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October 27, 2025

संविधान को साक्षी मानकर रचाई शादी, कार्ड पर छपवाई संविधान निर्माताओं की तस्वीरें, अब हो रही है जमकर तारीफ

The CSR Journal Magazine
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हुई एक अनोखी शादी अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां शिलाई विधानसभा क्षेत्र के कलोग गांव के दो सगे भाइयों ने संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया। न पंडित बुलाया गया, न मंत्रोच्चार हुआ, न फेरे लिए गए बल्कि दोनों भाइयों ने भारत के संविधान की शपथ लेकर एक नई सामाजिक परंपरा की शुरुआत की।

सामाजिक सुधार की मिसाल बने दोनों भाई

इन दोनों भाइयों का नाम सुनील कुमार बौद्ध और विनोद कुमार आजाद है। दोनों ही सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं और लंबे समय से सामाजिक सुधार और समानता के विचारों पर काम कर रहे हैं। इनका कहना है कि शादी दो दिलों और दो परिवारों का मेल है, किसी धार्मिक कर्मकांड का नहीं। इसी सोच के चलते उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों को छोड़कर संविधान-आधारित विवाह (Constitutional Marriage) करने का निर्णय लिया।

कार्ड पर नहीं देवी-देवता, बल्कि महान विभूतियां

इस शादी का निमंत्रण पत्र भी चर्चा में रहा। जहां आमतौर पर शादी के कार्ड पर देवी-देवताओं की तस्वीरें छपाई जाती हैं, वहीं इन भाइयों ने अपने कार्ड पर डॉ. भीमराव आंबेडकर, महात्मा बुद्ध और कबीर दास की तस्वीरें प्रकाशित कीं। कार्ड पर यह संदेश भी दिया गया था कि हम विवाह को सामाजिक समानता और आपसी सम्मान का प्रतीक मानते हैं, न कि धार्मिक कर्मकांड का।

ऐसे हुआ विवाह समारोह

25 अक्टूबर की शाम को मामा स्वागत की रस्म निभाई गई और अगले दिन सुबह 8 बजे दोनों भाइयों की बरातें निकलीं। सुनील कुमार बौद्ध ने शिलाई के कटाड़ी गांव की रितु से विवाह किया। विनोद कुमार आजाद ने शिलाई के नाया गांव की रीना वर्मा से शादी रचाई। बरात पहुंचने के बाद किसी पंडित के बिना ही दोनों दूल्हे और दुल्हनों ने संविधान की शपथ ली और विवाह की घोषणा की। इसके बाद स्थानीय परंपराओं के अनुसार “नेवदा रस्म” और रात्रिभोज का आयोजन किया गया।

गांव वालों की उमड़ी भीड़, मिला दुल्हन पक्ष का समर्थन

इस अनोखी शादी में गांव के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। दुल्हन पक्ष के परिवारों ने भी इस नई पहल को पूरी तरह समर्थन दिया। स्थानीय लोगों ने कहा कि इस तरह की शादी समाज में बराबरी और तार्किक सोच को बढ़ावा देती है।

युवाओं के लिए प्रेरणा बनी ये शादी

दोनों भाइयों ने कहा कि वे डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों से प्रेरित हैं और समाज में समानता और वैज्ञानिक सोच लाने के लिए आगे भी प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भी अंधविश्वास और दिखावे से मुक्त होकर विवाह जैसी परंपराओं में सुधार लाएं।

एक नई सोच की शुरुआत

हिमाचल की इस संविधान आधारित शादी (Constitution Witnessed Marriage) को एक सामाजिक क्रांति की तरह देखा जा रहा है। यह सिर्फ विवाह नहीं, बल्कि एक संदेश है कि समाज अब बदल रहा है—जहां परंपरा के साथ संविधान और समानता के मूल्यों का भी सम्मान किया जा रहा है।
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