदर से 360 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है और अगले दो दिनों में गंभीर चक्रवात का रूप ले सकता है।
तेज बारिश और 65kmph की रफ्तार से चलेंगी हवाएं
IMD ने चेतावनी दी है कि चक्रवात शक्ति महाराष्ट्र के कई हिस्सों में तेज बारिश (Mumbai Rains) लेकर आएगा। मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों के लिए चेतावनी जारी की गई है। 3 से 5 अक्टूबर के बीच इन इलाकों में 45 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं, जो 65 किलोमीटर प्रति घंटे तक जा सकती हैं। समुद्र में लहरें बेहद ऊंची और खतरनाक हो सकती हैं।
At 1800 UTC of 3 Oct, CS Shakhti lay centered about 340 km west of Dwarka. It is likely to move west-southwestwards and intensify further into a severe cyclonic storm around 0000 UTC of 4 Oct. Thereafter, to reach central parts of north & adj central Arabian Sea by 5th October. pic.twitter.com/IbMDuL5HPx
— India Meteorological Department (@Indiametdept) October 3, 2025
विदर्भ-मराठवाड़ा में हो सकती है बाढ़ जैसी स्थिति
IMD का कहना है कि आंतरिक महाराष्ट्र में भी इसका असर देखने को मिलेगा। विशेषकर पूर्वी विदर्भ और मराठवाड़ा के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। उत्तर कोंकण के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है क्योंकि वातावरण में नमी और बादल तेजी से बढ़ रहे हैं।
IMD के अनुसार, अंडमान सी में इस साइक्लोन का Cyclonic Circulation देखा गया था। साइक्लोन शक्ति का असर मुख्य रूप से महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में पड़ेगा जिनमें मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग शामिल हैं। वहीं, अहमदाबाद में भी चक्रवाती तुफान का असर बारिश, गरज के साथ बौछारों और धूल भरी आंधी के रूप में दिखाई पड़ सकता है।
महाराष्ट्र के सभी जिले अलर्ट मोड पर
महाराष्ट्र सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों को अलर्ट पर रखा है। तटीय और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों की निकासी योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। आपदा प्रबंधन प्रणाली सक्रिय कर दी गई है। लोगों को समुद्र की यात्रा से बचने, मछुआरों को किनारे पर रहने और बारिश के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करने की अपील की गई है। मुंबई और आसपास के इलाकों में भारी बारिश से यातायात बाधित हो सकता है। जलभराव की स्थिति से दैनिक जीवन प्रभावित होने की आशंका है। प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि यात्रा सोच-समझकर करें और अनावश्यक बाहर निकलने से बचें।
3 से 7 अक्टूबर के बीच सावधान रहने की जरूरत
पिछले कुछ वर्षों में अरब सागर में ताउते (2021) और बिपरजॉय (2023) जैसे तूफान बने थे, लेकिन बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर में कम चक्रवात आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल यह तूफान तटीय इलाकों तक नहीं पहुंच रहा है, लेकिन इसके लगातार प्रचंड रूप लेने की संभावना को देखते हुए सतर्क रहना आवश्यक है।3 से 7 अक्टूबर के बीच मध्यम से उच्च स्तरीय चक्रवात की आशंका जताई गई है।
मुंबई से कभी नहीं टकराता कोई तूफ़ान
कहा जाता है कि पिछले 140 सालों में मुंबई में कभी कोई तूफान नहीं आया। पांच साल पहले निसर्ग तूफान जरूर टकराया था लेकिन उससे भी ऐसा नुकसान नहीं हुआ था। वो मुंबई में टकराते टकराते कमजोर हो चुका था। गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक जैसे प्रदेशों के तटीय इलाकों पर तबाही मचाने वाले तूफान आमतौर पर अरब सागर में बनते हैं। वहां से वह भारत के पश्चिमी इलाकों में सक्रिय हो जाते हैं। लेकिन आमतौर पर चक्रवाती तूफान मुंबई से नहीं टकराते। बिपरजॉय भी इसके अगल बगल से निकल गया, लेकिन मुंबई पर आंच नहीं आई। बस मरीन ड्राइव पर ऊंची ऊंची लहरें जरूर उठती देखी गईं जो तूफान का ही असर था। केवल एक ही बार मुंबई को एक चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ा था। हाल-फिलहाल के दशकों में जो तूफान मुंबई से टकराया था, वो निसर्ग था। ये वर्ष 2020 में मुंबई के तटीय इलाकों में हलचल पैदा करने वाला था। सवाल उठता है कि सागर तट पर बसे होने के बाद भी मुंबई में चक्रवाती तूफान क्यों नहीं आते हैं?
मुंबई से टकराने से पहले कमजोर जाते हैं सभी तूफान
बताया जाता है कि मुंबई कुछ इस तरह से बसा हुआ (Geography) है कि यहां कभी तूफान नहीं आते हैं। IMD के मुताबिक, अरब सागर में उठने वाले ज्यादातर चक्रवाती तूफानों की दिशा पश्चिम-उत्तर-पश्चिम होती है। ये तूफान अरब सागर के तटीय इलाकों से मई में टकराते हैं। इसके बाद जून में उत्तर दिशा में बढ़ते हुए गुजरात के तटीय इलाकों की ओर बढ़ जाते हैं। ये पृथ्वी के घूर्णन (Rotational Character) या साधारण शब्दों में कहें तो धुरी पर घूमने के कारण होता है। इससे चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा के उलटे (Anti-Clockwise) चलते हैं।
स्टीयरिंग विंड्स तय करती हैं तूफान के बढ़ने की दिशा
अरब सागर में सामान्य तौर पर पूर्वी मध्य या दक्षिण पूर्वी हिस्से में तूफान बनना शुरू होते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि अरब सागर में उठने वाले चक्रवात तूफानों की स्वाभाविक प्रवृत्ति अरब प्रायद्वीप की ओर है। ये तूफान गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ से टकरा सकते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि मुंबई अरब सागर के तूफानों के टकराने की प्राकृतिक जगह नहीं है। इसके अलावा हवाओं की दिशा के कारण भी मुंबई में तूफान नहीं आते हैं। इन्हें स्टीयरिंग विंड्स (Steering Winds) कहा जाता है। ये हवाएं ही तूफान के बढ़ने की दिशा तय करती हैं। ये हवाएं पृथ्वी की सतह से ऊपर वातावरण की बीच की परत में बहती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये हवाएं तूफान की ऊपरी परत बनाती हैं और उसे अपने बहने की दिशा में मोड़ देती हैं।
साइक्लोन समुद्र तट के नजदीक नहीं बनते हैं। ऐसे में ये हवाएं अरब सागर में बनने वाले साइक्लोन को भारत के तटीय इलाकों से दूर ले जाती हैं। अरब सागर के ज्यादातर चक्रवाती तूफान उत्तर-पश्चिम में ओमान व यमन या अफ्रीका में सोमालिया की ओर बढ़ जाते हैं।
सब-ट्रॉपिकल रिज के कारण भी नहीं आते मुंबई में साइक्लोन
मुंबई को चक्रवाती तूफानों से एक और ढाल बचाती है, जिसे मौसम विज्ञानी उपोष्ण कटिबंध (Subtropical Ridge) कहते हैं। ये दक्षिण पश्चिमी मानसून से जुड़ा है। उपोष्ण कटिबंध उच्च दबाव वाली हवा की बड़ी बेल्ट होती है। इनमें धीमी रफ्तार वाली ठंडी हवाएं होती हैं। वहीं, निसर्ग जैसे उष्णकटिबंधीय साइक्लोन ठंडी हवाओं में बहुत कमजोर पड़ जाते हैं। मुंबई समेत पश्चिमी तटीय इलाकों में प्री-मानसून सीजन में ये उपोष्ण कटिबंध बन जाता है। इससे मुंबई समेत पश्चिम तटीय इलाकों में साइक्लोन आने की आशंका खत्म हो जाती है।
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