Heart Lamp: भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब ‘हार्ट लैंप’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीतकर इतिहास रच दिया है। हार्ट लैंप कन्नड़ भाषा में लिखी पहली किताब है, जिसे बुकर प्राइज मिला है। दीपा भष्ठी ने इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया है। बुकर प्राइज के लिए हार्ट लैंप को दुनियाभर की छह किताबों में से चुना गया। यह अवॉर्ड पाने वाला पहला लघु कथा संग्रह (शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन) है। दीपा भष्ठी इस किताब के लिए अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय ट्रांसलेटर हैं। बानू मुश्ताक और दीपा भष्ठी ने मंगलवार को लंदन के टेट मॉडर्न में हुए कार्यक्रम में अवॉर्ड रिसीव किया। दोनों को 50,000 पाउंड (52.95 लाख रुपए) की पुरस्कार राशि भी मिली है, जो लेखक और ट्रांसलेटर के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है। Banu Mushtaq News
हार्ट लैंप में दक्षिण भारतीय महिलाओं की मुश्किल जिंदगी की कहानियां
बानू मुश्ताक ने हार्ट लैंप किताब में दक्षिण भारत में पितृसत्तात्मक समाज में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं की कठिनाइयों को मार्मिक ढंग से दर्शाया है। उन्होंने 1990 से 2023 के बीच, तीन दशकों के दौरान ऐसी 50 कहानियां लिखी थीं। दीपा भष्ठी ने इनमें से 12 कहानियों को चुनकर ट्रांसलेट किया। अवॉर्ड जीतने के बाद मुश्ताक ने कहा, ‘यह किताब का जन्म इस भरोसे से हुआ है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती। मानवीय अनुभव के ताने-बाने में हर धागा मायने रखता है। ऐसी दुनिया में जो अक्सर हमें बांटने करने की कोशिश करती है, साहित्य उन खोई हुई पवित्र जगहों में से एक है, जहां हम एक-दूसरे के दिमाग में रह सकते हैं, भले ही कुछ पन्नों के लिए ही क्यों न हो।’
5 किताबें, जो बुकर प्राइज की रेस में थी-
ऑन द कैलकुलेशन ऑफ वॉल्यूम, लेखक- सोलवेज बैले, ट्रांसलेटर- डेनिश से बारबरा जे. हैवलैंड
स्मॉल बोट, लेखक- विंसेंट डेलेक्रोइक्स, ट्रांसलेटर- हेलेन स्टीवेंसन
अंडर द आई ऑफ द बिग बर्ड, लेखक- हिरोमी कावाकामी, ट्रांसलेटर- आसा योनेडा
परफेक्शन, लेखक- द्विन्सेन्जो लैट्रोनिको, ट्रांसलेटर- सोफी ह्यूजेस
ए लेपर्ड-स्किन हैट, लेखक- ऐनी सेरे, ट्रांसलेटर- मार्क हचिंसन
2022 में पहली बार हिंदी उपन्यास को बुकर पुरस्कार मिला था
2022 में गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि (टॉम्ब ऑफ सैंड) को इंटरनेशनल बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया था। इससे पहले 2022 में भारत की राइटर गीतांजलि श्री ने उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए प्रतिष्ठित बुकर प्राइज जीता था। टॉम्ब ऑफ सैंड बुकर जीतने वाली हिंदी की पहली किताब थी। इसका अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है। गीतांजलि श्री का उपन्यास हिंदी में ‘रेत समाधि’ नाम से पब्लिश हुआ था। गीतांजलि श्री का उपन्यास दुनिया की उन 13 पुस्तकों में शामिल था, जिन्हें पुरस्कार की लिस्ट में शामिल किया गया था।
बानू मुश्ताक से पहले भारतीय मूल के 6 लेखकों बुकर प्राइज मिला
अब तक भारतीय मूल के 6 लेखक बुकर प्राइज जीत चुके हैं। इनमें वी.एस. नायपॉल, सलमान रुश्दी, अरुंधति रॉय, किरण देसाई, अरविंद अडिगा और गीतांजलि श्री शामिल हैं। अरुंधति रॉय बुकर प्राइज जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। Heart Lamp: Banu Mushtaq wins International Booker Prize for Kannada short story collection.
बुकर प्राइज के बारे में जानिए
बुकर प्राइज का पूरा नाम मैन बुकर प्राइज फॉर फिक्शन है। इसकी स्थापना 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी ने की थी। इसमें विजेता को पुरस्कार राशि के तौर पर 50,000 पाउंड मिलते हैं, जिसे लेखक और ट्रांसलेटर के बीच बराबर-बराबर बांटा जाता है। भारतीय रुपयों में यह राशि लगभग 52.95 लाख होती है। ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित या अंग्रेजी में ट्रांसलेट की गई किसी एक किताब को हर साल ये खिताब दिया जाता है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।