पुराने कागज़ों में छिपा ‘सोना’- पिता-पुत्र में हक की जंग, अदालत में पहुंचा मामला ! गुजरात के Una गांव में एक घर में ऐसा दस्तावेज मिला है जिसने परिवार में खुशी के साथ-साथ विवाद भी उत्पन्न कर दिया है। बताया जा रहा है कि वहां रहने वाले Savji Patel नामक व्यक्ति के निधन के बाद उसके पोते ने घर की सफाई के दौरान पुराने कागज़-पत्तर खंगाले। इसी बीच उसे पुराना शेयर सर्टिफिकेट मिला, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग ₹2.5 करोड़ बताई जा रही है।
धूल भरे बक्से में छिपा करोड़ों का खज़ाना
गुजरात के गिर-सोमनाथ ज़िले के ऊना गांव में एक साधारण से घर की सफाई ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। स्थानीय निवासी सावजी पटेल परिवार के सदस्य जब दशहरा के बाद घर की सफाई कर रहे थे, तब पुराने संदूकों और फाइलों में से कंपनी के शेयर सर्टिफिकेट्स का बंडल निकला। कागज़ पुराने और पीले पड़ चुके थे, लेकिन जब उन्हें गौर से देखा गया तो उनमें से कुछ नामी कंपनियों के मूल शेयर सर् टिफिकेट निकले। विशेषज्ञों के अनुसार, आज की तारीख में उनकी कीमत लगभग ₹2.5 करोड़ आंकी जा रही है।
मृतक के नाम थे शेयर, अब हक को लेकर परिवार में विवाद
इन शेयरों के असली मालिक स्व. सावजी पटेल थे, जिनका कुछ वर्ष पूर्व देहांत हो चुका है। उनके निधन के बाद उनकी संपत्ति का अब तक उनके बेटे और पोते के बीच बंटवारा नहीं हुआ था। जब शेयर सर्टिफिकेट मिले, तो पोते ने कहा, “यह दस्तावेज मुझे घर की सफाई के दौरान मिले हैं। दादा ने इन्हें हमारे नाम विरासत में छोड़ा था, इसलिए अब यह हमारा अधिकार है।” वहीं बेटे का कहना है, “कानूनी तौर पर मैं पिता का सीधा उत्तराधिकारी हूं। अगर यह शेयर सर्टिफिकेट वैध हैं तो इन पर मेरा अधिकार बनता है।” अब यह पारिवारिक विवाद अदालत तक पहुंच गया है और मामला गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
क्या सचमुच इतने कीमती हैं ये शेयर?
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने भौतिक (Physical) शेयर सर्टिफिकेट का मौजूदा मूल्य कई बातों पर निर्भर करता है-
1. संबंधित कंपनी आज भी सक्रिय है या नहीं ?
2. उस कंपनी के शेयर आज के बाज़ार में किस कीमत पर हैं ?
3. सर्टिफिकेट की डिमैट (Demat) प्रक्रिया पूरी की गई है या नहीं ?
यदि कंपनी अब भी सक्रिय है और सर्टिफिकेट वैध पाए जाते हैं, तो यह परिवार एक झटके में करोड़पति बन सकता है। लेकिन यदि कंपनी बंद हो चुकी है या शेयर डिमैट में नहीं बदले गए, तो कागज़ की कीमत कुछ भी नहीं रह जाएगी।
गांव में चर्चा का विषय बना परिवार
ऊना जैसे छोटे से शांत गांव में यह खबर फैलते ही लोगों की भीड़ उस घर के बाहर जमा होने लगी। कुछ लोग इसे भाग्य का खेल मान रहे हैं, तो कुछ इसे दूरदर्शिता का फल कह रहे हैं। गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, “हमारे समय में लोग कंपनी के शेयरों को समझते ही नहीं थे। जो लोग बचा कर रखते थे, वही आज लाभ देख रहे हैं।”
पारिवारिक रिश्तों में दरार
इस घटना ने जहां परिवार में एक उम्मीद जगाई, वहीं संबंधों में खटास भी पैदा कर दी। पिता-पुत्र के बीच कानूनी नोटिस भेजे जा चुके हैं। पोते के वकील का कहना है कि, “शेयर दस्तावेज उसे मिले हैं, इसलिए कब्जा और खोज के आधार पर भी उसका दावा बनता है।” वहीं पिता की ओर से जवाब दिया गया है कि, “मृतक के उत्तराधिकार कानून के तहत, बेटे को संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त है।”
कानूनी विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ अधिवक्ता के.डी. त्रिवेदी बताते हैं, “यदि सर्टिफिकेट मृतक के नाम पर हैं, तो पहले उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Succession Certificate) लेना होगा। इसके बाद कंपनी के रजिस्ट्रार के पास हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। अदालत यह तय करेगी कि इन शेयरों का कानूनी मालिक कौन है।” वडोदरा के मार्केट एनालिस्ट नीरव देसाई के अनुसार, “ऐसे कई मामले आते हैं जहां 30-40 साल पुराने शेयर अचानक किसी को मिल जाते हैं। कई बार वे आज की वैल्यू में लाखों-करोड़ों के हो जाते हैं। परंतु पहले उनकी प्रामाणिकता जांचना ज़रूरी होता है।”
पुराने शेयर सर्टिफिकेट संभालने का सबक
यह घटना लोगों के लिए एक चेतावनी और सबक दोनों है। पुराने कागज़, डाक-घर खाते, बांड्स, और शेयरसर्टिफिकेट्स को कभी फेंके नहीं। उन्हें किसी वित्तीय सलाहकार को दिखाकर उनकी मौजूदा स्थिति जानें। अगर वे किसी दिवंगत सदस्य के नाम हैं, तो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र बनवाएं।
गुजरात में पहले भी मिले ऐसे मामले
गुजरात के ऊना गांव में कचरे- धूल से भूली बिसरी संपत्ति मिलने का यह पहला मामला नहीं है। सूरत में 2021 में एक व्यक्ति को दादी के ट्रंक से ₹1.1 करोड़ के पुराने रिलायंस शेयर मिले थे। राजकोट में एक किसान परिवार को खेत की फाइलों में से ₹80 लाख के टाटा मोटर्स के शेयर सर्टिफिकेट मिले थे।इन सभी मामलों में दस्तावेज़ वैध पाए गए और परिवारों को भारी आर्थिक लाभ हुआ।
Reddit पर एक व्यक्ति ने दावा किया कि उसे अपने दादा की अलमारी से 1990 में खरीदे गए 1 लाख की कीमत के JSW Ltd कंपनी के पुराने शेयर सर्टिफिकेट मिले। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सर्टिफिकेट लगभग ₹1 लाख के निवेश के थे जो अब ₹80 करोड़ तक के माने जा रहे हैं। हालांकि, कई यूज़र्स ने चेताया कि ऐसे दावों की वैधता कंपनी की मौजूदा स्थिति पर निर्भर करती है। कुछ सर्टिफिकेट पुरानी या बंद हो चुकी कंपनियों के भी हो सकते हैं, जिनकी कीमत शून्य है।
अदालत का अगला कदम
गुजरात हाईकोर्ट ने फिलहाल दोनों पक्षों को नोटिस भेजा है और शेयर सर्टिफिकेट को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया गया है, ताकि कोई पक्ष उन्हें बेच न सके। अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि- 1. दस्तावेज़ किसके नाम वैध हैं?
2. क्या शेयर कंपनियों में अब भी सक्रिय हैं ?
3. उत्तराधिकार का अधिकार किसे मिलेगा ?
कचरे में करोड़ों का खज़ाना
ऊना के पटेल परिवार का यह मामला आज पूरे गुजरात में चर्चा का विषय बन गया है। जहां एक ओर यह कहानी लोगों को पुरानी विरासत और दस्तावेज़ संभाल कर रखने की सीख देती है, वहीं दूसरी ओर यह भी दिखाती है कि अचानक मिला धन अक्सर रिश्तों में दरार डाल देता है। अगर अदालत में सर्टिफिकेट वैध पाए जाते हैं, तो यह परिवार आने वाले समय में ऊना गांव का सबसे सम्पन्न परिवार बन सकता है। लेकिन फिलहाल, 2.5 करोड़ की यह दौलत अदालत की चारदीवारी में कैद है।
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